अपने हाथों से खाने की थाली लेने की जगह युग को किसी गहरी सोच में डूबा हुआ देखकर वैशाली युग को कंधे से पड़कर हिला कर मुस्कुराकर बोलती है “सिविल इंजीनियर साहब मैं तो आपके सामने खड़ी हूं, फिर आप किसकी यादों में खो हुए हो।”
युग हड़बड़ा कर बोलता है “आज रात को तुम्हें मेरे साथ भाग कर मुझसे शादी करनी होगी, अगर तुमने ना कहा तो मैं तुम्हारे पूरे गांव को श्मशान घाट बना दूंगा।”
“देवा जल्लाद की तरह भयानक बातें मत करो शाम को मुझे नदी के किनारे अकेले मिलना।” यह कहकर वैशाली खाने की प्लेट युग की चारपाई पर रखकर वहां से अपने घर जाने लगती है।
तो युग डर जाता है कि अगर वैशाली को जरा सा भी शक हो गया कि मैं पूर्व जन्म में उसके प्रेमी पन्ना का दुश्मन देवा जल्लाद था, तो दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत भी उसे मेरे साथ शादी करने के लिए झुका नहीं सकती है।
इसलिए युग अपनी बात बदलते हुए बोलता है “अगर इस समय मेरा बचपन का सबसे प्यारा दोस्त डॉक्टर रत्न होता तो यह खाना देखकर खुशी से पागल हो जाता क्योंकि उसे शुद्ध शाकाहारी खाना बहुत पसंद है, वह भी गांव का ताजी सरसों का साग घर के बाजरे की रोटी शुद्ध गाय का देसी घी।”
“तुम हमेशा अपने दोस्त डॉक्टर रत्न के किस्से सुनते रहते हो कभी उनसे मिलवातें क्यों नहीं हो।” युग की चारपाई के पास खड़े होकर वैशाली बोली
युग चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर बोलता है “इसलिए नहीं मिलवाता क्योंकि मुझे डर है, कहीं तुम उससे मिलकर पूर्व जन्म के प्रेमी पन्ना और अपने होने वाले पति प्रताप को लात मार कर उससे शादी न कर लो।”
वैशाली युग को बेशर्म लड़का बोलकर पूछती है? “तुम्हारे दोस्त को शुद्ध शाकाहारी भोजन पसंद है और तुम्हें इस जन्म में कैसा भोजन पसंद है।
“मुझे सिर्फ मांसाहारी भोजन पसंद है।” युग बोला
“नर कंकाल को देखने के बाद तुम देवा जल्लद की तरह भयानक बातें कर रहे हो और तुम्हारा खाने-पीने का स्वाद भी मुझे देवा जल्लाद की तरह लगने लगा है।” वैशाली हंस कर बोल कर वहां से घर चली जाती है
युग अपने मन में बोलता है या यह कहें सोचता है “जब मैं देवा जल्लाद हूं, तो देवा जल्लाद की तरह ही तो भयानक बातें करूंगा और खाऊंगा पियूंगा।”
शाम होने पर जब युग वैशाली के गांव की नदी के किनारे वैशाली से मिलने पहुंचता है, तो वैशाली उससे पहले ही पारिजात (रात रानी) के वृक्ष के नीचे अंग्रेजो के जमाने के बने पहाड़ी पत्थरों के टूटे-फूटे चबूतरे पर हाथ में नीलकमल लिए बैठी हुई थी। लाल रंग का सूर्य धीरे-धीरे अस्त हो रहा था, इसलिए रोशनी और धूप बहुत हल्की हो गई थी वैशाली पहाड़ी पत्थर के बने चबूतरे पर जाती हल्की धूप देखकर बैठ गई थी, पुरवाई हवा की वजह से वैशाली के घने रेशमी बाल उड़ उड़ कर उसके चेहरे के ऊपर आ रहे थे।
तब युग वैशाली के पास आकर बोलता है “अपने पुराने दुश्मन देवा को माफ कर देना, तुम्हारी खूबसूरती पर तो स्वयं कामदेव भी मोहित हो जाएगा, वह तो फिर भी तुम्हारा मंगेतर और साधारण सा इंसान था।”
“भूलो मत तुम्हारे प्यार में दीवानी बनकर मैंने उसे छोड़ा था।” इसके बाद वैशाली मस्ती के मूड में बोलती है “वरना उसमें कमी क्या थी। बेचारा मेरी वजह से ही देवा से देवा जल्लाद बना गया था।”
युग वैशाली की हंसी मजाक की बात को गंभीरता से लेकर देवा जल्लाद का दिल टूटने का किस्सा वैशाली को सुनाना शुरू कर देता है, क्योंकि वह स्वयं ही पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था कि “एक रात तुम पन्ना और देवा गांव के पास वाले कस्बे से निवास (मेला) देखकर अपने गांव आते वक्त बैलगाड़ी का पहिया निकलने की वजह से उस जगह फस गए थे, जहां अंग्रेजी सरकार रेल की पटरी बिछाने का कार्य भारतीय मजदूर से करवा रही थी, सालों तक रेल की पटरी बिछाने का कार्य चलने की वजह से मजदूरों ने वही अपनी छोटी सी बस्ती बसा ली थी, उस वीराने जंगल में रेल मजदूरों की वजह से हम तीनों मित्रों को रात काटने का सहारा अपाहिज चाय की दुकान चलाने वाले दुकानदार के टूटे-फूटे लेकिन बड़े मजबूत लकड़ी फटे से बने मकान में मिल गया था, वह एक पैर से अपाहिज दुकान वाला अपने 12 बाहरा बरस के भांजे के साथ रात दिन चाय की दुकान चलता था, क्योंकि वहां रात दिन मजदूर रेल की पटरी का कार्य करते थे, इसलिए वह दुकानदार चाय की दुकान में ही सो जाता था और उसका मकान खाली पड़ा रहता था। इस वजह से मामूली किराया लेकर उसने हम तीनों को अपने मकान में रात बिताने की इजाजत दे दी थी।
“वह रात देवा के लिए बहुत दुखदाई थी। देवा और पन्ना यानी कि मैं बड़े कमरे में एक साथ सो रहे थे और तुम साथ वाले छोटे कमरे में अकेली सो रही थी। तब तुम्हारा मंगेतर देवा पन्ना को गहरी नींद में सोता हुआ समझकर तुम्हारे कमरे में जाकर तुमसे प्यार मोहब्बत की कुछ मीठी-मीठी बातें करने की कोशिश करने लगा था और जब देवा ने तुम्हें बाहों में लेकर चूमने की कोशिश की तो तुम देवा से बचते बचते उस कमरे में आ गई थी, जहां पन्ना सो रहा था।
युग फिर कुछ देर चुप होकर अपने मन में सोचता है जब जब पन्ना का नाम आता है, तो वैशाली का चेहरा खिल उठता है लेकिन मेरे दिल में है ज्वाला मुखी जैसा विस्फोट हो जाता है।
इसके बाद वह बताता पन्ना ने जब तुम्हें देवा की बाहों में देखा तो चादर से चेहरा ढक कर गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगा था, किंतु देवा और तुम्हें पता चल गया था की पन्ना हम दोनों को आपत्तिजनक स्थिति (प्रेम मुद्रा) में देखकर सोने का नाटक कर रहा है।
“इस वजह से देवा सबके लिए चाय लाने के बहाने से कमरे से निकाल कर चाय की दुकान पर चला गया था और कड़ाके की ठंड में जब चाय वाले ने कहा था कि “अपने दोस्तों को भी गरम चाय पीने के लिए यहीं बुला लो, क्योंकि सूखी लकड़ियों की तेज आग के पास बैठकर गरम-गरम चाय पीने से सर्दी दूर भाग जाएगी।
और जब देवा के कहने से चाय वाले का भांजा पन्ना और तुम्हें चाय पीने के लिए बुलाने गया तो उस मासूम बच्चे ने देवा को आकर बताया था कि वैशाली दीदी और पन्ना भैया एक ही रजाई में घुसकर गहरी नींद में सो रहे हैं।
“इससे पहले देवा कुछ समझ पाता तुम सामने से देवा को अकेले आते हुए दिखाई दे गई थी और देवा के कुछ पूछने से पहले ही तूम अपने होठों की बिगड़ी हुई लाली (लिपस्टिक) अपने दुपट्टे से पहुंचते हुए बोली थी।
“पन्ना के सामने मेरे साथ छेड़खानी करके तुमने पन्ना का बहुत दिल दुखाया है, इसलिए दुखी पन्ना ने तुम्हारे साथ बैठकर चाय पीने से साफ इन्कार कर दिया है।
“तब देवा ने कहा था अपनी होने वाली पत्नी से प्रेम करना कोई पाप या जुर्म तो नहीं और मेरे मित्र पन्ना को तब बुरा लगना चाहिए, जब मैं उसकी होने वाली पत्नी के साथ बदतमीजी करूं।
“देवा और अपने भांजे कि बातों से अपाहिज चाय वाला समझ गया था कि देवा का मित्र पन्ना और उसकी मंगेतर दोनों आपस में मिले हुए हैं यह दोनों सच्चे सीधे-साधे सच्चे दिल के इंसान देवा को धोखा दे रहे हैं, इसलिए उसने तुरंत अपने भांजे को बोलकर पन्ना को बाहर बुला कर अपमानित करना शुरू कर दिया था और कहा था, इसी समय आधी रात को मेरा मकान छोड़कर कहीं भी जा।
“उस एक पैर से अपाहिज चायवाले कि कड़वी सच्चाई देवा पन्ना वैशाली को भी अच्छी तरह समझ आ रही थी।
और देवा पन्ना कि दुश्मनी कि शुरुआत तब हुई थी तब पन्ना ने अपने को अपमानित महसूस करके एक पैर से विकलांग चायवाले को बूरी तरह पीटना शुरू कर दिया था और चाय वाले को बचाते बचाते देवा ने पन्ना के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया था।
“तुम अपनी और देवा की गलती मानने की जगह पन्ना का हाथ पकड़कर वहां से आधी रात को ही गांव के रास्ते पर चल दी थी।
तब देवा के कहने से रेल मजदूरों ने तुम दोनों को वीरान खतरनाक खूंखार जंगली मांसाहारी जानवरों से भरे रास्ते पर अकेले जाने से रोका था।”
“बस अब तुम चुप हो जाओ मैं कल शाम को तुम्हारे साथ भाग कर शादी करने के लिए तैयार हूं, इसलिए उस जुल्मी हम दोनों के कातिल देवा का नाम जुबान पर मत लाओ, मैं 150 वर्ष पहले भी पन्ना की थी और डेढ़ सौ बरस बाद भी पन्ना की होने वाली हूं, यानी कि तुम्हारी युग पूर्व जन्म में तुम पन्ना थे, देवा नहीं इसलिए उस मनहूस देवा का नाम भी अपनी जुबान पर मत लाओ, कही ऐसा ना हो देवा जल्लाद को ज्यादा याद करने से वह हमारे गांव ही पहुंच जाऐ, क्योंकि दिल से याद करने से इंसान भूत प्रेत और भगवान सब मिल जाते हैं।” वैशाली बोली
युग अपने मन में सोचता है “भोली वैशाली देवा जल्लाद तो डेढ़ सौ बरस का सफर तय करके तुम्हें अपनी पत्नी बनाने के लिए तुम्हारे पास पहुंच चुका है और तुम्हारा पन्ना आशिक बनकर तुमसे शादी करेगा और तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा।”
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