भाग - 19

शकील के सामने मैं सर झुका कर बैठा था ,ना जाने काजल ने मौसी से क्या कहा था की शकील ने मुझे बुलाया था..

“तो छोटे उस्ताद कैसे हो तुम ”

शकील के लहजे से मुझे समझ नही आया की ये ऐसे क्यों बोल रहा है ..

मैंने उसे सर उठा कर देखा वो मुस्कुरा रहा था

“ठीक हूँ भाई..”

“तो पूरा प्रॉफिट खुद ही डकार जाना चाहते हो क्या ?”

मैं चौंका

“क्या?? ये आप क्या बोल रहे हैं ”

“आज तुम्हे मार्किट से बड़ा प्रॉफिट हुआ है और तुमने हमे बताया भी नही ”

ओह्ह तो ये बात थी जो काजल ने मौसी को बताई और इसलिए शकील मुझे अपने पास ही रखना चाह रहा है ताकि साला अपने प्रॉफिट पर नजर रख सके

“अरे भाई मैं तो महीने के आखिर में आपको सारा हिसाब किताब देने ही वाला था। आप कहाँ काजल की बातों में आ गए वो तो नासमझ है उसे कहाँ हिसाब किताब की कोई समझ है ”

मेरी बात सुनकर शकील मुस्कुराया

“हाँ सही कहा तूने , इन साली रंडियों के बात में तो आना ही नही चाहिए ऐसे भी काजल तो सबसे बड़ी रंडी है हमारे रंडीखाने की है ना भोला ”

उसने पास ही खड़े 50-55 साल के दुबले पतले शख्स को देखा जिसका नाम भोला था, वो साला अपने सड़े हुए दांत निकाल कर हँसने लगा था..

रंडी ...काजल को उसने रंडी कहा था, उस काजल को जो मेरे लिए किसी देवी से कम ना थी , जिसने मुझे माँ वाला प्यार दिया था,जो मेरा पहला प्यार थी , जो मेरी मोहोब्बत थी ..

मैंने अभी तक की अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बार कितने लोगों से काजल के बारे में ये बात सुनी थी लेकिन कभी मेरे जेहन में वो दर्द नही उभरा था, मन किया की अभी शकील का चेहरा तोड़ दूँ लेकिन इतनी हिम्मत मुझमें नही थी ,शायद काजल को भी पता था की अगर मैं उससे प्यार करता हूँ तो ये दर्द मुझे जीवन भर झेलना पड़ सकता है शायद इसीलिए उसने मुझे अपने से अलग करने की सोची थी…

मैं बस अपना सर झुकाए हुए था। काजल को रंडी कहना मुझे बिल्कुल भी पसंद नही आया लेकिन मैं कर भी क्या सकता था। इन्हें ये तो नही बता सकता था की मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ और मेरे अलावा किसी को इसकी फिक्र ही कहाँ थी। यंहा तक की काजल ने भी इसकी क्या फिक्र की उसने तो मुझे अपने से दूर ही कर दिया था…

“सुन बे छोरे, एक बात दिमाग में भर ले ,अगर मुझसे गद्दारी की ना तो तेरी बहन से यंहा रंडी नाच करवाऊंगा समझा ,बहन है की नही तेरी ”

शकील की आवाज में एक दबंगई आ गई थी ,मैंने ना में सर हिलाया

“भाई ऐसे ये भी चिकना है ,इसका पिछवाड़ा मारने के लिए ग्राहक मिल जाएगा “भोला की बात सुनकर शकील फिर से बुरी तरह से हंसा फिर थोड़ा गंभीर हो गया..

“कितना मुनाफा कमाया आज तूने ”

“भाई 4 गुना लगभग जितना अपने दिया था ”

शकील और भोला दोनों की ही आवाज बंद हो गई ,मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर ये दोनों चुप क्यों हो गए मैंने सर उठा कर देखा तो वो दोनों आंखे फाडे मुझे ही देख रहे थे।

“साला इतना फायदा तो अपने धंधे में भी नही है बे , शाबास मेरे शेर ,अब तू एक काम कर....वो रंडीखाना छोड़ और यहीं रह तेरे लिए आलीशान कमरा तैयार कर देता हूँ और किसी चीज की जरूरत हो तो मांगने में बिल्कुल भी हिचक मत करना ,तुने आज इतना बड़ा प्रॉफिट किया है तो बोल आज तुझे क्या चाहिए, आज तेरी एक मुराद मैं पूरी कर दूंगा …” शकील के चेहरे में खुशी के भाव आ गए लेकिन मेरे लिए ये जगह किसी जेल से कम नही होने वाली थी ।

“अरे शर्मा क्यों रहा है बोल भी दे, दारू पियेगा या किसी रंडी को बुलावा दु ठोकने के लिए ”

शकील और भी मुस्कुरा रहा था..

“ मुझे एक बार काजल से मिलना है..”

मेरी बात सुनकर वो और भोला दोनों ही मुझे आश्चर्य से देखने लगे ..

“ मुझे पता था  ..” शकील ऐसे हंसा जैसे कोई बड़ा जोक सुना दिया गया हो ,वो जोरो से हँस रहा था जबकि भोला आंखे फाडे उसे ही देख रहा था..

अचानक ही शकील ने मुझे देखा, उसकी हंसी रुक गई थी और आंखों में जैसे अंगारे नाच रहे हो ,वो स्थिर आंखे जैसे अभी उनकी नशे फट जाएगी ,उसके आंखों में असीमित गुस्से का अंबार आ गया था, मैं उसकी इस मनोस्तिथि को समझ ही नही पा रहा था वो मुझे खा जाने वाली निगाहों से देख रहा था। ऐसा लगा जैसे वो सच में मुझे आंखों से ही मार देने वाला है। बहुत देर तक वो मुझे ऐसे ही घूरता रहा, मेरे हड्डियों में जैसे कंपन हो गई मुझे लगा की अभी ये उठेगा और मुझे जोरो से एक थप्पड़ लगाएगा या शायद जान से ही मार दे…

लेकिन...उसके चहरे के भाव अचानक ही बदलने लगे उसके होठों में मुस्कुराहट ने जगह ले ली थी ..

“जा आज दिया समय तुझे जितना समय तुझे चाहिए दिया, मिल ले काजल से ,मेरे आदमी तुझे वंहा ले जायेगें …”

उसने बड़े ही शांत भाव से कहा और अपने आदमियों को मुझे वंहा ले जाने की नसियत दे दी ,भोला के चहरे में असीम आश्चर्य देख मुझे माजरा कुछ समझ नही आया ,मैं उसे सलाम करके वंहा से निकला ही था की भोला की आवाज से मेरे पैर रुक गए। शकील के कमरे से मैं बाहर निकल चुका था और उसके आदमी मेरे आगे थे। मैं वहीं रुक कर उनकी बात सुनने की कोशिश करने लगा…

“आपने उसे काजल से मिलने की इजाजत दे दी भाई ” भोला की बात में आश्चर्य था…

“जाने दे उसे ,मैं चाहता हूँ की ये काजल से और काजल इससे इतनी मोहोब्बत करे की इन्हें जुदा करने में मजा ही आ जाए ”

उसकी बात सुनकर मैं दंग रह गया था।

“जैसे पिछली बार किया था ” भोला की हँसने की आवाज आयी, मैं और भी दंग हो गया, अब मुझे काजल की कही हर बात का मतलब समझ आने लगा था ..

“पिछली बार तो वो साली बच्ची ही थी, लेकिन इस बार तो उसे ऐसा तड़पाऊंगा की उसे अपने लिए फैसले पर जीवन भर दुख रहेगा, मुझे...ना...कहा था उसने आज देख दुनिया भर से मरवाते फिर रही है। इस बार उसे फिर से प्यार में पड़ने दे, फिर से उसके दिल को चकनाचूर करने का ये मौका मिला है जाने कैसे दूँ ”

शकील की आवाज मुझे किसी दैत्य सी लगने लगी थी।काजल के लिए उसके दिल में इतनी नफरत बेवजह तो नही हो सकती थी लेकिन उसकी बातों से इसका अनुमान साफ लगाया जा सकता था की वो काजल से कितनी नफरत करता है, वो चाहता था की काजल किसी से बेपनाह प्यार करे और फिर वो उस लड़के को काजल की जिंदगी से जुदा कर दे ,लेकिन क्यों….??

शकील के आदमी मुझसे दूर निकल चुके थे मैं झट से उनकी ओर दौड़ा अब इन सवालों का जवाब तो मुझे काजल ही दे सकती थी……….

********

मैं काजल कमरे के दरवाजे पर खड़ा था, अंदर भावनाओं का तूफान खलबली मचा रहा था। मैंने धीरे से दरवाजे को खटखटाया..

“कौन है …”

काजल की वो तीखी आवाज मेरे कानों से टकराई थी ।उसकी आवाज से मुझे समझ आ रहा था की उसका मूड कुछ ठीक नही है ,मैंने कुछ नही कहा था, शकील के आदमी नीचे खड़े थे, शायद मौसी के पास बैठे हो या पान के टपरी में बैठे गपिया रहे हो, शकील ने मुझे काजल से बात करने का पूरा समय दिया था…

दरवाजा खुला ...और …

काजल की निगाह मुझपर ही टिक गई वो थोड़ी घबरा गई थी…

“यंहा क्यों आया है तू शकील को पता चलेगा तो …”

“मैं उसकी परमिशन लेके ही आया हूँ ” वो थोड़ी चौंकी फिर कमरे से निकल कर नीचे देखने लगी उसे शकील के आदमी बेफिक्र दिखाई दिए होंगे, वो फिर से मेरे पास थी..

“यंहा क्या लेने आया है चूतिये, यंहा अब तेरा कोई भी नही है या मेरी लेने आया है ”

अब उसके चहरे में फिक्र की जगह गुस्सा था। मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराया

“अंदर नही आने को बोलोगी ”

वो मेरे चहरे को देखती रही मैं बिना कुछ बोले ही अंदर चला गया था और उसके बिस्तर में बैठ गया…

वो मुझे अब भी देख रही थी …

“तूने ऐसा क्यों किया काजल ,क्या तुझे मेरे प्यार में यकीन नही था…”

मेरी बात से उसके चहरे में एक अजीब सा तूफान आ गया था...वो थोड़ी देर चुप रही

“कितनी बार कहुँ तुझे की मुझे प्यार करने का हक नही है ,मैं अब एक रंडी हूँ बस एक रंडी जो लोगों के जिस्म की आग तो बुझा सकती है लेकिन …….लेकिन किसी को अपने सीने में जगह नही दे सकती ..”

वो थोड़ी झल्लाते हुए बोली लेकिन बोलते ही बोलते उसकी आवाज धीमी हो चुकी थी

“लेकिन क्यों…? क्या किया था शकील ने तेरे साथ जो तू प्यार से इतना डरती है ,तू शकील की फिक्र मत कर मैं उसे देख लूंगा…”

मेरी बात सुनकर थोड़ी देर के लिए उसकी नजर मेरे चहरे में जम गई , फिर उसके होठों में एक फीकी सी मुस्कान आ गई।

“तू शकिल को देख लेगा...मेरे लिए..कितनी बार तुझे कहुँ की तेरे सामने एक उज्वल भविष्य है ,इस रंडी के चक्कर में उसे खराब मत कर रे..अगर ऐसा कुछ हुआ तो सबसे ज्यादा मुझे दुख होगा, क्योकि इसका कारण मैं ही रहूंगी..”

वो रोते हुए बैठ गई थी मैंने बड़े ही प्यार से उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया वो मेरे सीने में छुपने लगी …

“तुझे नही पता की शकील कितना बड़ा कमीना है ,और वो चाहता है की मैं तुझसे बेपनाह मोहोब्बत करूँ ताकि उसे तुझे बर्बाद करने में मजा आये, मैं फिर से ये सब नही झेल पाऊंगी राहुल प्लीज्...प्लीज् मेरी जिंदगी से चले जा और फिर कभी मेरे बारे में मत सोचना ..”

उसके आंखों से टपकते हुए मोतियों ने मेरे कमीज को गीला कर दिया था। मेरी आंखों में कोई पानी नही था मैं बस अपनी ही दुनिया में खोया था। जो शकील हमे मिलने नही देना चाहता, जो शकील हमारे प्यार में सबसे बड़ी बाधा है मैं उसे ही मिटाने के ख्वाब देखने लगा था। मुझे पता था की उसके पास मुझसे ज्यादा पैसे हैं पॉवर है और मैं अभी तो उसका कुछ भी नही कर सकता लेकिन मैं अपनी काजल को भी नही छोड़ सकता था और काजल को पाने का एक ही रास्ता था ,शकील के नाक के नीचे से मुझे काजल को ले जाना था। मुझे काजल को इस जहन्नुम से आजाद करना था और अब मेरे लिए यही मेरा लक्ष्य था…

काजल ना जाने कब से मेरे चहरे को देख रही थी

“क्या हुआ तू कहाँ खो गया ..”

“मैं उस शकील को बर्बाद कर दूंगा, तुझे इस जहन्नुम से बाहर निकालूँगा, तू ही मेरी पत्नी बनेगी ,मेरा पहला प्यार है तू मैं तुझे किसी भी कीमत में नही खो सकता …”

काजल के चेहरे में आश्चर्य नाचने लगा था। वो थोड़े देर मुझे ऐसे ही देखती फिर …

‘चटाक’

एक जोरदार झापड़ आकर मेरे गालों में पड़ा…

“तू पागल हो गया है ,मैं तुझे समझाने की कितनी कोशिश कर रही हूँ और तू है की मेरी बात ही नही सुन रहा है, वो एक दैत्य है तुझे खा जाएगा, तेरा केरियर तेरे सपने, तेरे माँ बाप के सपने सबको खा जायेगा ,तेरे लिए क्या इन सबकी कोई अहमियत नही है ,तुझे बस अपनी पड़ी है, क्या चाहिए तुझे मेरा जिस्म ले अभी पूरी कर ले अपनी तमन्ना ”

काजल ने अपनी साड़ी का पल्लू अपने छाती से अलग कर दिया ,उसके आंखों में आंसू लेकिन चहरे में तमतमाहट थी …

और मेरे होठों में उसे देखकर बस एक मुस्कान ..

“तुझे भी पता है की मुझे क्या चाहिए, अगर ये ही सब चाहिए होता तो तू मुझे अपने से यूँ अलग नही करती ..है ना…”

काजल की नजर झुक गई और उसने मेरे सीने को एक जोर का मुक्का मारा और फिर मुझसे सट गई ..

“तू क्यों समझ नही रहा है ,हमारा यूँ मिलना खतरनाक हो सकता है। हमारा प्यार हमारी बर्बादी का कारण बन सकती है ”

अब वो खुलकर रोने लगी थी, वो मुझे समझाने में असफल रही थी ..

“मुझे सब चीजों की समझ है काजल और आज के बाद मैं ऐसे तुझसे कभी नही मिलूंगा, मुझे अपने सपनों की और अपने माता पिता के सपनों की भी फिक्र है और मैं उसे पूरा भी करूंगा लेकिन इन सबका मैं क्या करूंगा जब तू ही मेरे साथ ना हो ……..तू फिक्र मत कर आज के बाद हम कभी नही मिलेंगे लेकिन तुझे मुझसे एक वादा करना होगा…”

उसने फिर से मुझे असमंजस से देखा

“तू जब तक ठीक नही हो जाती तब तक कोई धंधा नही करेगी ,दूसरा बनवारी काका तुझे अगर कोई पैसे दे तो तू चुपचाप उसे रख लेगी ,तीसरा तू डॉ के पास नियमित जाएगी और समय पर अपनी दवाई लेगी ..बस इतना तुझे करना है करेगी ना..”

उसने मुझे झूठे गुस्से से देखा

“मतलब तू नही सुधरेगा ”

उसकी वो मासूम आंखे कुछ खिल गई थी जैसे उसे मेरे प्यार और प्यार की ताकत पर भरोसा हो गया हो ,

“मरना और बर्बाद होना इससे ज्यादा वो क्या बिगड़ लेगा मेरा और तेरा....हमने इससे भी बत्तर दुनिया देखी है काजल, अब हम और नही सताए जा सकते, अब तो रोने की बारी उनकी है जो हमारे बीच में आएंगे, मुझपर भरोसा कर ,तुझे भरोसा है ना ..”

हम दोनों ही एक दूजे की आंखों में खो गए थे। उसने बस हाँ में अपना सर हिलाया और मेरे होठों पर अपने होठों को रख दिया...हमारे होठ मिले ,इतने नाजुक होठों को चूमने के बाद भी मेरे जेहन में कोई हलचल नही कौंधी थी मुझे बस उसके प्यार भरे स्पर्श का अहसास हुआ ,वो नाजुक सी छुवन का अहसास ,वो मेरे प्यार की गंध जो मेरे नासिका में गहरा रही थी ,वो भरोसे की महक, वो दर्द के हर कतरे से आजाद होने की खुशी…

मैं उनमे डूब रहा था वो मुझमें डूब रही थी ना मेरे दिमाग में कोई शकील था ना ही कोई केरियर मेरे दिमाग में थी सिर्फ और सिर्फ मेरी काजल, मेरी काजल जिसे मैं सच में पाना चाहता था। ये पाना क्या होता है मुझे इसका आभास ही था क्योकि काजल तो शायद अब मेरी ही थी......

बस उसके पास होने के अहसास में ही वो खुशी थी जो दुनिया की कोई दौलत मुझे नही दे सकती थी और ना ही दुनिया का कोई डर मुझसे वो छीन सकती थी……...

कहानी जारी है...... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.....

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