Life 7

Love self

यह कहानी फिर अगले सप्ताह शुरू होती है जब 12 की घंटी बजती है उसकी आत्मा डब्बे से निकलकर एक महिला के शरीर में जाती है जो कि एक डॉक्टर थी। शादी के 5 साल बाद उनको पहला बच्चा होने वाला था। महिला बहुत सुंदर थी उसका पति भी बहुत सुंदर था वह भी गोरा था। 9 महीने बाद उनको सुंदर और स्वस्थ बच्चा पैदा होता है।

जब बच्चा 4 साल का हुआ था तब बच्चे की तबीयत अचानक बहुत बिगड़ जाती है और उसका इलाज चलता है । इलाज के वक्त उसे डाक्टर के द्वारा गलत इंजेक्शन लगा दिया जाता है। जब उन्हें पता चलता है कि उसके बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा दिया गया महिला, डॉक्टर पर बहुत चिल्लाती है और वे उसे दुसरे अस्पताल में ले जाती हैं और उसे वहां भर्ती कराते हैं । वहां उसका अच्छे से इलाज होता हैं और बच्चा ठीक हो जाता है।

अब बच्चे की कहानी शुरू होती है बच्चे का नाम था पार्थ उसके पिता का नाम था धीरज और उसकी मां का नाम था प्रीता (यह वही प्रीता है जिसने कमल को रेल की पटरियों के पास छोड़ दिया था) । दोनों स्वभाव के बहुत अच्छे थें और अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे लेकिन जबसे उसका इलाज हुआ था तबसे उसका रंग बिगड़ने लगा।

पार्थ अब काला होने लगा था और कुछ महीनों के अंदर वह इतना काला हो गया था कि लोग उसे पहचान नहीं पाते थे। जब वह अपने मम्मी पापा के साथ घूमने निकलता था तो लोग उसे देखकर आश्चर्य से सवाल पूछते थे क्या यह सचमें आपका वही बेटा हैं यह सवाल लोग बार बार उनसे पूछते थे जो उसे अच्छा नहीं लगता था । लोगों के बार-बार यह सवाल पूछने पर उसे चीड़ भी होती थी और उसे काले होने पर गुस्सा भी आता था ।

जब वह बीमारी से निकला था तब उसे घर के पास के स्कूल में भर्ती कराया गया था जहां केवल 5वी तक की कक्षाएं चलती थी। वहां उसके कई सारे दोस्त थें। क्योंकि छोटे बच्चों में रंग को लेकर कोई भेदभाव नहीं होता वह उनके साथ भेदभाव वाला भाव महसूस नहीं करता था लेकिन कभी-कभी उसे महसूस होता था कि उसके काले होने की वजह से लोग उससे उतना प्यार नहीं करते जितना गोरे बच्चों को करते थे। ( आप ने भी देखा होगा कि स्कुल में बड़े बच्चे सुंदर और अच्छे दिखने वाले बच्चे से बात करने की कोशिश करते हैं) उसके टीचर भी उसे उतना काम नहीं देते जो अच्छे और सुंदर दिखने वाले बच्चों को मिलता था।

छोटे होने की वजह से यह भेदभाव उसे उस समय उतना तो समझ में नहीं आता था उसे यह बात तब ज्यादा समझ में आई जब वह बड़ा हुआ।

बड़े होने पर उसके मम्मी पापा उसे बड़े और महंगे स्कूल में भेजते हैं जहां ज्यादा पैसे वाले बड़े घर के बच्चे पढ़ते थे । वे बच्चे उनके साथ वहां अलग तरीके का व्यवहार करते थे वे उन्हें अपने ग्रुप में नहीं रखते और न ही उनसे ज्यादा बातें करते । उनके कक्षा में अच्छे दिखने वाले गोरे बच्चों का अलग और काले रंग वाले बच्चों का अलग ग्रुप हो गया था। गोरे बच्चे काले बच्चों के साथ नहीं खेलते थे,न ही उनके साथ खाना खाते जिस कारण उसे वहां अच्छा नहीं लगता था।

पार्थ वहां अपने एक काले दोस्त के साथ रहता था वे और उसका दोस्त ही कक्षा में काले थे , वे दोनों ही एक ग्रुप में रहते थे लड़कियां भी उनको पसंद नहीं करती थी और न ही उनसे बात करती थी । वे दोनों ही एक साथ रहते और खुश रहने की कोशिश करते ।

उन्हें अपने रंग के कारण बार-बार नीचा महसूस होने लगा। कई बार स्कूल में कई कार्यक्रम होते जैसे कि नृत्य ,नाटक, झांकी आदि। उसे नृत्य में हमेशा आखिरी में रखा जाता । उसे शुरू से फिल्म देखने का शौक था। जब वह 4 साल का था तब उससे लोग पूछते थे कि तुम बड़े होकर क्या बनोगे तो वह कहता था मैं बड़ा होकर हीरो बनूंगा। हीरो बनने का और एक्टिंग करने का उसे बचपन से शौक था वह एक्टिंग भी बहुत अच्छा करता था। जब भी स्कूल में नाटक होता तो वह मुख्य किरदार के लिए हमेशा आवेदन देता लेकिन काले होने के कारण उसे वह कभी नहीं मिलता था तब उसे बहुत दुख होता कि यह काला रंग उसके लिए अभिशाप बन गया है। वह अपने आप से नफरत करने लगता था कि वह काला क्यों हो गया। उसके काले रंग से उसे घीन आने लगी इसलिए वह कभी फोटो नहीं खींचवाता था वह खुद को दर्पण में भी नहीं के बराबर ही देखता था । एक तो उसका रंग और साथ में वह पढ़ाई में भी अच्छा नहीं था।

कई बार उसके रंग के कारण लोग उसे ताना देते जो उसे लंबे समय तक परेशान करता । एक दिन वह जब स्कूल से बहुत परेशान और दुखी होकर वापस घर आया तब उसके माता-पिता ने उसे बैठाकर समझाया क्योंकि वे जानते थे कि वह किस कारण से परेशान है वे उसे अच्छे से समझाते हैं कि तुम्हारा रंग तुम्हारी कमजोरी नहीं यदि तुम्हें अपने लिए जगह बनाना है तो तुम्हे लड़कर आगे बढ़ना होगा तुम्हें दिखाना होगा कि तुममे क्या काबीलियत है और तुम भी क्या कर सकते हो ।

बचपन से ही वह अपनी ऐक्टिंग की तैयारी फिल्म और सीरियल देख कर करता था । दिन पर दिन उसकी एक्टिंग अच्छी होती जा रही थी जब वह बड़ा हुआ तो उसने एक्टिंग में अपना लोहा मनवा ही लिया जब वह कक्षा 10 मे था तब उसने अकेले ही एक नाटक ने भाग लिया जिसमें वह प्रथम आया कुछ दिनों बाद जब नृत्य के कार्यक्रम में भी वह भाग लिया उसमें भी वह प्रथम आया ।

अब उसे स्कूल के लोग अलग से पहचानने लगे , उसके कक्षा के बच्चे भी उसकी खुबी के कारण उसे पसंद करने लगे, उनसे बात करने लगे उनका व्यवहार उनके लिए बदलने लगा और वे अब उन दोनों को अपने ग्रुप में शामिल कर लेते हैं और उनके साथ खेलते भी थे ।

अब उसने स्कूल में अपना नाम और पहचान बना लिया था उसे स्कूल के लगभग सभी लोग जानने लगे। उसने अपना टैलेंट दसवीं में जबसे दिखाया था , तबसे वह किसी हीरो से कम नहीं था उसे सभी ग्रुप वाले अपनी टीम में लेना चाहते थे क्योंकि जब स्कूल में इंटर हाउस कांपटीशन होता था तो वह ग्रुप के लिए अच्छे नंबर लाता था । अब वह स्कूल में खुश था ।

वह स्कूल के बाहर भी एकबार भाग लिया लेकिन उसे उसके रंग के कारण अच्छी जगह और तारीफ नहीं मिली। उसके काम की तरफ लोग आकर्षित नहीं हुए थे जिस कारण से वह बाहर भाग लेना छोड़ दिया।

अब वह बोर्ड की कक्षाओं की परीक्षा देने वाला था वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करता है और बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करता है । अब वह कॉलेज में भर्ती लेता है ।बाकी कहानी कॉलेज में पूरी होगी।

Next part is college ki love story.

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