The story of young girl 2

जैसे मैंने बताया कि अब वह 9 महीने की गर्भवती थी। उसका बच्चा भी जन्म लेने वाला था। अब रोहित उसे ज्यादा देखने आने लगा और देखते ही देखते वह दिन भी आ गया जब उसके बच्चे का जन्म होने वाला था। वे पहले से ही पास के सरकारी अस्पताल में चले जाते हैं और वहां बच्चे का जन्म होता है। बच्चा बहुत ही सुंदर , गोरा और स्वस्थ पैदा होता है वे 2 दिन अस्पताल में रहते हैं और 2 दिन के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है ।

छुट्टी के बाद फिर प्रीता अपने कमरे में आती है और वहां रहने लगती है ।तीन ही दिन उसने अपने बच्चे के साथ बीताये थे कि उसके पापा रात को फोन करते है और वे कहते हैं कि इस बार वे पैसा देने खुद उसकी मम्मी के साथ आएंगे और वे कहते हैं कि वे कल ही आ रहे हैं ।

वे कहते हैं कि इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा यदि अगर तुम्हारी कक्षा होगी तो तुम्हें छुट्टी लेनी पड़ेगी। प्रीता घबरा जाती है और ठीक है कह कर फोन रख देती है। वह सोचने लगती है कि उसके माता पिता को उस पर शक होने लगा है इसलिए वे उसे कल ही मिलने आना चाहते हैं।

अब जो हुआ सो हुआ यह सोच कर अब वह इस बच्चे का क्या करें यह सोचने लगती है। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। उसके मन में अलग-अलग ख्याल आते हैं जैसे कि उसे अनाथालय में दे दे या उसे कहीं छोड़ दे इत्यादि।

सोचते सोचते रात हो जाती है और ऐसे ही सुबह भी हो जाती है। जल्द ही उसके माता पिता उससे मिलने आने वाले थे और थोड़ी देर बाद रोहित का फोन आता है वह कहता है कि तुम्हारे पिता उसके घर के दरवाजे के बाहर खड़े हैं और  दरवाजा खटखटा रहे हैं। रोहित फोन काटता है और दरवाजा खोलने जाता है।

दरवाजा खुलते ही वे प्रीता के बारे में पूछते हैं रोहित झूठ बोलते हुए उन्हें बताता है कि प्रीता पहले यहां रहती थी लेकिन अभी ही कुछ दिन पहले उसने यह घर छोड़ा है क्योंकि अब वे केवल लड़के छात्र को ही घर किराये पर देते हैं। रोहित बताता है कि वह दूसरी जगह रहने गई है वे उससे उसके नए पते के बारे में पूछते हैं ।रोहित बताता है कि उसने उसके जाने के समय उससे नए पते के बारे में पुछा था और वह उन्हें पता बताता है ।फिर वे नये पते की ओर आगे बढ़ते हैं।

जैसे ही वे जाने लगते हैं रोहित प्रीता को फिर फोन करता है और उसे बताता है कि उसके माता पिता उसके पते पर जा रहे हैं।

प्रीता और घबरा जाती है और सोचने लगती है कि बच्चे को कहां छुपाए फिर वह बच्चे को लेकर घर के बाहर  जाती है उसके घर के किनारे ही रेल की पटरीया लगी हुई थी । वह पटरी के किनारे खड़ी होकर बहुत सोचती है और आखरी निर्णय लेती है कि वह उसे पटरी के किनारे छोड़ देगी। वह उससे कहती हैं कि मैंने तुम्हें गर्भ के अंदर नहीं मारा, तुम्हारी रक्षा की, तुम्हारा ध्यान रखा लेकिन अब नहीं रख पाऊगी मेरी मजबूरियां हैं भगवान तुम्हारा ध्यान रखें यह कहते हुए वह बच्चे को वहीं छोड़कर अपने कमरे में आ जाती है और अपने आपको व्यवस्थित करती है कुछ समय बाद उसके पिता और माता उसके कमरे में आ जाते हैं।

प्रीता के माता पिता उसके कमरे के पास आ चुके थे जैसे ही वह दरवाजा खोलती है वह दरवाजे पर अपने माता-पिता को पाती है प्रीता उनको देखकर मुस्कुराती हैं और उन्हें अंदर बुलाती है और उन्हें बैठने को कहती है । वो उनके लिए पानी लाती है उसके बाद उसकी मां उसे अपने किनारे बैठने को कहती हैं और उससे पुंछती हैं कि तुम इतने दिनों तक घर क्यों नहीं आई और ना ही हमें आने दे रही थी।

तो वो थोड़ा मुस्कुराती है और कहती है कि मैं आप लोगो को परेशान नहीं करना चाहती थी। मुझे पता है कि पापा को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ होती है इसलिए मैं उनको परेशान नहीं करना चाहती थी अगर वे आते तो उनको ट्रेन में चढ़ने के लिए दौड़ना पड़ता। आप तो जानते ही हैं कि आजकल ट्रेन में कितनी भीड़ होती है और मैं इसलिए नहीं जा पाई क्योंकि यहां मेरी पढ़ाई जोरों से चल रही थी।

प्रीता की मां कहती है कि बेटा 6 महीने बीत चुके थे हमें तुम्हारी बड़ी याद आती थी और तुम्हारी बड़ी चिंता होती थी इसलिए हम इस बार तुमसे मिलने खुद ही आ गए । प्रीता फिर मुस्कुराती है और कहती हैं कि मुझे क्या होगा मैं तो चंगी भली आपके सामने खड़ी हुंँ प्रीता की मां उसे कहती है कि तू थोड़ी मोटी हो गई है ना ?

प्रीता फिर मुस्कुराते हुए जवाब देती हैं और कहती है कि मां यहां ज्यादा काम नहीं होता ना और यहां बैठकर पढ़ते - पढ़ते तो ऐसा हो ही जाता है । ऐसे ही उनके बीच में और कई सारी बातें होती हैं।

थोड़ी देर बाद प्रीता के पिता उसे बताते हैं कि 1 घंटे में वे यहां से निकल जाएंगे क्योंकि उनकी ट्रेन 2 घंटे बाद ही है प्रीता हां कहती है । 1 घंटा बात करते हुए बीतता है और वे उसे पैसे देकर रेलवे स्टेशन की तरफ निकल पड़ते हैं । जैसे ही वे निकलते हैं प्रीता दौड़ कर रेलवे पटरी के किनारे जाती है जहां उसने अपने बच्चे को छोड़ा था वह देखती है कि वहां उसका बच्चा नहीं था उसे दुख होता है कि उसने अपने बच्चे को खो दिया वह भगवान से प्रार्थना करती है कि उसका बच्चा सही सलामत रहे और वह भगवान से कहती है कि हे भगवान मुझे क्षमा करना मैंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। वह अपने बच्चे से भी क्षमा मांगती है और वहीं बैठ कर थोड़ा रोती है । कुछ समय बाद वह अपने कमरे में आ जाती है और अपने बच्चे को भूलने की कोशिश करती है लेकिन उसे उसके बच्चे की बहुत याद आती थी वह उसे याद करके रोती ।

समय बीतने के साथ वह अपने बच्चे को भुलाकर अपनी पढ़ाई पर पुरा ध्यान देती है कुछ महीनों बाद उसकी मेडिकल की परीक्षा भी होती है और उसमें उसका चयन भी हो जाता है जिस कारण लोगों को उसके अतीत के बारे में पता ही नहीं चलता ।

लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती यह कहानी और आगे बढ़ेगी और कमल की एक जिंदगी का हिस्सा बनेगी क्योंकि अतीत कभी नहीं छुपता वह किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है अभी के लिए प्रीता की कहानी यहीं खत्म होती है ।

# यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मजबूरी में हमें ना चाहते हुए भी कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं जो किसी की जिंदगी को नर्क में धकेल सकते है ।

हमने यह भी देखा कि प्रीता का बॉयफ्रेंड कैसी अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर भाग जाता है और सारा दोष प्रीता पर ही लगा देता है जबकि इस गलती के लिए दोनों बराबर जिम्मेदार थे। अगर हमने कभी कुछ गलती की हो तो हममे उस गलती की जिम्मेदारी लेने की हिम्मत भी होनी चाहिए।

कई बार हमारा समाज ही हमारे दुखों का कारण बन जाता है जिस तरह इस कहानी में बताया गया है कि प्रीता अपने बच्चे को रखना चाहती थी लेकिन समाज और परिवार के डर से वह अपने बच्चे को छोड़ देती है।

next -------The Struggle of Boy .

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