प्रेमिका से मिलन कि उम्मीद खत्म

वहां पहुंच कर वैशाली की बड़ी भाभी युग से पूछती है? “यह बताओ तुम पूर्व जन्म में कौन से गांव के रहने वाले थे।”

“मैं और वैशाली इंद्रलोक गांव के रहने वाले थे।” युग बोला 

“और तुम्हारा दुश्मन देवा जल्लाद किस गांव का रहने वाला था।” बड़ी भाभी पूछती है?

युग ही पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था, इसलिए वह थोड़े से गुस्से में बोलता है “ना तो देवा जन्म से जल्लाद था ना ही वैशाली पन्ना का जन्म से दुश्मन वैशाली उसकी मंगेतर ही नहीं बल्कि उसका जीवन यानी की सांसे थी। वैशाली पन्ना ने आपस में नाजायज संबंध बनाकर देवा को जीते जी मार दिया था।”

कभी-कभी मुझे शक होता है कि तुम पूर्व जन्म में पन्ना नहीं बल्कि, देवा जल्लाद थे, क्योंकि तुम जो भी बोलते हो देवा के पक्ष में बोलते हो  देवा जल्लाद जैसी ही बातें करते हो और तुम्हारा खानपान भी देवा जल्लाद जैसा ही है। इसलिए तुम जब तक पक्का सबूत नहीं दोगे कि तुम देवा जल्लाद नहीं बल्कि पन्ना हो मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी।” वैशाली बोली

“वैशाली जो बोलो सोच समझ कर बोलो अगर तुम्हारी प्रताप से शादी नहीं हुई तो प्रताप उसका बाप तुम्हारे दोनों भाइयों को बर्बाद कर देगा।” वैशाली की छोटी भाभी बोली

“मैं मूर्ख यह सोचकर खुशी-खुशी आप दोनों के कहने से यहां आया था कि आप दोनों भाभियां वैशाली मेरी पूर्व जन्म की सच्चाई पर विश्वास करके वैशाली मेरी शादी करवाने के लिए वैशाली के दोनों भाइयों को राजी कर लोगी।” युग बोला

“तुम दोनों की बातों में कुछ तो सच्चाई है, इसलिए बस तुम वैशाली और हम दोनों को यह यकीन दिला दो की तुम अपने पूर्व जन्म में देवा जल्लाद नहीं बल्कि, वैशाली के प्रेमी पन्ना थे। और इस बात का यकीन होते ही हम दोनों अपना घर बर्बाद करके भी तुम्हारी शादी वैशाली से करवा देंगे, इस बात का वचन में अपनी देवरानी की तरफ से भी देती हूं।” बड़ी भाभी बोली 

“यह मेरी जेठानी नहीं बल्कि बड़ी बहन जैसी है, इसलिए आज तक मैंने इनके हर एक फैसले का सम्मान किया है और जीते जी करती रहुंगी।” छोटी भाभी बोली 

अपनी दोनों भाभियों की यह बात सुनकर वैशाली अपनी दोनों भाभियों को एक साथ पड़कर  अपने गले से लगा लेती है। 

भाभियों की यह बात सुनकर वैशाली के चेहरे पर ऐसी खुशी आ जाती है जैसे की बरसों से बिछड़े प्रेमी से प्रेमिका का मिलन हो गया हो। 

इस खुशी में वैशाली कभी जल मुर्गियों को नदी में पत्थर मार कर उड़ती है, कभी हरी हरी घास खाते खरगोशों को गोदी में उठाने के लिए भागती है।

किंतु उधर युग यह सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि जब मैं पूर्व जन्म में पन्ना था ही नहीं तो पन्ना के विषय में कुछ बता कैसे सकता हूं।

और युग कि परेशानी तब और बढ़ जाती है जब वैशाली पूछती है? “तुम कीमती हीरे की अंगूठी कहां से लाए थे और मुझे इस वीराने जंगल में तुमने अकेले क्यों बुलाया था, जहां आज आबादी है यानी कि मेरा गांव है यह सब मुझे मालूम है बस एक बार तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं।”

पन्ना कहां से हीरे की अंगूठी लाया था और वैशाली को इस वियाबान जंगल में पन्ना ने अकेले क्यों बुलाया था, इसकी युग को तनिक भी जानकारी नहीं थी। 

इसलिए वह चिडचिडाहट में बोलता है “जब यह सब तुम्हें मालूम है तो फिर क्यों यह फालतू का सवाल मुझसे कर रही हो।” 

“यह सब बातें सिर्फ मुझे और मेरे पन्ना को पता थी, देवा जल्लाद को नहीं पता थी, इसलिए तुम पूर्व जन्म में देवा जल्लाद नहीं पन्ना थे, तो तुम्हें जरूर मालूम होगी।” वैशाली बोली

और इस बात का उल्टा सीधा जवाब देने से बचने के लिए युग वैशाली से पूछता है? “पहले सिर्फ मुझे इतना बताओ कि पन्ना की मौत बड़ी खाई में गिरने से हुई थी या छोटी खाई में गिरने से हुई थी।” 

युग के पन्ना की मौत के बारे में पूछते ही वैशाली की आंखों से सफेद सफेद मोतियों जैसे आंसू टपकने लगते हैं। वह भरे हुए गले से बोलती है “पन्ना की मौत के दर्दनाक दृश्य के बारे में सोचते ही मेरा दिल दहल जाता है, इसलिए मेरे मुख से एक शब्द भी निकलना मुश्किल है।”

और अब तक बुद्धिमान सिविल इंजीनियर युग समझ चुका था, वैशाली मेरी बातों के जाल में फंस चुकी है, अब मैं पन्ना होने का सबूत देने से बच जाऊंगा, लेकिन उसके सारे अरमानों पर तब पानी फिर जाता है, जब वैशाली की बड़ी भाभी बोलती है “अगर तुम दोनों हमें   विश्वास नहीं दिला पाए कि तुम दोनों डेढ़ सौ वर्ष पुराने पन्ना वैशाली प्रेमी-प्रेमिका हो तो हमारे लिए तुम्हारी शादी करवाना असंभव होगा।” 

फिर वैशाली अपने को संभाल कर पन्ना की मौत के बारे में बताती है “पन्ना ने मेरे पड़ोस कि दस वर्ष की लड़की रानी के हाथों सुबह-सुबह मेरे पास एक चिट्ठी भिजवाई थी। उस चिट्ठी में लिखा था कि देवा अंग्रेजी सरकार का सरकारी जल्लाद बनने के बाद बहुत ताकतवर शक्तिशाली हो गया है। अंग्रेजी सरकार की ताकत का वह इस्तेमाल करके मेरी हत्या करके तुमसे शादी करना चाहता है, इसलिए मैंने पिता की मौत के बाद बंटवारे में मेरे हिस्से आई अपनी सारी जमीन जायदाद बेचकर जामा धन से एक हीरे की अंगूठी बनवा ली है और वह अंगुठी उंगली में पहन ली है, मां बड़े भाई और तुमसे छुपा कर मैंने यह कार्य इसलिए किया क्योंकि तुम तीनों मुझे कभी भी किसी भी हालत में देवा से डर कर यह गांव नहीं छोड़ने देते लेकिन मैं अपना गांव छोड़ सकता हूं तुम्हें नहीं इसलिए आज शाम को हमारे गांव से कुछ किलोमीटर दूर जो नदी बहती है वहां मिलना मैं अपनी हीरे की अंगूठी बेचकर तुमसे शादी करके शहर में तुम्हारे साथ नए जीवन की शुरुआत करना चाहता हूं।”

और फिर वैशाली मुस्कुरा कर बताती है “आगे लिखा था की शादी के बाद तो मुझे आप कह कर पुकारोगी ना वैशाली यह तो नहीं कहोगी कि ना कि हम दोनों आयु में समान है, इसलिए मैं तुम्हें तुम ही कहूंगी आप नहीं कहूंगी। लेकिन तुम्हारे मुख से तुम कहना ही मेरे दिल को भाता है।

“और हम दोनों प्रेमी खुशी खुशी जैसे ही नौका से नदी पार करके शहर की तरफ रवाना होने लगे थे, तो देवा जल्लाद ना जाने कैसे अपने किराए के गुंडो के साथ वहां पहुंच गया था और जब उसके आदमी पन्ना को पीट पीट कर अधमरा कर रहे थे, तब मैं पन्ना को बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही थी, तो पन्ना ने अपने हाथ की उंगली से अपनी हीरे की अंगूठी उतार कर मुझे पहनते हुए कहा था देवा तुमसे सच्चा प्रेम करता है, इसलिए तुम्हारी जान नहीं लेगा वह तुमसे शादी करेगा और मेरी यह है कीमती हीरे की अंगूठी तुम्हारे सुख दुख में तुम्हारा साथ देगी और जब देवा जल्लद के कहने से उसके आदमियों ने अधमरे पन्ना को बड़ी पहाड़ी की गहरी खाई में जान से मारने के लिए फेंक दिया था, तो मैंने अपनी जान देने के लिए हीरे की अंगूठी निगल ली थी और मौत होने के बाद मैंने देखा था कि देवा ने अपने किराए के गुंडो को वहां से पैसे देकर भेज दिया था। वह  पहले मुझे बाहों में लेकर बहुत रोया था, फिर मतलबी झूठे प्रेमी लालची इंसान ने मेरे हाथ की उंगली से हीरे की अंगूठी उतार कर स्वयं पहन ली थी और फिर वह उसके बाद वहां से चला गया था।”

युग वैशाली की बात को बीच में काट कर बोलता है “देवा वहां से तुम्हारे अंतिम संस्कार के लिए सुखी लड़कियां इकट्ठा करने गया था और तुम्हारा अंतिम संस्कार करने के बाद उसने पीपल के पेड़ के ऊपर फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली थी, कीमती हीरे की अंगूठी बेचकर अय्याशी नहीं की थी। इसका सबूत है गांव के मकान की नींव कि खुदाई में देवा के नर कंकाल के हाथ कि उंगली में हीरे कि अंगूठी पहने होना पन्ना को तो तुम दोनों की मौत से पहले ही देवा के आदमियों ने गहरी खाई में फेंक दिया था।”

“तो वह नर कंकाल तुम्हार नहीं था अगर तुम पन्ना हो तो यह सब कैसे जानते हो, क्योंकि तुम्हारी मौत तो वैशाली देवा से पहले हो गई थी‌‌।” वैशाली की छोटी भाभी पूछती है?

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