Life 2 continue

Part 5

रात को वो दोनों एक ही कमरे में रहते हैं मीरा उसके भाई को उसके घर के सभी लोग और उसके दादा जी के बारे में बताती है फिर मीरा को अचानक याद आता है कि उसने अभी तक उसका नाम नहीं पूछा ? वह उससे उसका नाम पूछती है, वह उसे बताता है कि उसका कोई नाम नहीं है। फिर मीरा उसे कहती है मैं आज से मै तुम्हें मिहिर कहूंगी । मिहिर अपना नाम सुनकर बहुत खुश हो जाता है ।

मीरा उसे अपनी जिंदगी के बारे में और बताती है वह उसे बताती है कि उसके दादा थे जो उससे बहुंत प्यार करते थे । वे ही उसे बचपन में पाले थे उन्ही ने ही उसके जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक उसका ख्याल रखा लेकिन अब उसके पास उनकी ज्यादा यादें नहीं है क्योकी जब उनकी मृत्यु हुई तब वह बहुत छोटी थी लेकिन उनके साथ बिताए कुछ पल उसे अभी भी याद है। उसे ऐसा लगता है मानो अभी भी वे उसके करीब है ।

मिहिर को थोड़ा दुख होता है कि वह उसके दादा के साथ समय नहीं बीता पाया लेकिन उसे यह भी खुशी थी कि वह अब अपनी बहन के साथ जिंदगी बिता पाएगा ।

वैसे ही वे कुछ और बातें करते हैं । मीरा उसे अपने घर के सभी लोगो के बारे में बताती है वह बताती है कि बड़े पापा, छोटे बडे़ पापा और बड़ी माँ उससे प्यार नहीं करते। उसके भाई भी उसे परेशान करते हैं और उससे अपना काम करवाते हैं। घर में बस छोटी मां उससे प्यार करती है।

मीरा मिहिर को जादू करने से मना करती है क्योंकि यदि बड़ो को पता चल जाएगा कि घर मे कोई भुत है तो वे उसे उसके साथ नहीं रहने देंगे और घर से पूजा पाठ करवा कर उसे वहां से भगा देंगे ।

अब बहुत रात हो गई थी मीरा सोने के लिए जाती है वह मिहिर को अपने बगल में सोने को कहती है लेकिन मिहिर अब तक कभी नहीं सोया था वह उसके बगल में लेट जाता है लेकिन वह पूरी रात नहीं सो पाता वह सुबह होने का इंतजार करता है ताकि वह मीरा से फिर बात कर सके ।

अगली सुबह मीरा स्कूल के लिए तैयार होती है वह मिहिर को कमरे में रहने को कहती है वह मान जाता है लेकिन वह मीरा के आने तक बहुत बोर हो जाता है वह कमरे में इधर-उधर घूमता रहता है वह समान को छूता रहता है क्योंकि अभी तक उसने ऐसे समान नहीं देखे थें और देखते-देखते वह दर्पण को छूता है और पर दर्पण टूट जाता है दर्पण के टूटने से घर के सभी लोग उस कमरे में आ जाते हैं लेकिन उन्हें वहां कुछ नहीं दिखता वे सोचते हैं कि वह हवा के कारण गिर गया होगा ।

जब मीरा वहां आती है वह समझ गई थी कि उसे मिहिर ने तोड़ा होगा । रात को मिहिर मीरा के बगल में लेट जाता है आज भी वह नहीं सोता जब मीरा रात को उठती है तो वह देखती है कि मिहिर नहीं सोया वह उससे पूछती है कि तुम क्यों नहीं सो रहे हो तो मिहिर उसे बताता है कि वह आज तक कभी नहीं सोया मीरा मिहिर को थपकी देकर सुलाने की कोशिश करती हैं और वह उसके प्यार और दुलार के कारण सो जाता है वह जिंदगी में पहली बार सोया था अब के उसे हर रात नींद आ जाती थी।

मिहिर अगले दिन मीरा के साथ स्कूल जाने की जिद करता है वह उसे बताता है कि वह अकेले कमरे में बोर हो जाता है । मीरा उसे अपने साथ ले जाने को एक वादे के साथ मानती है कि वह किसी को परेशान नहीं करेगा । वह उसे स्कूल में परेशान नहीं करता। वह कक्षा में खड़ा रहता है मीरा भी उसे देखती रहती है थोड़ी दिन ऐसे ही निकल जाते है वह अब रोज उसके साथ स्कुल जाता।

अब तक मिहिर अपनी सारी शक्तियों का उपयोग करना नही सीखा था। वह धीरे धीरे सीखने की कोशिश करता है । कोशिश करने पे उससे कभी-कभी कुछ गलतियां हो जाती थी जिसके कारण वह कभी समान तोड़ देता कभी कुछ - कुछ गिरा देता। वह पुरा सिखने तक मनुष्यो पर अपनी जादू का प्रयोग नहीं करता था वह सामानों पर ही उसका परीक्षण करता । एक साल बीत जाते हैं और वह सभी जादू सीख जाता है अब वह मनुष्यो पर भी जादू करना सीख गया था ।

अब मिहिर मीरा को परेशान करने वाले लोगों को सबक सिखाने लगा जैसे कि उसके कक्षा के लड़के और उसकी सहेलियों को जो मीरा को परेशान करती थी लेकिन उन्हें मिहिर के बारे में कुछ पता नहीं चला।

घर में भी मिहिर अपने भाइयों को भी सबक सिखाता है क्योंकि वे मीरा से अपना काम करवाते थे वे उससे अपने होमवर्क भी घरवालो से छुपकर करवाते थे वे उसे धमकाते थे और कहते थे कि यदि तुम नहीं करोगी य घरवालो को बताओगी तो हम तुम्हारे खाने और कपड़े में कीड़े डाल देंगे। मीरा कीड़ो से बहुत डरती थी इसलिए मीरा चुपचाप सारा काम कर देती थी धीरे-धीरे करके मिहिर सबको सबक सिखाता है जिसके कारण घर के बच्चों को लगता है कि घर में भूत है और मीरा को जादू आता है ।

मिहिर कि वजह से घरवालो को पता चल जाता है कि घर के सभी बच्चे मीरा से होमवर्क करवाते थे वे खुद नहीं करते बच्चे बड़ो से कहते है कि घर मे भुत है लेकिन घर के बड़े नहीं मानते बल्कि वे उन्हे ही डाटते है वे समझते हैं कि वे अपने झुठ को छुपाने के लिए ये सब बोल रहे हैं । अब वे मीरा से डरकर उसे परेशान करना छोड़ देते हैं और उससे दूर -दूर रहते ।

कुछ साल ऐसी ही बीतते हैं अब तक वह घर के बड़ों के सामने नहीं आया था और न ही उन पर कोई जादू किया था ।जब मीरा असली में 16 साल की होती है तब उसे 18 साल का बताया जाता है और उसे असली में 18 साल का माना भी गया क्योंकि जब उन्होंने उसे सरकारी स्कूल में दाखिला कराया था तब उसकी जन्मतिथि को बदल दिया गया था उसकी उम्र को उसकी असली उम्र से 2 साल बड़ा कर दिया गया था ताकि उसकी प्रॉपर्टी को वे जल्दी से जल्दी अपने नाम करवा सकें । जब वह 16 साल की हो गई थी तब घर वाले ( रमेश ,सुरेश और कामिनी) उसकी प्रॉपर्टी को हथियाने का प्लान बनाते है ।

रमेश जल्दी ही प्रॉपर्टी ट्रांसफर के कागजात बनवाकर लाता है जिसमें लिखा था कि मैं मीरा अपनी मर्जी से अपने हिस्से के 50% जायदाद की 45% मेरे बड़े पापा रमेश और मेरे छोटे पापा सुरेश के नाम करती हूं । रमेश वसीहत ऐसे बनवा कर लाया था जिसमें 45% का 25% अपने नाम और 20% सुरेश के नाम था ।

अब तीनों मिलकर उसमे मीरा के हस्ताक्षर लेने की कोशिश करते हैं सुरेश वसीयत पढ़ लेता है उसे पता चलता है कि रमेश 25 प्रतिशत अपने नाम करवा लिया है और उसके नाम मात्र 20% किया है । सुरेश रमेश से पूछता है कि आपने ऐसा क्यों किया हम दोनों के नाम बराबर करवाना था न।

तब रमेश कहता है कि हमारे कारण ही तुम्हें यह 20% हिस्सा मिल रहा है यदि हम उस दिन तुम्हें काव्या और कबीर को मारने में नहीं शामिल करते तो तुम्हें या भी नहीं मिलता । सुरेश कहता है कि यदि मैंने उस काम को पूरा करने मे आपकी मदद नही की होती तो वह काम नहीं हो पाता तभी कामिनी करती है यदि मैंने आपको फोन करके नहीं बताया होता तो न हमको और न ही आपको कुछ मिलता। मैंने आपको फोन करके उस दिन बताया था तभी आपने मीरा को नहीं मारा नहीं तो हमें कुछ भी नहीं मिलता, सारी संपत्ति पंचायत को चली जाती आपको जितना मिल रहा है वह आपके काम के अनुसार काफी है अब सुरेश के पास बोलने को कुछ नहीं था वह 20% प्रॉपर्टी लेने को तैयार हो जाता है ।

जब सभी यह बात कह रहे थे तभी वहां से मिहिर गुजर रहा था उसने सारी बात सुन ली थी कि कैसे उन्होंने उसके माता पिता और उसकी हत्या की थी उसे यह भी पता चल गया था कि जो लोग की बात हाथी ने उसे बताया था वह रमेश और सुरेश है जो उसकी बहन को ले गये थे।

मिहिर को उसके मारने वालों का पता चल गया था वह गुस्से में तमतमा उठा था जिसके कारण आसपास के समान गिरने लगे समान को गिरता देख वह शांत हो जाता है और समान को वापस बिना किसी को पता चले जादू करके वापस रख देता है और वहां से बाहर चला जाता है वह सोचता है कि वह मीरा को इस बारे में बताएं य न बताएं लेकिन वह सोचता है कि मीरा को ना बताना गद्दारी होगी। क्योंकि उसे भी अपने माता पिता के मौत के बारे में जानने का हक है।

अब मीरा कक्षा बारवी में थी जब वह स्कूल से वापस आती है तो मिहिर मीरा को बताता है कि हमारे माता-पिता और मुझे मारने वाला कोई और नहीं बल्कि रमेश और सुरेश बड़े पापा हैं और उस काम में कामिनी बड़ी मम्मी भी सामिल थी मीरा यह जानकर चौक जाती है और वह सोचती है कि कोई कैसे अपने ही भाई के साथ ऐसा कर सकता है अब मीरा के मन में भी गुस्सा भरा हुआ था वह भी उसके भाई से वादा करती है कि वह अब उसकी और उसके माता-पिता के मौत का बदला लेगी और उनको सबक सिखाएगी।

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