Life 2

Love you brother

Part 1

7 दिन बाद उसी समय उसी घड़ी जब 12 की घंटी बजती है तब एक और डब्बा खुलता है और कमल की एक और आत्मा तेज गति से धरती की ओर प्रस्थान करती है ।

इस बार वह एक ऐसी महिला के गर्भ में प्रवेश करती है जहां एक आत्मा पहले से ही प्रवेश कर चुकी थी अब कमल के आत्मा के जाने के बाद उसके गर्भ में दो आत्माओं का वास था जैसे ही दोनों आत्माएं उसके गर्भ में दाखिल होती हैं उन दोनों आत्माओं की जिंदगी की डोर एक दूजे से जुड़ जाती है और उन दोनों के बीच अटूट रिश्ता हो जाता है।

अब कहानी शुरू होती हैं इस कहानी में कबीर और काव्या  एक जोड़ा होता हैं ।  दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे । कबीर अपने परिवार से 900 किलोमीटर दूर काव्या के साथ रहता था। उनकी शादी घरवालों की मर्जी से ही हुई थी । शादी होने के 1 साल बाद काव्या मां बनने वाली थी उसने वह खुशी सबसे पहले अपने पति को दी । जब उसके पति को यह बात पता चला,तब वह फूला नहीं समाता और तुरंत अपने गांव में फोन करता है।

गांव में उसका भरा पूरा परिवार था उसके पिता गांव के मुखिया और बहुत बड़े रईस थे। उनका गांव में बहुत बड़ा बंगला और गांव में ही कारोबार था। कबीर की मां कुछ साल पहले ही गुजर चुकी थी । कबीर के और दो भाई थे जो थोड़े लालची थे ।वे कबीर की तरक्की से जलते भी थे। कबीर मुखिया जी का सबसे छोटा, लाडला और आज्ञाकारी बेटा था ।

कबीर के बड़े भाई का नाम रमेश और मझले भाई का नाम सुरेश था रमेश की पत्नी बहुत बड़े घर से आई थी वह स्वभाव में चिड़चिड़ी और गुस्सैल थी उसे हर चीज सुव्यवस्थित चाहिए होती। उसे झगड़ा करने का बहुत शौक था लेकिन वह ससुराल में नहीं कर पाती थी । वह हमेशा आसपास के लोगों की चुगली अपने पति से कहती रहती वह भी सुनकर आनंद लेता ।

सुरेश की पत्नी थोड़े छोटे घर से आई थी लेकिन वह बहुत ही सुंदर थी गांव वाले उसके स्वभाव के कारण उसका बहुत सम्मान करते और उसकी खूबसूरती के कारण उसे पसंद भी करते वह ज्यादा नहीं बोलती थी जिसके कारण रमेश की पत्नी कामिनी उसे परेशान करती और ताना भी देती पर फिर भी वह पलट कर उसे जवाब नहीं देती थी । छोटी बहू होने के कारण घर का ज्यादा काम वही करती थी । जैसे अकसर गांव के घरों में होता है।

रमेश और सुरेश के दो -दो लड़के थे बसंत और सूरज , कुणाल और प्रणय । चारों बहुत शरारती थे वे हमेशा उधम चौकड़ी मचाते रहते। बसंत 5 सूरज और कुणाल 3 और प्रणय 2 साल का था ।

उधर जब कबीर घर में बताने को फोन करता है कि वह पिता बनने वाला है तब उसके पिता फोन उठाते हैं कबीर उन्हें दादा बनने के लिए बधाई देता है थोड़ी देर में घर में चारों तरफ खुशी का माहौल फैल जाता है घर के सभी लोग बहुत खुश होते हैं और उसके पिता गांव के लोगों में लड्डू बटते हैं और बताते है कि वे पांचवी बार दादा बनने जा रहे हैं।

अब 1 साल बीत चुके थे जब भी उसके पिता उसे फोन करते उसे बार-बार कहते की कभी तो घर आ जाया कर ; जब से शादी के बाद से तू घर से गया है कभी नहीं आया । और कबीर हमेशा यही कहता कि अगली छुट्टी पर वह घर आएगा लेकिन उसकी नौकरी ऐसी थी कि उसे लंबी छुट्टी मिलती ही नहीं थी जिस कारण वह चाहकर भी घर नहीं जा पाता था।

ऐसे ही और 9 महीने बीतते हैं आज भी उसके पापा उसे फोन करते हैं और उससे कहते हैं कि जल्द ही 2 साल होने वाले हैं अब तो एक बार घर आ जा तुझे देखे मेरी आंखें तरस गई हैं ।

अब जल्द ही कुछ दिनों में काव्या की डिलीवरी होने वाली थी कबीर को पता था कि वह एक नहीं बल्कि दो बच्चों का पिता बनने वाला है। वह सोचता है कि वह अकेले ही दोनों बच्चों का कैसे ध्यान रखेगा क्योंकि डिलीवरी के बाद काव्या की तबीयत को ठीक होने में कुछ दिनों का समय लगेगा । फिर वह सोचता है कि इससे अच्छा क्यों ना घर जाया जाए।

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तभी कबीर अगले ही दिन छुट्टी के लिए उसके ऑफिस में अर्जी डाल देता है वह 15 दिन की छुट्टी लेता है क्योंकि उसकी सारी छुट्टियां बची हुई थी । जब उसे छुट्टियां मिल जाती है वह खुशी-खुशी यह खुशखबरी काव्या को देता है और उससे कहता है कि अब हम गांव जाएंगे और तुम्हारी डिलीवरी भी वही होगी क्योंकि उसकी डिलीवरी में 4 से 5 दिन ही बचे थे ।

काव्या और कबीर अपना सामान बांध लेते हैं और अगली सुबह-सुबह अपनी कार से घर के लिए निकलते हैं। घर से निकलने से पहले वे फोन करके उनके घर वालों को खबर कर देते हैं ।

कबीर के वहां से निकलने के एक दिन पहले ही उधर गांव में कबीर के पिताजी वसीयत बनाते हैं और वसीयत में 50% जायदाद कबीर के नाम और 25-25 % उनके बड़े और मझले बेटे रमेश और सुरेश के नाम कर देते हैं ताकि उसके बच्चे के जन्म के दिन कबीर के बच्चों को यह तोहफा दे सकें ।

जब रमेश और सुरेश को पता चलता है कि उनके पिताजी ने उनके हिस्से में केवल 25- 25% और कबीर के हिस्से में 50% जयदाद रखा है तो वे उसके पिताजी से पूछते हैं कि आपने ऐसा क्यों किया तो उसके पिताजी उन्हें बताते हैं कि हमारे कारोबार को बढ़ाने में कबीर का बहुत बड़ा योगदान है जब कबीर 12वी पास करके निकला था तो उसने नई तरकीब लगाकर उसने हमारे कारोबार को पहले से 10 गुना बढ़ाया था इसलिए मैंने 50% उसके नाम किया है। रमेश और सुरेश उस समय कुछ नहीं कहते है और जैसे आपकी मर्जी कहकर मुस्कुरा कर वहां से निकल जाते हैं।

जब वे अपने - अपने कमरे में पहुंचते हैं तो वे अपनी पत्नियों से बात करते हैं । रमेश की पत्नी रमेश पर बहुत गुस्सा करती है और कहती है कि आपने अपने पिताजी से बराबर हिस्से की बात क्यों नहीं की तो रमेश कहता है अगर मैं पिताजी से बहस करता तो जितना भी मिल रहा है वह भी नहीं मिलता ऐसी ही उसके और उसकी पत्नी के बीच लंबी बहस होती है।

उधर सुरेश अपनी पत्नी से बात करता है तो उसकी पत्नी कहती है पिताजी ने सही तो किया अगर कबीर भाई साहब की वजह से कारोबार 10 गुना बड़ा है तो उनका 50% हिस्सा तो बनता है ऐसे सुनने पर सुरेश गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकलता है और आंगन में आकर बैठ जाता है ।

थोड़ी देर बाद वहां रमेश और उसकी पत्नी भी आ जाते है वे भी गुस्से से भरे हुए थे और वे भी पिताजी के निर्णय का विरोध करते हैं ।

अगली सुबह जब उन्हें कबीर का फोन आता है और उन्हें पता चलता है कि कबीर कार से घर आ रहा है वे उनकी कहानी खत्म करने की योजना बनाते हैं क्योंकि अगर वे जिंदा ही नहीं रहेंगे तो उनका हिस्सा भी उनको ही मिलेगा ।

यह योजना रमेश की पत्नी कामिनी बनाती है । जब वह योजना रमेश और सुरेश को बताती है ,पहले तो वे दोनों थोड़ा झिझकते हैं पर कामिनी के बार- बार कहने पर वे भी मान जाते हैं।फिर वे योजना में  सामिल हो जाते हैं । अभी उनके पास लगभग 10 से 12 घंटे का समय था क्योंकि वहां से घर पहुंचने में लगभग 10 से 12 घंटे लग जाते थे वे अच्छी तरह सोच समझकर कर योजना बनाते हैं‌।

जैसे ही कबीर और काव्या वहां से निकलते हैं वे घर में फोन कर देते हैं कि वे निकल चुके हैं। वे आधे रास्ते में रुक कर खाना खाते हैं खाना खाने के बाद काव्या का पेट दर्द करता है । उन्हे लगता है कि पेट दर्द बाहर खाना खाने की वजह से है इसलिए काव्या एक दर्द की गोली खा लेती है और कार में ही आराम करती है । कबीर गाड़ी चलाता रहता है और काव्या आराम करती रहती है।

फिर वे थोड़ी देर एक जगह और रुक कर थोड़ा बाहर टहलते हैं क्योकी उनका शरीर बैठे-बैठे अकड़ गया था । वे वहां से फोन कर देते हैं कि अब वे लगभग 2 घंटे में घर पहुंच जाएंगे । वे थोड़ी देर रुककर वहां से आगे बढ़ते हैं । अब वे जल्द ही घर पहुंचने वाले थे।

लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। उन्हें घर पहुंचने के लिए जंगल से होकर गुजरना पड़ता था तो वे घने जंगल के रास्ते होते हुए जा रहे थे तभी जन्म की निर्धारित तिथि से 4 दिन पहले ही बच्चो का जन्म होने लगता है । काव्या का दर्द और बढ़ गया था और बच्चों का जन्म शुरू हो गया था यह सब कार में ही हो रहा था। इसलिए कबीर गाड़ी तेज चला रहा था ताकि वह काव्या को जल्दी अस्पताल पहुंचा सके ।

तभी उनके आगे एक ट्रक पड़ जाता है कबीर उस ट्रक से आगे निकलने की कोशिश करता है लेकिन कड़ी मेहनत के बाद वह उससे आगे निकल पाता है । अभी कबीर का ध्यान दोनो ओर बटा हुआ था एक तो रास्ते की ओर दुसरा दर्द से चिल्ला रही काव्या कि ओर।

तभी वह ट्रक तेज गति से उनका पीछा करता है और उनकी गाड़ी को जोर से पीछे से टक्कर मार देता है उनकी गाड़ी टक्कर की वजह से ढलान की ओर तेजी से नीचे उतरने लगती है। ढलान बहुत गहरी थी तब कबीर को लगता है कि अब उनका बचना मुश्किल है तब वह काव्या को कार से बाहर ढकेलने के लिए सबसे पहले उसका सीट बेल्ट निकालता है और गाड़ी को संभालना छोड़कर उसे बाहर धक्का देता है । काव्या नीचे गिरने पर थोड़ी चोटील हो जाती है पर वह सड़क के नजदीक ही गिर जाती है तभी गाड़ी तेज गति से नीचे उतरने लगता है।

कबीर की गाड़ी पहले एक पेड़ से टकराकर हाथी के बच्चे से टकराने वाला था जो जंगल में ही खड़ा था लेकिन उसे बचाने के लिए हाथी की माँ उसके आगे आ जाती है फिर कार हाथी की माँ से टकरा जाता है और हाथी भी बहुंत चोटिल हो जाता है । कबीर कार में बेहोश हो चुका था उसके सर से बहुत खून बह रहा था तभी कार में अचानक धमाका होता है । धमाके की वजह से कबीर उड़कर बाहर आ गिरता है और उस धमाके की वजह से उसका शरीर भी थोड़ा जल जाता है।

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