भाग - 16

मैं कमरे की चौखट में खड़ा था। अंदर काजल मुँह फुलाये बैठी थी वहीं बाहर शबनम , मैं समझाता तो किसको …“इस साली रंडी के भाव तो देखो ,मोटे ग्राहक को ठुकरा दिया, साली खुद तो डूबेगी मुझे भी ले डूबेगी ..”शबनम खिसिया रही थी ..“चुप कर छिनाल जा कर चुदवा ले मुहल्ले भर से , मेरा कोई मूड नही है ..”काजल अंदर से ही चिल्लाई ,वो भी पता नही किस गुस्से में बैठी थी ..“हाँ साली चुदवाऊंगी , जो आएगा उससे चुदवाऊंगी, तेरे जैसा मेरे पास कोई परमानेंट ग्राहक नही है ..” वो मुझे देखकर बोली और काजल भड़क कर बाहर आने लगी“साली अपनी औकात में रह ..”मैंने चौखट में ही उसे पकड़ लिया वो मेरे बांहो में ऐसे छटपटा रही थी जैसे शबनम का कत्ल ही कर जाएगी ..“हाँ री छिनाल बोलूंगी , एक बार नही सौ बार बोलूंगी सारा चाल जानता है साली की तू अपने आशिक के कारण धंधा नही कर रही है , साली तू कहीं भी अपनी चूत फड़वा लेकिन हमारे पेट में तो लात मत मार ..”शबनम जाने को हुई , काजल को मैंने मुश्किल से संभाल कर रखा था..“रुक मादरचोद कहाँ जा रही है , मैं चूत फड़वाती हूँ, तू साली धंधे वाली ,छिनाल साली रांड , एक ग्राहक क्या गया मुझ पर इल्जाम लगा रही है ..”काजल कूदे जा रही थी , मेरे लिए उसे संभालना मुश्किल हो रहा था, तभी शबनम रुक गई और काजल को देखने लगी, उसकी आंखों में आंसू के बूंद आ गए थे..“हाँ चुदवाते हैं हम ,रोज चुदवाते हैं, हैं रंडी, तभी तो पेट पलता है हमारा, तेरे पास तो तेरा आशिक है कहीं से भी लाकर खिलायेगा, हम क्या करेंगे, हमारे पेट पर क्यों लात मार रही है ..”शबनम को सुबकता हुआ देखकर काजल बिल्कुल ही शांत हो गई, मैंने भी उसे छोड़ दिया, वो शबनम के पास जाकर उसके कंधे में हाथ रखकर उसे अपने गले से लगा ली ..मैं बस देखता ही रहा की ये अचानक कैसा परिवर्तन आ गया है ..“माफ कर दे बहन लेकिन उसके साथ चली जाती तो पता नही वापस आ भी पाती की नही , वो साला तो इतने गुस्से में था की पूरा नोच कर ही खा जाता ..”काजल जिसे कुछ देर पहले रंडी छिनाल कह रही थी अब उसे इतने प्यार से बहन कह रही थी ..शबनम और भी सुबकने लगी ..“जानती हूँ बहन लेकिन हमारा तो काम ही ये है, नही करेंगे तो खाएंगे क्या, अभी जवानी है तो लोग पैसा भी दे रहे है । वरना मौसी को देख ना ...कोई 50 रुपये भी तो नही देता बूढ़े शरीर के ..अभी कुछ कमाएंगे तो बुढ़ापे के लिए कुछ बचा भी लेंगे,”काजल की आंखों में भी आंसू आ गया था...और उसकी बातों में जो दर्द था उसने मेरा दिल भी भर दिया …आसपास की महिलाएं भी जमा हो गई थी , जिनके पास ग्राहक नही था वो सभी इधर ही देख रही थी , सभी कुछ ना कुछ इन्हें कह रही थी , पास वाली मौसी चिल्लाई“बढ़िया हुआ उस कमीने के साथ नही गई , साले रंडियों को तो इंसान ही नही समझते , जाती तो नोच डालता पता नही क्या क्या डालता तेरे अंदर ”पास खड़ी महिलाएं जोरो से हँस पड़ी साथ ही काजल और शबनम भी ,फिर एक दूसरी औरत बोली“अरे काजल लेकिन 5 लाख कम नही होते, मारता पिटता तो भी इलाज तो हो ही जाता ”किसी ने कहा“अरे साली रांड 5 लाख में आधा तो वो दल्ला बनवारी ले जाता, पूरी मेहनत ये करे और घी खाये वो साला दल्ला ..”सभी जोरो से हँसे तभी बनवारी जो की नीचे ही खड़ा था वो भी चिल्ला पड़ा ..“अरे मौसी दल्ला हूँ तो क्या हुआ ,काम तो सही करता हूँ”“क्या खाक काम करता है मादरचोद ऐसे ग्राहक लाता है ,अगर वो इसको मारता तो बचाने जाता क्या ”

“अब 5 लाख के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा ना मौसी”“तो साले अपनी माँ बहन को भेज दे ना ”“क्या करे मौसी वो तुम्हारे जैसी नही है ना सेक्सी ”सभी फिर से खिलखिला उठे …“तू फिक्र मत कर मैं तुझे अच्छा मोटा ग्राहक दिलवाऊंगी ”काजल ने शबनम के गाल को सहलाते हुए कहा ..वो भी मुस्कुरा उठी..“हाँ दुसरो को ग्राहक दिलवा और तू , शादी वादी करने वाली है क्या इस चिकने से ”पास खड़ी औरतों के साथ काजल भी ऐसे हँसी की मैं बुरी तरह से शर्मा गया..“क्या मौसी बेचारे को नरभसा दिए “काजल ने झूठे गुस्से में कहा ,हँसी ठिठोली के बीच ग्राहकों का आना जाना चल रहा था। मैं उन हंसते और झगड़ते चेहरों को देख रहा था, बात बात पर एक दूसरे को गाली देने लग जाते, मारने में उतारू हो जाते और थोड़ी ही देर में एक हो जाते, ऐसा लगता की जैसे सबसे अच्छे दोस्त हो , कोई कपट किसी चेहरे में नही थी , बीते वक्त के सताए इन चेहरों में भी खुशियों को जीने का जज़्बा था, गालियां देने और खाने का हौसला था और प्यार जताने की हिम्मत …जब प्यार करने पर आते तो सब लुटा देते और जब दुश्मनी निकालने पर आते तो सब गवाने को भी तैयार रहते, असल में उनके पास लुटाने और गवाने को कुछ था भी तो नही ,अगर कुछ होता तो यंहा क्यों होते...ये ही इस रंडीखाने की असली हकीकत थी , बिना किसी आशा के भी उनके नरक जैसे जीवन में भी एक उमंग थी, जब दर्द उतरता तो जमाने का दर्द उन आंखों में उतर जाता था और जब हँसी छूटती तो उस हँसी से जमाना ही खिल जाता, बूढ़ी उदास पनियाई आंखे हो या जवान मदमस्त खिली हुई आंखे, सभी में एक समानता जरूर थी ..यंहा कोई सपने नही देखता ……...

कहानी जारी है...... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.....

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