“मैं पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था, यह महसूस होने के बाद वैशाली को पाने की युग की इच्छा पहले से ज्यादा प्रबल (मजबूत) हो गई थी, वह यह भी समझ नहीं पा रहा था कि सिविल इंजीनियर बनने और सिविल इंजीनियर की नौकरी हासिल करने के लिए उसने दिन-रात नहीं देखे थे, सिर्फ लगन मेहनत ईमानदारी से अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ा परिश्रम के साथ संघर्ष किया था और वैशाली को घर से भागकर शादी करने से उसे वैशाली के गांव का पुल का कार्य अधूरा ही छोड़ना पड़ेगा जिससे सिविल इंजीनियर की नौकरी तो उसके हाथ से जाएगी ही और साथ में उसकी सिविल इंजीनियर की डिग्री पर भी गैर जिम्मेदारी भगोड़े सिविल इंजीनियर का दाग लग जाएगा, क्योंकि वहां की प्रकृति स्थिति देखकर बड़े से बड़े इंजीनियर को उस जगह पुल निर्माण का कार्य करना बहुत ही कठिन लग रहा था, इस वजह से वैशाली के गांव की नदी के ऊपर पूरे देश की जनता राज नेताओं और मीडिया की पेनी नजर थी। और सबसे अहम बात इस पूल का निर्माण करते ही युग का नामी मशहूर सिविल इंजीनियर बनने का सपना भी साकार हो जाता, लेकिन युग वैशाली के प्रेम में इतना अंधा हो गया था कि अब उसे सोते जागते खाते पीते सिर्फ वैशाली की ही खूबसूरत सूरत दिखाई देती थी।
इसलिए वह अपने दिल से मजबूर होकर सुबह-सुबह सूर्योदय होने से पहले ही वैशाली के घर उसे यह याद दिलाने पहुंच जाता है कि आज रात को तुम्हें मेरे साथ घर से भाग कर शादी करनी है।
सुबह-सुबह दिन निकलने से पहले घर की चौखट पर युग को देखकर वैशाली के हाथों से गर्म दूध का पतीला छूट जाता है। गर्म दूध के पतीले के गिरने की आवाज से वैशाली की छोटी भाभी रसोई घर में चाय नाश्ता पकाना छोड़कर रसोई घर से जल्दी से बाहर आकर देखती है, तो यह देखकर की युग वैशाली को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ कर कुछ पूछने की कोशिश कर रहा है, तो वह तेज चिल्लाकर युग से वैशाली को तुरंत छोड़ने के लिए कहती है।
वैशाली अपनी भाभी को चुप होने का इशारा करती है, लेकिन जब युग वैशाली की छोटी भाभी के सर में ईट मरने के लिए उठा लेता है, तो वैशाली युग को अपने घर के आंगन से धक्के मारते हुए आंगन के दरवाजे की चौखट तक ले जाती है।
घर में शोर शराबे की वजह से वैशाली के दोनों बड़े भाई बड़ी भाभी नींद से जाग जाते है और पड़ोस की कुछ महिला पुरुष भी सुबह-सुबह शोर शराबा सुनकर वैशाली के घर के पास इकट्ठा हो जाते हैं।
तब युग अपने पूर्व जन्म के देवा जल्लाद के रूप में आकर वैशाली के पीछे खून की नदियां बहने के लिए बेलचा (नुकीली लोहे की सरिया) उठा लेता है।
वैशाली को पता था कि डेढ़ सौ वर्ष पुराना प्रेमी उसे अपना बनाने के लिए किसी की जान भी ले सकता है। इस वजह से वह सबसे चिल्ला चिल्ला कर बोलती है “मैं सारी बात बाद में बताऊंगी, पहले युग इंजीनियर पर काबू पाओ।”
फिर वैशाली के दोनों भाई और आस पड़ोस के कुछ मर्द युग को कस कर पकड़ कर उसके हाथ से नुकीली सरिया यानि की बेलचा छीन कर ट्रैक्टर के पास पड़े फाफड़े तसले खुरपी दराती आदि की तरफ फेंक देते हैं जहां से युग ने नुकीला सरिया बेलचा उठाया था।
इस घटना के समय इंसानी शोर शराबे से ज्यादा चौक में लगे नीम के पेड़ के ऊपर बैठकर मोर मोरनी और उनके बच्चे कर रहे थे।
इस वजह से वैशाली के घर के सामने हो रहे शोर शराबे की आवाज ज्यादा दूर तक नहीं जा रही थी, वरना इतने शोर के बाद पूरा गांव वैशाली के घर के पास इकट्ठा हो जाता है और युग को पीट-पीट कर अधमरा कर देता।
कुछ ही पलों में सूर्योदय हो जाता है और अब तक बुद्धिमान चतुर युग भी समझ चुका था कि मेरी इस बेवकूफी से वैशाली मेरे हाथ से फिसल सकती है, इसलिए जब उसके पास किसी की बात का जवाब नहीं होता है, तो वह बेहोश होने का नाटक करके जमीन पर धड़ाम से गिर जाता है।
और जब वैशाली की छोटी भाभी वैशाली से पहले युग की हरकतों के बारे में सबको बताने लगती हैं, तो वैशाली अपने दोनों भाइयों से कहती है “मैं अकेले में दोनों भाभियों को युग सिविल इंजीनियर की सारी बाता बताना चाहती हूं।” वैशाली के दोनों समझदार भाई समझ जाते हैं कि मामला बहुत गंभीर है, इसलिए वह वैशाली को उनसे पहले अपनी पत्तियों को सारी बात बताने की इजाजत दे देते हैं।
युग डेढ़ सौ बरस पुराना वैशाली का प्रेमी पन्ना है, यह बात सुनकर वैशाली की छोटी भाभी अपनी जेठानी से बोलती है “वैशाली की यह बात सच भी हो सकती है, क्योंकि सुबह-सुबह मैंने युग की नजरों में वैशाली के लिए पागल दीवाने प्रेमी जैसा प्रेम देखा था, इसलिए हम दोनों को वैशाली की पूरी बात सुनकर उसकी मदद करनी चाहिए।”
“तुम्हारी बात विचार करने लायक है, क्योंकि अगर वैशाली की बातों में सच्चाई है, तो युग किसी भी हालत में वैशाली की शादी प्रताप से नहीं होने देगा, इसलिए अभी हम दोनों सबसे बाहर जाकर बोल देती है कि नर कंकाल को देखकर शहरी सिविल इंजीनियर युग की मानसिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है, इस वजह से वह गांव के प्रधान यानी कि वैशाली के बड़े भैया से पुल निर्माण का कार्य अधूरा छोड़कर अपने घर जाने की इजाजत मांगने आया था, और जब सूर्योदय होने से पहले वैशाली ने उसे बड़े भैया से मिलने की इजाजत नहीं दी तो उसकी मानसिक स्थिति पहले से ज्यादा खराब हो गई थी और जब यह प्रश्न आएगा कि यह बात वैशाली ने सबके सामने क्यों नहीं बताई तो कह देंगे कि वैशाली को यह डर था की कही परेशान युग को बड़े भैया से मिलने की इजाजत न देने पर बड़े भैया उसे सबके सामने बुरी तरह न डांटे।” बड़ी भाभी बोली
सारा मामला शांत होने के बाद वैशाली की दोनों भाभियां युग और वैशाली को दोपहर के समय उस जगह लेकर जाती हैं जहां वैशाली पन्ना की डेढ़ सौ वर्ष पहले मौत हुई थी।
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