Life after death

मौत के बाद जिंदगी

Part 1

सन् 2000

जैसे ही कमला ने उसे मुखाग्नि दी वैसी ही कमल की आत्मा उसके मृत शरीर से बाहर निकलती है और कमला को मुस्कुराते हुए अलविदा कहती है परंतु उसकी आत्मा को थोड़ा दुख भी होता है कि जिससे वह प्यार करता था उसके साथ वह जी भरकर जी नहीं सका ।

उसकी आत्मा ऊपर की ओर बढ़ते हुए , वहां - वहां जाती है जहां उसने अपनी जिंदगी बिताई थी और उन जगहों की आखिरी दर्शन करती है । फिर उसकी आत्मा घने बादलों की ओर हंसते मुस्कुराते बादलों के बीच नजारा देखते हुए यमलोक की ओर आगे बढ़ती है।

उसके रास्ते में कई सारे ग्रह उपग्रह, चमकते तारे ,धुंध , रंग बिरंगी बिजली इत्यादि दिखाई देती हैं इन सबको देखते हुए वह यमलोक के मुख्य द्वार पर पहुंच जाता है जहां उसे द्वार पर दो प्रहरी दिखाई देते हैं । वे एकदम डरावने थे उनकी आंखें लाल-लाल और मुंछ आकार में बहुत बड़े थे । उन्हे देख कर ऐसा लगता था मानो वे तुरंत अभी सबको मार देंगे । उसकी आत्मा यह देखकर डर जाती है परंतु वे उसे कुछ नहीं कहते वे उसे आसानी से अंदर जाने देते हैं।

अंदर प्रवेश करते ही उसे भयानक दृश्य नजर आते हैं वह छोटी सी जान यह सब देखकर चकित हो जाता है। वह देखता है कि लोगों को कांटो पर लिटाया गया है, उन्हें कोड़े से मारा जा रहा हैं उन्हें दहकती आग में झोंका दिया जा रहा है । यह सब देखते हुए वह आगे की ओर बढ़ते जाता है ।

यमराज के द्वार से जाने से पहले हर आत्मा को चित्रगुप्त के द्वार पर जाना पड़ता था । वह चित्रगुप्त के द्वार पर पहुंचता है। चित्रगुप्त का द्वार मोतियों, रत्नों और सोने चांदी से बना हुआ था । वह प्रकाश की चमक से भरा हुआ था। उनके द्वार पर आत्माओं की कतार लगी हुई थी वह भी उसी कतार में जाकर खड़ा हो जाता है ।

थोड़ी देर बाद उसकी बारी आने वाली थी उसके आगे केवल दो आत्माएं और बचे थे चित्रगुप्त एक-एक करके दोनों आत्माओं के कर्मो को देखते हैं और उनका हिसाब करके एक को कांटे पर 15 दिन तक लेटाने की सजा और एक को खोलते गर्म पानी में डालने फिर शूली में लटकाने की सजा देते हैं यह सब सुनकर कमल और डर जाता हैं और सोचने लगता हैं कि अब उसे क्या सजा मिलेगी।

अब कमल की बारी आती है उन दोनों की सजा को सुनकर वह पहले से डरा हुआ था चित्रगुप्त हिसाब करने के लिए अपना पुस्तक खोलते है। उसमे उसके पन्ने को खोजते हैं उसका पन्ना आसानी से नहीं मिलता। लेकिन थोड़ी देर बाद वह मिल जाता है। चित्रगुप्त उसके कर्मों का हिसाब करते हुए उसके पन्ने को पड़ने लगते हैं।

वे दोबारा- तिबारा कमल के कर्मों का हिसाब करते हैं फिर वे कमल को आश्चर्य से देखते हैं और‌ पाते है कि कमल की आयु तो पूरी नहीं हुई थी । वे कमल से कहते हैं पुत्र मैंने तुम्हारे कर्मों की गणना की और मैंने तुम्हारे कर्मों में कोई बुरे कर्म नहीं देखें तुम एक पुण्य आत्मा हो तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं। यह सब कहते हुए चित्रगुप्त अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि इस पुण्यात्मा को फूलों की रथ पर बिठाकर महाराज यमराज के पास ले जाओ । सेवक उसे फूलों की रथ पर बिठाकर उसे यमराज के पास उनके द्वार ले जाते हैं। रास्ते में वह बहुत सुंदर- सुंदर दृश्य देखता है जैसा उसने जिन्दगी में कभी सुना भी नहीं था।

कमल यमराज के द्वार पहुंचता है ।दरवाजा धीरे से खुलता है । वह धीरे धीरे उसके अंदर प्रवेश करने लगता है उसके उपर फुलो की बारिस होने लगती है जब वह यमराज के दरबार में पहुंच जाता है।

तब यमराज वहां प्रकट होते हैं । फिर वहां चित्रगुप्त भी पहुंच जाते हैं और हड़बड़ी में वे यमराज को उनके कानो के समीप जाकर कमल के कर्मों के बारे में बताते हैं , चित्रगुप्त उनसे कहते हैं कि यह आत्मा बहुत पुण्यात्मा है इसने जिंदगी में कभी कोई बुरे कर्म नहीं किए । वे यमराज को यह भी चुपके से बताते हैं कि इसकी मृत्यु हमारे गुप्तचर (कुत्ते) को बचाते हुए हुई है लेकिन इसकी मृत्यु का समय अभी नहीं आया था यमराज और चित्रगुप्त उसे नहीं बताते कि उसकी मृत्यु का समय नही आया था क्योंकि यदि वे उसे बता देते तो उन्हें सृष्टि के नियम में हस्तकक्षेप करना पड़ता।

यमराज यह सुनकर चकित हो जाते हैं और चित्रगुप्त से कहते है कि यह बड़ी अचरज की बात है कि जब इसकी मृत्यु ही नहीं आई थी तो वह कैसे मर गया ।वे कहते कि आप तो जानतें हैं जिसकी मृत्यु निकट नहीं आई होती उसकी मृत्यु नहीं हो सकती है। अगर हो भी जाती है तो वह धरती पर ही भटकता रहता है। यह कैसे संभव हो गया कि यह यमलोक तक आ गया। वे कहते है जरूर हमारे गुप्तचर कुत्ते ने उसे उसकी जान बचाने के बदले उसे स्वर्ग प्राप्त करने का वरदान दिया होगा तभी वह यहां तक आ पाया।

यमराज थोड़ा विचारते हैं और फिर कमल से कहते हैं कि पुत्र हम तुमसे बहुत प्रसन्न हैं तुम्हारे कर्मों ने हमें बहुत प्रसन्न किया जिसके कारण हम तुम्हें एक वरदान देना चाहते हैं । वे कहते हैं जैसे मुझे चित्रगुप्त जी ने बताया तुम बहुत बड़े पुण्यआत्मा हो तो हम तुम्हें एक वर देने का वचन देते हैं मागों क्या मांगना हैं।

कमल थोड़ी देर सोचता है और कहता है कि यमराज जी मैं दोबारा जीना चाहता हूं यमराज कहते हैं कि पुत्र तुम्हारी आयु तो पूरी हो चुकी थी और तुम्हारा मृत शरीर भी नष्ट हो चुका है अब तुम फिर से वह जिंदगी नहीं जी सकते यह नहीं हो सकता लेकिन हम तुम्हे नयी जिन्दगी दे सकते हैं।

कमल - यमराज जी मैंने जिंदगी में कभी जी भर कर प्यार नहीं पाया अगर मुझे दूसरी जिंदगी मिलती है तो मैं उस जिंदगी में जी भर कर प्यार पाना चाहता हूं । इस जिंदगी में न मुझे मां - बाप का प्यार मिला एक बूढ़ी मां मिली जिसका प्यार भी लंबे समय तक नहीं रहा और उनका जल्दी ही देहांत हो गया । ना ही मुझे भाई-बहन का भी सही से प्यार मिल पाया , एक बहन भी मिली जिससे मैं बहुत प्यार करता था उसे भी लंबे समय तक प्यार नहीं कर पाया और मेरी मृत्यु हो गई । न ही मेरे सच्चे दोस्त बने मै जी भर कर दोस्त बनाना चाहता हूं ,उनके साथ खेलना चाहता हूं ,मजाक करना चाहता हूं, उन सबका प्यार पाना चाहता हूं , मै खुब पढ़ना चाहता हूं । मुझे इस जिंदगी में प्यार नहीं मिला लेकिन अगली जिंदगी में मुझे सबका प्यार चाहिए ।

यमराज - यह सब सुनकर थोडे भावुक हो जाते है । कमल और कहता है ना ही मुझे दादा- दादी का प्यार मिला जो दूसरे बच्चों को मिलता है । मेरा परिवार भी नही था मैं तो हमेशा अकेले ही रहा अगली जिंदगी में सबका प्यार पाना चाहता हूं जिंदगी को खुल कर जीना चाहता हूं जो मैंने कहा वह सब पाना चाहता हूं यह कहते हुए कमल रुक जाता है ।

भावुक स्वर में यमराज कहते हैं कि पुत्र तुम्हारे अगले ज़िन्दगीयो में मनुष्य योग नहीं है लेकिन मैंने तुम्हें वरदान देने का वचन दिया है जो मैं निभाउंगा मैं तुम्हें तुम्हारी सभी इच्छा एक ही जिंदगी में तो नहीं दे सकता बल्कि मैं तुम्हें 7 जिंदगी दे सकता हूं। क्या तुम्हें यह स्वीकार है । कमल हां कहता हैं फिर यमराज कहते हैं तुम्हें 7 जिंदगी जीने होंगे लेकिन एक शर्त है तुम्हें प्यार आसानी से नहीं मिलेगा कभी तुम्हें - कभी तुमसे प्यार करने वाले को साबित करना होगा उस प्यार को पाने के लिए।

यह सब कहते हुए यमराज अपना हाथ आगे की ओर बढ़ाते हैं और 7 सुंदर चमकते हुए डिब्बे प्रकट होते हैं। यमराज कहते हैं मैं तुम्हारी आत्मा को इन डिब्बो‌ में विभाजित करके डाल देता हूं सही समय आने पर तुम्हारी आत्मा इन डिब्बों से स्वयं आजाद होकर अपने शरीर का चुनाव कर लेगी ।

कमल यमराज को वरदान के लिए धन्यवाद करता है तब यमराज जादू करते हैं और उसकी आत्मा को डिब्बों में विभाजित कर बंद कर देते हैं और सेवकों से उसे अंदर ले जाने को कहते हैं । इस तरह कमल की कहानी यही खत्म होती है अब वह समय बीतने के साथ अपनी नई जिंदगीयों में प्रवेश करेगा और नये जन्म लेगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में अच्छे कर्म करो क्योंकि बुरे कर्मो के हिसाब करने का भी समय आता है कभी-कभी जीते जी कर्मों का हिसाब हो जाता है तो कभी मर कर ।

upcoming

family love.

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