Struggle of little boy2

जैसे मैंने बताया कि अब कमल 3 साल का हो चुका था वह जब स्कूल जा रहे बच्चों को देखता तो खुद स्कूल जाने की बात करता। वह अपनी मां को बताता कि वह भी स्कूल जाना चाहता है।

जब भी वह कमला के साथ मूंगफली बेचने जाता तो उसके रास्ते में एक स्कूल पड़ता कमल स्कूल को देखता और सोचता कि वह भी इस स्कूल में पढ़ेगा । लेकिन कमला जानती थी कि वह उसे वहां कभी नहीं पढ़ा पाएगी क्योंकि उसकी आमदनी से उसके घर का ही गुजारा हो रहा था।

कमल जब भी कहता कि वह कब स्कूल जाएगा तो कमला उसे बोलती कि तू अभी 3 साल का है जब तू 5 साल का हो जाएगा तब तू स्कूल जाएगा। यह सवाल कमल अक्सर पूछते ही रहता और हर बार कमला वही जवाब देती । ऐसा कहते हुए वह उसे हर रोज अपने साथ मूंगफली बेचने ले जाती। ।

कमला उसके सपनों को देखते हुए अब कुछ पैसे इकट्ठे करने लगी ताकि जब वह 5 साल का हो जाए तो उसे किसी छोटे स्कूल में पढ़ा सके जहां उसे ज्यादा पैसे ना देने पड़े।

धीरे-धीरे समय बीतता है और कमल अब 5 साल का होने लगा था । वह अपनी स्कूल जाने के सपने को अपने आंखों में और नजदीक से देखने लगा था । एक दिन जब रेलवे की कॉलोनी में स्वास्थ्य शिविर लगा था तो वहां बहुत सारे डॉक्टर आए थे वे मरीजों का इलाज कर रहे थे उसे देखकर कमल भी सोचने लगा कि वह बड़ा होकर डॉक्टर ही बनेगा ताकि वह अपनी बूढ़ी मां का इलाज कर सके क्योंकि अब कमला की तबीयत थोड़ी खराब भी रहने लगी थी।

कुछ दिनों के बाद जब कमला कमल को स्कूल में दाखिला कराने की सोच रही थी तभी उसकी तबीयत बिगड़ने लगी जिस कारण वह उसका दाखिला नहीं करा पाई। । उसकी तबीयत दिन पर दिन और बिगड़ने लगी उसका अंत समय निकट आने लगा । चंपा बीच-बीच में आकर कमला को देखती और उसका ध्यान रखती । बीमार पड़ने के 4 दिन बाद ही कमला की मौत हो जाती है। जिस दिन कमला की मौत होती है कमल बहुत रोता है चंपा उसे शांत कराने की कोशिश करती हैं । कमला के इकहट्ठा किए पैसों से झुग्गी वाले उसका अंतिम संस्कार करते हैं जिसे उसने कमल की पढ़ाई के लिए इकहट्ठा किया था‌। कमल के पढ़ाई करने का सपना कमला की दाह के आग के साथ जल गया ।

अब कमल का इस दुनिया में कोई नहीं था वह अब चंपा के साथ रहने लगा । कुछ दिनों तक चंपा का व्यवहार ठीक था पर कुछ दिनों पश्चात उसकी व्यवहार में बदलाव आने लगा क्योंकि वैसे ही उसकी कमाई कम थी और उस पर कमल का और खर्च। चंपा कमल को पैसे कमाने के लिए भेजती है वह कहती है कि तू तो मूंगफली कैसे बेचते हैं जानता ही है तू ट्रेन में मत जाना बस स्टेशन पर ही अपनी मूंगफली बेचना। वह कुछ दिनों तक वैसे ही करता है लेकिन उसकी सारी मूंगफली नहीं बिक पाती थी जिस कारण से वह अब ट्रेन में भी चढ़कर मूंगफली बेचने जाने लगा। वह उन स्टेशनों तक कई ट्रेनों में जाने लगा जहां तक उसे कमला ले जाती थी उन स्टेशनों में उसे कोई तकलीफ नहीं हुई क्योंकि वह उन स्टेशनों को अच्छी तरह से जानता था उसे शुरू से ही मूंगफली बेचने में कोई दिक्कत नहीं हुई थी ।शाम होने पर वह घर वापस लौट आता था । अब वह ऐसा ही करने लगा और अपने पढ़ाई के सपनो को वह भूलने लगा।

कुछ महीना तक ऐसी ही चलता है फिर एक दिन वह अनजाने में दूसरी ट्रेन पर चढ़ जाता है और मूंगफली बेचना शुरु करता है।ट्रेन में बहुत भीड़ थी भीड़ होने के कारण उसे पता ही नहीं चला कि वह दूसरी ट्रेन में चढ़ गया है क्योंकि उस दिन उस पटरी पर नई ट्रेन आई थी । थोड़ी देर बाद वह बेचते बेचते थक जाता है और एक कोने में बैठ जाता है । थके होने के कारण उसकी आंख लग जाती है और वह सोने लगता है।

सोते-सोते वह लंबी दूरी तय कर लेता है अब वह एक बड़े शहर में पहुंच जाता है जब उसकी आंख खुलती है तो वह देखता है कि वह अनजाने और बहुत बड़े स्टेशन में पहुंच चुका है वह भौचक्का रह जाता है वह समझ नहीं पाता कि अब वह क्या करें कहां जाए वह नीचे उतरता है और एक जगह बैठ जाता है ।वह सारी मूंगफली बेच चुका था उसके पास अब कुछ पैसे थे तो उसने पास के ही स्टॉल से खाना खरीदा और खाया। वह रोता जा रहा था उसके आंसू रुक नहीं रहे थे ।

उसके पास रखे पैसे से उसने शाम को और अगली सुबह का खाना खाया । जब वह खाना खाकर उठ रहा था तो लगभग 3 साल की बच्ची उसके सामने आती और उससे खाने के लिए कुछ पैसे मागती है अभी कमल के पास मात्र कुछ पैसे ही बचे थे उसने वह पैसे भी उसे दे दिए । वह खाना खाने के बाद इधर-उधर स्टेशन पर घूमने लगा। घूमते घूमते वह स्टेशन के बाहर जाता है वह अभी भी बीच-बीच में अपने घर और अपनी मां को याद करके रोए जा रहा था।

उधर जिस रात कमल घर नहीं पहुंचा था , चंपा परेशान होकर उसे स्टेशन के किनारे ढूंढने लगी और रात तक उसे इधर उधर ढूंढती रही परंतु नहीं मिलने पर वह वापस अपने घर में आ जाती है । अ‌गली सुबह फिर उसे ढूंढने का प्रयास करती है लेकिन ना मिलने पर वह उसके मिलने की आशा छोड़ने लगती है वह स्टेशन के किनारे के पुलिस स्टेशन में उसके गुण हो जाने की खबर दर्ज कराती हैं।

अब फिर शाम होने लगी थी अब कमल के पास खाने के लिए कुछ पैसे भी नहीं बचे थे वह शाम को रोता रोता भूखा ही स्टेशन पर पानी पीकर सो जाता है अगली सुबह वह स्टेशन के बाहर इधर उधर घूमने लगा । उसने अपना पेट भरने के लिए लोगों से कुछ पैसे मांगे, लोग उसे पैसे देने से इनकार करने लगे । एक दयालु व्यक्ति ने उसे कुछ खाने को दिया।

दोपहर हो गई थी वह स्टेशन के बाहर पटरी के किनारे बैठ कर उसकी मां को याद करके रो रहा था और कह रहा था मां अगर तुम जिंदा होती तो मुझे लोगों से पैसे नहीं मांगने पड़ते मुझे भूखा नहीं रहना पड़ता मैं तुम्हें बहुत याद करता हूं माँ तुम लौट आओ ना मां यह कहकर है वह फूट-फूट कर रोने लगा।

भाग्य की विडंबना देखिए उसके भाग्य ने उसे वही लाकर रख दिया था जहा से उसकी कहानी शुरू हुई थी वह तब भी रो रहा था अब भी रो रहा है उसके पास तब भी कोई नहीं था और अब भी कोई नहीं है।

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