भाग - 11

दूसरे ही दिन काजल का टेस्ट हो चुका था उसमे 16 हजार खर्च हो गए, वो तो बड़ी ही बेचैन थी की आखिर उसे हुआ क्या है लेकिन मुझे कुछ कुछ समझ आ रहा था ।रिपोर्ट तो अगले दिन मिलने वाला था।मैं बैंक जाकर अपना खाता भी शुरू कर दिया, अब मेरे सामने जो सबसे बड़ा काम था वो था अपनी पढ़ाई करना, भला हो की मैंने कभी कोई बुक नही खरीदी .....असल में मैं लाइब्रेरीज़ से ही बुक्स उठा कर नोट्स बना लिया करता था और नोट्स को रिविजन् करना आसान होता है । मैं 1 घंटा निकाल कर शकील की दी हुई बुक भी पढ़ रहा था और उसके भी नोट्स बनाना शुरू कर दिया था।मेरे पास मेरा लैपटॉप था जिसमे मैं काजल को भी थोड़ा थोड़ा टाइपिंग ,नेट सर्चिंग के और कभी कभी शेयर मार्किट के बारे में भी बताता रहता था….पैसे की मुझे फिक्र नही थी क्योकि अभी 6 सप्ताह बाद ही कुछ हो सकता था।मैंने अपने पास मौजूद संसाधनों का भरपूर उपयोग किया था। कहते है ना की जिसके पास सुविधा नही होती उन्हें ही इसका उपयोग समझ में आता है ,वही मेरे साथ भी था।

परीक्षा के दो तीन  दिन पहले काजल ने मुझे माँ वाली फिलिंग देना शुरू कर दिया था। वो मुझे कुछ काम भी नही करने देती थी ,खुद ही वो मेरे जूठे बर्तन भी धो रही थी।जब मैं कुछ बोलता तो बस ये कहती ..“तू बड़ा साहब बन जा ,तो तुझसे पूरा वसूल लुंगी …”जब वो ये बोलती थी तो उसके आंखों में एक अजीब सी चमक आ जाती थी जैसे इस ख्वाब को वो खुद ही मेरे लिए देख रही हो …जाने कहाँ से मेरे लिए गाय का देशी दूध ला रही थी , उसमे केशर और बादाम का तेल डालकर मुझे पिलाती थी ,ताकि मेरा दिमाग तेज हो जाए ..उस पगली को मैं कैसे समझता की इन सब की मुझे आदत ही नही है, कभी किसी ने इतना प्यार मुझपर नही दिखाया था । मेरी माँ ने बस प्यार ही दिखाया लेकिन कुछ कर ही नही पाती । उतना संसाधन ही नही था उसके पास, पिता को रोजी रोटी से फुरसत नही थी, दो वक्त का खाना उन्होंने मुझे खिलाया यही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी।

उनके बारे में सोच कर कभी मेरी आंखे भी भर जाती थी , तो वो काजल होती जो मेरे आंखों से आंसू पोछकर मुझे हौसला दिलाती ,कहती की ..‘ऐसे रो कर अपने माँ बाप को खुस कर पायेगा क्या गांडू, अच्छे से पढ़ाई कर बड़ा साहब बन फिर अपने माँ बाप को राजा रानियों की तरह रखना ‘वो मुझे गांडू या चुतिया ही कहती थी लेकिन इतने प्यार से की मैं उसके लिए प्रेम से भर जाता था। जब घंटो एक जगह में बैठे हुए और बाहर से शोर से मैं थक जाता था ।तब वो मुझे अपने गोद में सुला लेती और प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरती …इसे दुनिया वाले रंडी ,छिनाल या ना जाने क्या क्या कहते थे लेकिन मेरे लिए तो ये माँ ,बहन और एक सच्ची दोस्त थी...जिसे मुझसे कुछ भी नही चाहिए था लेकिन अपना सब कुछ मुझपर लुटाने को तैयार थी …….मेरी परीक्षाएं उम्मीद से भी बेहतर गई और परीक्षा के बाद मैं पूरा ध्यान मार्किट को ही समझन में लगाना चाहता था।काजल का टेस्ट रिपोर्ट भी डॉ को दिखा चुका था।

हम दोनो की आपस में बातें भी हो चुकी थी , दवाइयाँ महंगी थी लेकिन मेरे पास पैसा भी काफी था। एक महीने की सैलरी भी मिल चुकी थी , कुल मिलाकर सब ठीक ही चल रहा था…और जब आपके साथ सब ठीक हो तो लोगो को मिर्ची लगनी शुरू हो जाती है , ऐसा ही कुछ काजल और मुझे खुश देखकर चाल में रह रही बाकी लड़कियों को लगने लगा था। साथ ही मौसी के भी कान भरने वाले पैदा हो गए थे……काजल से सबसे ज्यादा जलने वालो में उसके बाजू के ही कोठी की उमराव बेगम थी , उम्र में कोई 25 की थी , काजल से उसका हमेशा ही कम्पीटिसन सा रहता था, क्योकि उम्र का खास अंतर नही था दूसरा की वो भी काजल जितनी ही खूबसूरत थी , लेकिन काजल की तबियत खराब होने से काजल के ग्राहक उसके पास जाने लगे थे , कभी कभी काजल को ये डर भी लगता की कहीं इतने दिन के गेप के कारण उसका धंधा मंदा ना पड़ जाए।

उमराव खुश थी क्योकि उसका धंधा ज्यादा चल रहा था।काजल और उमराव जैसी खूबसूरत और जवान लड़कियाँ इस जगह मिलना मुश्किल था। इसलिए वो ज्यादा पैसे भी कमा लेती थी, लेकिन फिर भी उमराव के जेहन में मैं कांटे की तरह चुभने लगा था और मेरी क्या औकात थी की मैं किसी के जेहन का कांटा बनू लेकिन जो प्यार मेरे और काजल के बीच था वो वँहा कई लोगों के सीने में चुभने लगा था और उनमे से सबसे आगे उमराव ही थी …इस बात को लेकर कई बार उसकी और काजल से कहा सुनी हो जाती थी । दोनो जी खोलकर लड़ती भी थी ,और मेरे आने के बाद काजल मुझे सब कुछ बताती भी थी।मैंने लाख कहा की जाने दो इनकी बातों को लेकिन काजल तो काजल ठहरी …एक दिन ऐसा ही था.....मैं अपना आखिरी एग्जाम देकर कर वापस आया था , आते आते रात हो गई थी क्योकि लास्ट एग्जाम था और दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिता लिया था …दरवाजा खुला और सामने काजल का मायूस हुआ चेहरा था ..“ क्या हुआ फुग्गा(गुब्बारा) क्यों फुला हुआ है ”उसकी आंखे कुछ ज्यादा बड़ी हो गई थी …“वो उमराव साली ….” उसने गंदी गंदी गालियां देना शुरू कर दिया था।मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके सर में एक किस किया ..वो अचानक ही चुप हो गई ..“क्यों उसकी बात में आती है ..”“नही आती लेकिन वो बोल भी तो ऐसा ही कुछ देती है , आज कहती है की मैंने तुम्हें अपनी कच्छी और ब्रा में फंसा रखा है। साली छिनार सबको खुद के जैसा संमझती है ..”वो थोड़ी रुवांसि हो गई थी ..“लेकिन तेरी कच्छी और ब्रा तो इतनी छोटी है , उसमे मैं कैसे फंस जाऊंगा .....बोलना था ना उसे ये ..”वो मुस्कुराई ..और मेरे सर में एक चपत लगा दी“साले गांडू , उसका मतलब था की मैंने तुझे अपनी चूत के चक्कर में फंसा रखा है ”“लेकिन मैं कब तेरे चूत का चक्कर काटता हूँ ”ऐसा नही है की मुझे समझ नही आ रहा था की वो क्या कहना चाह रही है लेकिन मैं उसे बस मुस्कुराते हुए देखना चाहता था ..उसने अपना माथा पकड़ लिया ..“छि तू पूरा चूतिये का चुतिया ही रहेगा ...अब छोड़ मुझे ,चल जल्दी खाना खा ले ..मैंने उसे और भी जोर से जकड़ लिया“अरे बता तो सही की वो क्या कह रही थी जिसके कारण तेरा फुग्गा फुला हुआ है ”वो थोड़ी सीरियस हो गई“वो ये कह रही थी की मैंने तुझे फंसा के रखा है , वही सब करके जिसके लिए हमे रंडी कहा जाता है …” वो सच में सीरियस हो गई थी , उसकी आंखों में पानी की कुछ बूंदे आ गई थी और शायद पहली बार उसने किसी अभद्र शब्द का प्रयोग किये बिना ये कह दिया की रंडी होना क्या होता है।

मैंने उसे अपनी ओर घुमा लिया और उसकी आंखों में झांकने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो नीचे देख रही थी , मैंने उसकी थोडि को उठाया वो मुझसे नजर भी नही मिला पा रही थी ,“उसने कहा और तू दुखी हो गई ,हम जानते है की हमारे बीच का रिश्ता क्या है …”उसने नजर उठाई और मेरी आंखों में देखा“क्या है रे ..??? क्या है हमारे बीच का रिश्ता..??”उसकी इस बात से तो मैं भी निरुत्तर हो गया था ..“तू कितना शरीफ है ये मैं जानती हूँ लेकिन दुनिया तो यही देखती है की तू एक रंडी के साथ रहता है , उसके लिए इतना करता है ..तू दिल का साफ है लेकिन दुनिया संमझती है की तू इसके बदले मेरे साथ वही करता होगा…..रंडियों का एक ही रिश्ता होता है वो है ग्राहक और रंडी का , सभी तुझे मेरे एक ऐसे ग्राहक की तरह देखते हैं जो मेरे साथ ही रहता है ...”उसकी आंखे भीग चुकी थी ,मेरे पास उसे देने के लिए कोई उत्तर ही नही था क्योकि मैं जानता था की वो जो भी कह रही थी वो सभी सच था,मुझे अभी तक कई लोग कह चुके थे की तू काजल की जमकर लेता होगा। मैंने एक गहरी सांस ली और उसे अपने बांहो में भर लिया , वो मेरे सीने सिमट चुकी थी …“लोगों को कहने दे ना.....क्या फर्क पड़ता है ....हमे तो पता है ना...और हम उनकी चिंता क्यों करे ”“मुझे अपनी कोई चिंता नही है मैं तो हूँ ही रंडी लेकिन तू..”“अरे मेरी चिंता करना छोड़ मुझे कुछ नही होगा ”“ह्म्म्म दुनिया को लगता है ये तो ठीक है वो इसके अलावा और सोच भी क्या सकते है लेकिन .....लेकिन क्या तुझे भी ”वो मुझे देखने लगी...हमारी आंखे मिल चुकी थी। “क्या तुझे भी लगता है की मैंने तुझे फंसा लिया है,” उसके आंखों में कई सवाल खौल रहे थे ..मैं उसकी आंखों में देखने लगा , उसे कैसे कहुँ की मैं फंसा नही था, हाँ उसने तो मुझे नही फसाया था लेकिन मैं जरूर फंस चुका था, शायद उसके स्नेह में ही इतनी शक्ति थी की कोई बंधन तो हमारे बीच था । “तुझे क्या लगता है,?? मुझे ऐसा लगता होगा”मैंने सवाल के जवाब में सवाल किया“क्या पता, अब किसी पर जल्दी भरोसा नही होता ”वो पहली बार ऐसे सख्त दिखी थी लेकिन उसकी इस बात ने मेरे दिल में जोर का करेंट दे दिया...क्या अब भी उसे मुझपर भरोसा नही है ??मैं बस स्तब्ध सा उसे देखता रहा ,शायद उसने मेरी भावनाओं को समझ लिया था ..वो मेरे चहरे को अपने हाथों से पकड़ कर अपने पास खिंची, मैं उससे थोड़ा दूर हटने को हुआ ..“मेरा वो मतलब नही था, लेकिन मैंने जीवन में इतने धोखे खाये हैं की विश्वास कहीं खो सा गया है…” उसने कहामेरे दिल में ना जाने कैसी गहरी पीड़ा जागी थी मैं वँहा से हटना चाहता था। लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया था ..“मुझे माफ कर दो राहुल ”शायद पहली बार उसने मेरा नाम सही तरीके से लिया था …“माफ कर दो ,मुझे सच में नही पता था की मैं क्या कह गई...देख उस उमराव ने मेरे दिमाग में क्या भर दिया ”वो मेरा शर्ट पकड़कर रोने लगी थी मैंने उसे सहारा दिया ,अपने बांहो में भर लिया लेकिन …मैं ठंडा ही था...प्यार की उष्णता कहीं खोने लगी थी …….

कहानी जारी है..... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.....

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