भाग - 5

“साले बहुत खुश लग रहा है क्या बात है रंडीखाने में जाकर तो और भी चमक रहा है ..”प्यारे ने मुझे धीरे से कहा ,संजय सर और प्यारे ही वो दो व्यक्ति थी जिन्हें ये पता था की मैं कहा रहता हूँ ..“तू पहले ये देख ..”मैंने अपना बेग खोला जिसमे 40 हजार रुपये थे, प्यारे का मुँह खुला का खुला ही रह गया था ..“भाई इतने पैसे ..”“अबे धीरे बोल ..चल तझे समझाता हूँ ..”मैंने उसे सारी बात बताई ..“वाह यार ये सही जगह है तेरे लिए ..लेकिन बस …”“क्या हुआ ..”“अरे कुछ नही सोच रहा था की तू एक जवान लड़का है और वो एक खूबसूरत लड़की अगर तू कही बहक गया तो ..”मैंने प्यारे को घूरा…और एक गहरी सांस ली ..“भाई मैं उस जगह में रहता हूँ जंहा बहकने के लिए भी पैसे लगते है ,और हमारी जेब खाली है समझे, वो लोग बहुत ही प्रोफेसनल होते है फोकट में अगर छू भी दिया ना तो काट देंगे ...अबे मुझे नही मेरा वाला ”हम दोनो ही खिलखिला उठे, मुझे याद नही की हम ऐसे कब हंसे थे लेकिन जेब में पैसा हो तो एक अलग ही खुशी मिलती है ,ये मैंने उस दिन जाना था।पता नही एक अजीब से पावर की अनुभूति हो रही थी मुझे जैसे दुनिया मेरी मुठ्ठी में हो ...तभी याद आया की ये पैसा मेरा नही है …

“यार प्यारे लेपि कहा मिलेगा , सेकंड हैंड चाहिए और वो आकाश (हमारे क्लास का एक अमीर लड़का जो सरकारी कालेज में भी डोनेसन दे कर आया था ,शायद उसका बाप कोई बहुत बड़ा तोप था) के पास है ना ,अरे वो एक राउटर है ना जैसा कुछ वो भी मिल जाए तो …”“अच्छा पॉकेट वाईफाई ...ह्म्म्म अबे वो आकाश ही बेचने वाला है सुना था,साले के बाप के पास बहुत पैसा है ,बाजार में कोई नया मॉडल आये तो तुरंत पुराना बेच देता है ,तू बोले तो बात करे क्या उससे ..”मैं थोड़ा डर गया , क्योकि वो इतना हाई फाई आदमी था की हमारी उससे बात करने की भी हिम्मत नही होती थी ,हम जैसे लड़को के लिए उसका वर्ताव कीड़े मकोड़ो की तरह रहता था ..मेरे चहरे में आये हुए भाव देखकर प्यारे कहानी समझ चुका था …“एक काम करते है संजय सर से बोलते है ,वो कुछ जुगाड़ कर देंगे ..” मेरे चहरे में चमक आ गई। *****हम उसी टापरी में थे जंहा कल चाय पी रहे थे,संजय सर किन्ही लोगों के सामने हाथ बंधे खड़े थे,मैं उन्हें देखकर तुरंत पहचान गया था वो अविनाश था कालेज का ही नही बल्कि यूनिवर्सिटी का नेता था ..हमने जाकर उसे विश किया और हाथ बांधे संजय सर के साथ ही खड़े हो गए …अविनाश की नजर हमपर पड़ी ..“क्या रे छोटे लोग कैसे हो ..”“बढ़िया है सर ..’“क्यो बे ..क्या नाम है तेरा ..”उन्होंने मेरे तरफ उंगली की थी“सर राहुल ..”“ह्म्म्म फ्रेशर पार्टी में क्यों नही गया था ..तेरे सीनियर तेरी कंप्लेन कर रहे थे और एक हाथ क्या मारा किसी ने रोने लगा, मादरचोद तू इंजीनियर बनने आया की झाटु ..”“सर...वो ..” मैं कुछ बोलने ही वाला था की संजय सर बोल उठे ..“सर गरीब लड़का है ,रहने के लिए घर भी नही है इसके पास .उसी दिन इसे धर्मशाला वाले भी धक्के मार के भगा दिए थे। पेपर सर पर है और ऐसे में कोई इसे मारे तो बेचारा रोयेगा ही ना..”अविनाश ने एक बार मुझे घूरा..“अरे सालो तो मुझे क्यो नही बताया तुम लोगों ने ,तू भी मादरचोद संजय मुझको बड़ा भाई बोलता है और अपने लौंडो की प्रॉब्लम भी नही बताता ,नेता क्या झांट उखाड़ने के लिए बना हूँ मैं..क्यो बे हॉस्टल के लिए अप्लाई नही किया था क्या..”“किया था सर लेकिन सीट फूल हो गई थी …”“ह्म्म्म तो अभी कोई जुगड हुआ है की नही ..”मैं सोच में पड़ गया था की अब क्या बोलूं ..“हो गया है सर एक जगह नौकरी कर रहा हूँ वहीं रहने को भी जगह मिल गई है ..”“चल ठीक है तेरा अगले साल हॉस्टल में जुगाड़ करवा देंगे ...ठीक, मेरे सम्पर्क में रहना ,यंहा साले सब रहीस के चोदे भरे पड़े है। गरीब लोग अगर साथ ना रहे ना तो ये हमे अपनी जूती की धूल भी नही समझेंगे ..क्यो शंभु काका सही कहा ना ..” उसने चाय वाले को कहा“सही कहत हो भैया आपे तो एक हो जो इन चुतिया मन के गांड फाड़ के रखे हो ..”शंभु अपने पान से रचे दांत दिखाते हुए बोला ..“और संजय जो बोला उसपर ध्यान दे ,इस बार चुनाव में खड़ा हो जा ..”अविनाश ने फिर से संजय सर पर ध्यान लगाया ..“सर मैं यंहा पड़ने आया हूँ …”अविनाश सर ने उन्हें बड़े प्यार से देखा‘भोसड़ी के मैं भी यंहा पड़ने ही आया हूँ , जानता है ना यूनिवर्सिटी टॉपर हूँ ,लेकिन फिर भी पॉलिटिक्स में हूँ जानता है क्यों???क्योकि असली पवार इसी में है बेटा ,इन रहीस के चनों को उनकी औकात में रखने का यही तरीका है और साथ ही अपने भाई बंधुओ की बात रखने का भी ..वरना साला हम जैसे फटे जेब वालो की यंहा पर सुनता कौन है बे...सरकारी कालेज में भी साले पैसा और पवार के बल पर आ गए है भोसड़ी वाले …”अविनाश दिल का बहुत अच्छा आदमी था , पढ़ने में तेज था.,जात का ब्राम्हण था,गरीब घर का था लेकिन बोलने में तेज था और गाली से ही बात करता था ,जब वो किसी बड़े व्यक्ति से बात करता तो उसकी भाषा ही बदल जाती थी ...तेज तर्रार इतना था की यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स में छा गया था और कई बड़े नेताओं से मिलना जुलना भी था...वो चाहता था की संजय सर भी पॉलिटिक्स में आये लेकिन संजय सर ठहरे गांव के सीधे साधे आदमी जिसे पढ़कर अपने घर को संभालना था । “चल सोचना मेरी बात को ..चलो बे लवडो इलेक्सन आने वाला है और भी तैयारी करनी है …”वो अपने बुलेट में बैठा और चल दिया साथ ही उसके कुछ दोस्त भी थे …उसके जाने के बाद संजय सर भी मुस्कुराने लगे …“क्या हुआ सर क्यो मुस्कुरा रहे हो ..” प्यारे बोल उठा“कुछ नही यार वक्त भी कैसा बेरहम है साला इतने अच्छे सीधे साधे आदमी को क्या से क्या बना दिया ”

“सर मैंने सुना है जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। क्या पता नेता बनना भी इनके काम आ जाए ”“हाँ ये भी है ...तू सुना कैसे बीती कल की रात ..”संजय सर मुस्कुराए वही प्यारे हँस पड़ा ,मैंने सर को सभी बात बताई ,उन्होंने ध्यान से सुना और एक सेकंड हैंड लेपटॉप का भी जुगाड़ कर दिया …

*************मैं दरवाजा पीट रहा था ,थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला ..काजल की हालत देखकर मैं दंग रह गया था,बाल बिखरे हुए थे और पसीने से लथपथ थी ...चेहरा लाल पड़ा हुआ था । “क्या हुआ तुम्हे ..”“कुछ नही ऐसे क्यो दरवाजा पीट रहा था चल अंदर आजा ”वो दरवाजे से हटी और दौड़ते हुए बाथरूम में घुस गई । जोर जोर से खाँसे जा रही थी ..मैं अपना समान अपने बिस्तर पर रख चुका था ,वो बाहर आयी ..“तुम्हारी तबियत ठीक नही लगती ..”मैं उसकी हालत देखकर थोड़ा परेशान हो गया था । ‘अरे कुछ नही हुआ है मुझे ....अरे वाह तू ले आया ये ...क्या कहते है इसे ...चल फ़िल्म चलती है क्या इसमें …” वो लेपटॉप को उल्टा पुलटा के देख रही थी ..“हाँ चलती है लेकिन अभी नही ,अभी काम करना है मुझे ,देख इतना सारा पोथी है सब को इसमें टाइप करना होगा ..”वो मुह बना कर वँहा से चल दी और खाना बनाने लगी ,मैं बाथरूम में गया तो मुझे एक रुमाल दिखा जिसमे खून के छीटे थे ..“क्या हुआ है तुम्हे ,खांसी से खून निकल रहा है ??”वो मुझे घुरी ..“मादरचोद धीरे बोल किसी को पता चल गया ना तो ….यंहा से भगा देंगे मुझे …”मैं घबरा गया था मैं चुप ही हो गया ..फिर थोड़े देर बाद धीरे से बोला“लेकिन हुआ क्या है तुम्हे ..?”“मुझे क्या पता ?? खांसती हूँ तो खून निकलता है और कभी कभी तेज बुखार भी हो जाता है ,इसीलिए तो धंधा नही कर रही हूँ ..”वो फुसफुसाई ..“ओह...तो किसी डॉ को दिखाया क्या ??”“हाँ यही पास में एक डॉ को दिखाया था उस साले ने बहुत पैसा चूस लिया लेकिन ,..कुछ हुआ नही ..अब अगर कोई बड़ी बीमारी हुई तो साला कोई आएगा भी नही मेरे पास ,इसलिए आसपास के किसी डॉ से इलाज भी नही करवा सकती ,जो पैसे थे वो भी खत्म होने वाले है ,अगर धंधा शुरू नही किया तो …”उसके आंखों में पानी आ गया था । ‘मौसी से क्यो नही मांग लेती कुछ पैसे ..”वो मुझे घुरी“दो महीने का किराया अभी भी बकाया है,और वो मुफ्त में थोड़े ना पैसे देगी साली ना जाने कहा भेज दे मुझे ,मैं एक साथ कई लोगो का नही ले पाती अभी...वो ऐसी जगह में भेज देती है जंहा शराब पीकर कई लोग एक साथ चढ़ने आ जाते है।साले ये भी नही देखते की लड़की को बुखार भी है ।ना बाबा उनसे पैसे के लिए नही कहूंगी, 2-4 ग्राहक आ जाए तो किसी डॉ के पास चली जाऊंगी …”वो इतने भोलेपन से ये बोल रही थी की उसकी बात सुनकर मेरे आंखों में आंसू आ गए थे लेकिन वो अपने ही ख्यालों में खोई रही जैसे गिनती लगा रही हो ...फिर उसकी नजर मुझपर पड़ी वो थोड़ी चौकी ..“तुझे क्या हो गया”मुझे भी आभास हो गया था की मेरे आंखों में आंसू है । “कुछ नही, फिक्र मत कर मैं पता करता हूँ कोई अच्छा और सस्ता डॉ ..अभी मौसी का कुछ पैसा है मेरे पास उसी में मैनेज कर लेंगे ..”“मौसी का पैसा खायेगा तो वो तुझे खा जाएगी ..”मैं थोड़ा मुस्कुराया“फिक्र मत कर तू बस किसी को मत बोलना बाकी मैं देख लूंगा ..”वो खुश हो गई लेकिन फिर मुझे एक शक की निगाह से देखी..‘तू मेरी लेने के फिराक में तो नही है ना ”मैं हड़बड़ाया गया था और वो फिर से खिलखिला कर हँस पड़ी“अरे ले लेना जो पैसे देगा उसके बदले, काजल किसी का अहसान नही रखती ..”वो हंसते हुए बोली‘मुझे कुछ लेना वेना नही है ,खाना बन गया हो तो दो भूख लग रही है ..”काजल फिर से खिलखिला उठी ..“साला फट्टू है तू भी ,चल आज मेरे हाथ का खाना खिलाती हूँ तुझे ”

कहानी जारी है.... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में....

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