The Secret Bride Of a Mafia
शहर की सबसे ऊँची बिल्डिंग – Malhotra Empire – की टॉप फ्लोर पर खड़ा एक शख्स अपने शहर को वैसे देख रहा था, जैसे किसी बादशाह ने अपनी सल्तनत को देखा हो।
उसके पीछे कांच की दीवारें, सामने चमकती लाइट्स, और उसके हाथ में एक ग्लास — whiskey हल्के-हल्के हिल रही थी, पर उसके चेहरे पर एक भी लहर नहीं।
आर्यन मल्होत्रा — नाम ही काफी था।
एक ऐसा नाम, जो बिज़नेस वर्ल्ड के टॉप लिस्ट में आता था।
एक ऐसा चेहरा, जो हर अखबार के फ्रंट पेज पर छपता था।
लेकिन उसकी असली कहानी? वो सिर्फ कुछ गिने-चुने लोग जानते थे… और वो सब या तो उसकी टीम में थे, या ज़मीन के नीचे।
“Shipment कहाँ पहुँचा?” उसकी आवाज़ साइलेंस तोड़ते हुए कमरे में गूंजती है।
फोन के दूसरे छोर से जवाब आता है, “Boss, Dubai से माल रवाना हो गया है। पर FBI की नज़र तेज़ है।”
आर्यन की आँखों में कोई डर नहीं झलकता। सिर्फ एक ठंडी मुस्कान, “तेज़ है… तो टूटेगा भी जल्दी।”
उसी वक़्त
एक सुनसान बिल्डिंग की छत पर, एक शख्स कैमरा सेट कर रहा था। दूर से आर्यन की मूवमेंट्स रिकॉर्ड हो रही थीं।
“Target in visual. Malhotra is in the building,” उसने अपने वायरलेस में कहा।
एक फीमेल वॉइस जवाब देती है, “Maintain the distance, Agent 47. हमें सबूत चाहिए, अंदाज़ा नहीं।”
FBI की टीम पिछले चार महीने से आर्यन पर नज़र रख रही थी।
डील्स, बिज़नेस ट्रांजेक्शन्स, अंडरवर्ल्ड कनेक्शन — सब कुछ एक फाइल में जमा किया जा रहा था। लेकिन वो चालाक था। उसका हर क़दम ऐसा था, जैसे शतरंज का मास्टर हो… और सामने वाला सिर्फ प्यादा।
दूसरी तरफ
रंग-बिरंगे बैलून, कैंटीन की आवाज़ें, और कॉलेज के गलियारे…
वहाँ एक लड़की अपने दोस्तों के साथ हँस रही थी — उसकी हँसी में ऐसी मासूमियत थी, जैसे ज़िंदगी ने अभी उसे छुआ तक न हो।
सिया वर्मा — सोशल वर्क की स्टूडेंट, दिल से सीधी-सादी और दुनिया की चालाकियों से दूर।
“अरे सिया! तूने आज फिर अपनी चप्पल उल्टी पहन ली!” एक दोस्त ने चिढ़ाया।
सिया हँसते हुए बोली, “कम से कम पहन तो ली! तुम लोग तो आज लेट ही हो!”
उसकी आँखों में कुछ अलग था — न सपने बहुत बड़े थे, न ख्वाहिशें भारी।
बस छोटी-छोटी चीज़ों में वो खुश रहना जानती थी।
उसे क्या पता था… कि उसकी सीधी-सादी दुनिया जल्द ही टकराने वाली है एक ऐसे तूफान से… जो उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगा।
रात को
आर्यन अपनी गाड़ी में बैठकर किसी सीक्रेट लोकेशन की ओर निकला। उसके बॉडीगार्ड्स पीछे-पीछे।
FBI की टीम भी तैयार थी — एक छोटी सी गलती, और रेड की योजना थी।
लेकिन आर्यन को सब पता था। उसकी दुनिया में कोई उसकी मर्ज़ी के बिना साँस तक नहीं ले सकता था।
उसने अचानक अपनी गाड़ी रोक दी।
पीछे खड़ी surveillance वैन में बैठे एजेंट चौंक गए।
“Why did he stop? Did he sense us?”
“Maintain silence… don’t move…”
आर्यन उतरा, पीछे मुड़ा, और अपनी ठंडी आँखों से अंधेरे में देखा। मानो अंधेरे से भी बातें कर लेता हो।
उसकी आवाज़ धीमी लेकिन तेज़ थी, “अगर पीछा करोगे… तो खेल खत्म कर दूँगा।”
अगली सुबह,
सिया कैंटीन की खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में कॉफी और सामने खुली हुई डायरी।
वो कुछ लिख रही थी — अपनी ही दुनिया में गुम।
शब्द उसके दिल से निकलकर पन्नों पर उतर रहे थे — बिल्कुल वैसे ही जैसे वो महसूस करती थी, बेझिझक, सच्चे।
“कभी-कभी लगता है, ज़िंदगी एक शांत समुंदर है…
लेकिन कब उसमें कोई तूफान आ जाए, पता ही नहीं चलता।”
वहीं दूसरी तरफ — उसी शहर के किसी दूसरे कोने में आर्यन मल्होत्रा एक ब्लैक SUV में बैठा अगली डील की तैयारी कर रहा था।
“उसके बारे में पता लगाओ,” उसने अपने आदमी से कहा।
“किसके बारे में, सर?”
आर्यन की नज़रों में अजीब सी बेचैनी थी।
“जिसका नाम अभी नहीं जानता… लेकिन जिसकी झलक उस रात दिखी थी। कुछ था उसकी आँखों में… शांति… जो मेरी दुनिया में नहीं है।”
उसके मुंह से ये बात निकलते ही वो खुद भी थोड़ी देर के लिए चुप हो गया।
शहर के दो कोनों में बैठे दो लोग… जिनका मिलना अभी बाकी है, लेकिन उनकी किस्मतें एक ही धागे से बंध चुकी हैं।
सिया की उंगलियाँ कॉफी कप के किनारे घूम रही थीं, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था।
डायरी के पन्ने पर पेन चलते-चलते रुक गया।
उसने खिड़की से बाहर झाँका — हल्की सी हवा चल रही थी, और आसमान पर बादल तैर रहे थे।
उसके बगल में बैठी तृप्ति बोली, “किसके ख्यालों में खोई है, मैडम?”
सिया हल्का मुस्कुराई, “बस यूँ ही… कल रात एक सपना देखा। किसी अनजान शहर में थी… और कोई पीछे-पीछे आ रहा था। पर चेहरा साफ़ नहीं दिखा।”
“उफ्फ… अब तो तुम भी फिल्मी होने लगी हो!” तृप्ति ने उसकी डायरी छीन ली, “क्या लिखा है इसमें? फिर से कोई शायरी?”
सिया ने हाथ बढ़ाया, “दे ना… सब कुछ नहीं लिखा जाता, कुछ चीज़ें बस महसूस की जाती हैं।”
तृप्ति ने उसे देखा, फिर डायरी वापस दे दी। “तू पागल है सिया… पर प्यारी भी।”
दूसरी ओर
आर्यन मल्होत्रा अपने प्राइवेट ऑफिस में बैठा CCTV फीड्स देख रहा था — पूरे शहर में उसके अपने कैमरे लगे थे।
हर गली, हर मोड़, हर चेहरा।
पर आज उसकी आँखें एक अनजाने चेहरे की तलाश में थीं — उस लड़की की, जिसे उसने एक शाम बाज़ार में देखा था।
वो बस दो सेकंड की झलक थी… भीड़ के बीच से गुजरती एक मासूम सी मुस्कान।
लेकिन आर्यन की आँखों में वो मुस्कान अब तक जिंदा थी।
“सर, आज रात डी-क्लास लोकेशन पर मीटिंग है,” उसका राइट हैंड मैन बोला।
आर्यन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, “गाड़ी तैयार रखो। और उस लड़की को ढूँढो। उसका नाम, कॉलेज, बैकग्राउंड — सब चाहिए। कुछ ऐसा है… जो समझ नहीं आ रहा।”
“क्या आप उसे पहचानते हैं?”
“नहीं…” आर्यन की आँखें स्क्रीन पर टिकी रहीं, “पर शायद मेरी किस्मत उसे पहचानती है।”
शाम के समय
सिया और उसकी क्लासमेट्स ने एक NGO विज़िट की प्लानिंग की थी। बच्चों के साथ समय बिताना, उनकी लाइफ स्टोरीज़ सुनना — यही उसका सुकून था।
NGO की इमारत के बाहर हल्की हलचल थी।
सिया आज कुछ बच्चों से मिलने आई थी, जिन्हें वो पिछले हफ़्ते से कहानी सुनाने का वादा कर चुकी थी।
वो भीतर गई, बच्चों से मिली और उन्हें लेकर बैठ गई — सब बच्चे गोल घेरा बनाकर बैठ गए और सिया ने अपनी वही जादुई आवाज़ में कहानी शुरू की।
उसके शब्दों में ऐसा जादू था कि बच्चे भी खो से गए।
वहीं दूसरी ओर… शहर के उसी इलाके में आर्यन मल्होत्रा की कार धीरे-धीरे निकली।
वो NGO की बिल्डिंग के सामने से गुज़रा, एक हल्की सी झलक पड़ी — बच्चों की हँसी, एक लड़की की आवाज़, और बहुत सारी सादगी।
कार के अंदर बैठे-बैठे उसने एक नज़र उस इमारत पर डाली, लेकिन ज्यादा देर नहीं रुका।
वो उस मंज़िल से बस गुज़रा, ठहरा नहीं।
“ये इलाका तुम्हारे टाइप का नहीं है, सर,” ड्राइवर ने बोला।
आर्यन ने सिर्फ इतना कहा, “कभी-कभी सुकून की तलाश में इंसान ऐसे ही रास्तों से गुजरता है, जहाँ वो कभी नहीं रुकता।”
NGO ke अंदर
सिया बच्चों को कहानी सुना रही थी:
“और तब राजकुमारी को नहीं पता था कि उसके राज्य की सीमा के बाहर एक तूफ़ान धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा है… मगर वो तूफ़ान क्या था, ये उसे अभी पता नहीं था।”
रात के वकत,
आर्यन अपने ऑफिस की बालकनी में खड़ा था, सिगार जलाते हुए।
उसके दिमाग़ में ना आज की डील थी, ना FBI की फाइलें।
बस एक पल — जो यूँ ही सड़क से गुजरते वक़्त आया था… और चला गया।
लेकिन किसी की आवाज़, किसी की हँसी — कहीं दिल को छू गई थी।
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