चैप्टर ३

चार्ली को लेकर माया घर आ जाति है। इसमें क्या रिकॉर्ड हुआ था देखना तो चाहती थी पर कॉलेज में आज दोपहर में ही उसकी क्लासेज थीं। माया को फोटोग्राफी क्लब में एप्लीकेशन भी देनी थी। अनिका भी रेडी हो रही थी अपनी अकाउंट्स की क्लास के लिए। माया की तरह अनिका को भी लाइब्रेरी फॉर्म सबमिट करना था। दोनों बहनें और दीप्ती कॉलेज के लिए निकलते हैं।

अनिका (एक्साइटेड मूड में)- फाइनली आज अपना लाइब्रेरी फॉर्म सबमिट कर दूंगी।

माया- ओहो ये फिर स्टार्ट हो गई। बुक्स की दीवानी।

दीप्ती- हांना सच में।

अनिका- लुक, कह कौन रहा है? जिसने अपने कैमरा का नाम रख रखा है।

ये कहकर अनिका मुंह फुला कर आगे बढ़ जाती है। दीप्ती अजीब सा मुंह बनाती है। उसे अनिका का ये बिहेवियर कुछ अजीब सा लगता है।

दीप्ती- अरे इसे क्या हो गया? ये हमेशा ऐसी सी ही क्यों रहती है?

माया- पता नहीं यार। हमेशा से ऐसी नहीं थी ये। कुछ ३-४ साल पहले पता नहीं क्या हुआ इसे? अकेले में, अपने-अपने में ही रहने लगी। सबसे बात करना बंद कर दिया था। मां-पापा ने भी जानने की काफी कोशिश करी के इसे हुआ क्या है? पर अंत में उन्होंने हार मान ली और इसका ये सब बिहेवियर एक्सेप्ट कर लिया। तबसे अपनी बुक्स के साथ ही रहती है और काफी एंटी-सोशल हो गई है।

दीप्ती- अच्छा... चल कोई नहीं। चलते है अब २ बजने वाले हैं। आज लेट नहीं होना फिर से।

दीप्ती और माया अपनी साइकिल की स्पीड बढ़ा लेते हैं और सीधे अपने कॉलेज के सामने ही आकर रुकते हैं। माया और दीप्ती साइकिल स्टैंड में अपनी-अपनी साइकिल्स लगा देते हैं और क्लास में चले जाते हैं। क्लास में आकर देखते हैं तो ऑलरेडी सारे बच्चे आकर बैठ गए होते हैं। माया चारों तरफ देखती है पर किसी भी रो में एक साथ दो सीट्स नही दिखती हैं। माया दित्या को ढूंढती है तो देखती है की वो चौथी रो की तीसरी सीट पर एक लड़के के साथ बैठी है।

माया झट से उस सीट पर जाकर बैठ जाती है और बगल वाली रो की जस्ट अपने बगल वाली सीट पर दीप्ती को बैठा देती है। माया देखती है जो लड़का दित्या के साथ बैठा था वो उत्कर्ष था।

दीप्ती उसको देखकर ‘हैलो’ कहती है और ब्लश करने लगती है। माया को ये देखकर थोड़ा अजीब फील होता है पर वो कुछ कहती नहीं इस बारे में। दित्या, माया, उत्कर्ष एक दूसरे को ग्रीट करते हैं। उतने में सक्सेना सर क्लास में आ जाते हैं। आते के साथ ही वो लेक्चर स्टार्ट कर देते हैं। लेक्चर सुनते वक्त माया देखती है की विक्रांत जो की पांचवी रो में बैठा, वो उसी को देख रहा था। जब वो दूसरी रो में देखती है तो देखती है की अनामिका विक्रांत को ही देख रही थी और लास्ट रो में बैठें हुए दर्शित और दक्ष अनामिका को देख रहें थें। ये देख कर माया सोच में पड़ जाती है।

माया (मन ही मन में)- ये क्या ही कर रहें हैं चारों? भगवान कितने क्रीपी क्लासमेट्स हैं मेरें।बाकी सब तो ठीक है पर ये बंदर मुझे ऐसे क्यों देख रहा है?

पूरे लेक्चर यही सिलसिला चलता है। माया भी पूरे पीरियड कोशिश कर रही थी की इन सब चीजों पर ध्यान ना दे लेकिन उसकी कोशिश नाकाम हो रही थी। क्लास में तो ये सब चल ही रहा था जिससे माया परेशान हो रही थी की बगल में दीप्ती भी शुरू हो गई। वो भी बगल वाली सीट से माया के साथ बैठे उत्कर्ष को देखे जा रही थी। माया इंतज़ार ही कर रही थी के कब ये लेक्चर खतम हो और वो निकले वहां से बाहर।

फाइनली एक घंटे बाद क्लास खत्म हुई। माया उठकर जाने ही वाली थी के तभी वहां डीन, डा० प्रमोद वर्मा आ जाते हैं। डीन को देखकर उत्कर्ष अचानक से बोल पड़ता है।

उत्कर्ष- अरे! पापा!

ये बात माया और सारे फाइन आर्ट्स के क्लासमेट्स सुन लेते हैं। सब वो बात सुनकर उत्कर्ष को घूरने लगते हैं।

माया- अबे! कैसा इंसान है तू? बताया क्यों नहीं डीन सर पापा है तेरे?

उत्कर्ष- अरे यार इसी रिएक्शन के डर से नहीं बताया। अब तू मत कहियो किसी से कुछ।

डीन सर सबको शांत करतें हैं और एक अनाउंसमेंट करतें हैं।

डीन- अरे बच्चों बातें बाद में। आप सभी ध्यान से सुनिए। मुझे गर्व हो रहा है अनाउंस करते हुए की हमारा कॉलेज करीब १० साल बाद हमारे कॉलेज का बरसों पुराना प्ले, 'रक्तसंगर' फिर से करने वाला है। ये प्ले हमारे कॉलेज के थिएटर आर्टिस्ट्स प्रेजेंट करेंगे। इसका शो हमारे ही कॉलेज में दो हफ्ते बाद होने वाले फेस्ट में होगा। जी हां, सही सुना आपने हमारा कॉलेज फिर से अपना सालों से चलता फेस्ट 'अनुभूति' ऑर्गेनाइज करने वाला है। ये एक तीन दिन का इवेंट होगा जिसमें कई सारी एक्टिविटीज होंगी। आई वांट यू ऑल टू एनरोल एंड मेक इट ए सक्सेस। बाकी की डिटेल्स आपको टीचर्स से और कॉलेज के मेन नोटिस बोर्ड पर मिल जायेंगी।

डीन ये अनाउंसमेंट करके वहां से चलें जातें हैं। सब ये सुनकर काफी एक्साइटेड होतें हैं। लेकिन अभी फाइन आर्ट्स की क्लास बची थी। पहली बार मित्तल मैम क्लास में ही आ जाति हैं। उनके साथ दो मेल टीचर्स भी अंदर आतें हैं।

मित्तल मैम- बच्चों जैसा के आप सभी को पता है की दो हफ्तों बाद 'अनुभूति' फेस्ट होने वाला है और कई सालों बाद हम फिर से 'रक्तसंगर' प्ले करने वाले हैं तो डीन सर ने स्पेशली फाइन आर्ट्स के टीचर और उनके स्टूडेंट्स से हेल्प मांगी है। आपको चार-चार के ग्रुप में डिवाइड होकर प्ले के लिए बैकड्रॉप बनानें हैं। ग्रुप मैंने सोच लिए हैं। राणा सर और विजय सर के अनाउंसमेंट के बाद मैं सभी के ग्रुप्स बता दूंगी।

मित्तल मैम के अनाउंसमेंट के बाद राणा सर जो की फोटोग्राफी सिखाते थे कॉलेज में और विजय सर जो की स्पोर्ट्स के टीचर थे अपनी अपनी अनाउंसमेंट करते हैं।

राणा सर बताते हैं की कॉलेज में इस बार एक फोटो एग्जिबिशन भी होगा और इंटरेस्टेड लोगों को एनरोल करने को कहते हैं। विजय सर भी सारे स्पोर्ट्स इवेंट्स के बारें में बताते हैं। अपनी अपनी अनाउंसमेंट करके वो दोनों वहां से चले जातें हैं।

मित्तल मैम सब ग्रुप्स अनाउंस करती हैं। अपने ग्रुप से दीप्ती तो काफी खुश होती है पर माया उसी ग्रुप में होकर भी परेशान होती है। माया के ग्रुप में वो, उत्कर्ष, दीप्ती और विक्रांत होते हैं।बाकी दूसरे ग्रुप में दित्या, दक्ष, दर्शित और अनामिका होते हैं। तीसरे ग्रुप में श्रद्धा, विशाल, तुषार, नकुल और तरुण होते हैं।

सब अनाउंसमेंट करके मित्तल मैम भी क्लास को जल्दी छोड़ कर अपना कुछ काम करने चली जाती हैं। माया और उसके सभी क्लासमेट वहां पर एक सर्किल में खड़े हो जातें हैं।

माया- पेंटिंग तो कर लेंगे मगर कोई बताएगा की ये प्ले है किस बारें में?

दीप्ती- पता तो मुझे भी नहीं है।

माया (तरुण की तरफ उंगली करके)- ओय डॉर्क, तुझे पता है क्या कुछ?

दित्या- दोस्तों नो वरीज। चाचू ने करा था सालों पहले एक रोल उसमें। तो मुझे थोड़ा पता है। 'रक्तसंगर' एक अंजान लेखक ने लिखा था। जिसमे उसने पिशाचों, वृकों और डाकिनियों के बारें में बताया है।

विशाल- यू मीन वैंपायर, वेयर वुल्फ एंड विचेस?

उत्कर्ष- हां अंग्रेज़ की औलाद वही।

नकुल- ये कैसा सा ही प्ले है जरा कुछ बता इसके बारें में।

दित्या- ये ब्रिटिश एरा में सेट है जब लॉर्ड डलहौजी इस एरिया को गवर्न कर रहे थे। प्ले के मुताबिक उस समय एक साथ यहां तीन मिस्टीरियस चीजें हुईं थीं।

विक्रांत (थोड़ा सस्पीशियस होते हुए)- कौनसी तीन चीजें?

दित्या- लोगों की अचानक से मौत होने लगती है। उनकी डेडबॉडीज अजीब सी हालत में मिलती हैं। उनके शरीर से किसीने खून गायब कर दिया होता है। हर डेडबॉडी के गर्दन, हाथों और पैरों पर अजीब से बाइट मार्क्स होते हैं। दूसरी जगह जहां अभी वो मॉल रोड के पास वाला जंगल है, उस जगह पर अचानक से, कहीं से एक भेड़ियों का नया झुंड आ गया होता है। प्ले के अकॉर्डिंग लोगों में अफवाह फैल जाती है की वो आम भेड़िए नहीं थे। वो इंसानी रूप भी ले सकते थे। लोग कहते थे की वो इंसान का रूप लेकर सबके बीच में रहते हैं। तीसरी की कही से एक अनजान बंजारों का बसेरा यहां आया था। लोगों को पूरा यकीन था की वो और कोई नहीं जादू जानने वाले डाक और डाकिनी थें।

तुषार- यार स्टोरीलाइन तो बढ़िया है पर होता क्या क्या है?

दक्ष (मज़ाक करते हुए)- कुछ नहीं जो सबका खून पी रहा होता है वो मार देता है सबको।

ये सुनकर दोनों दक्ष और दर्शित जोर से हँसने लग जाते हैं।

श्रद्धा- चुप हो जाओ तुम दोनों। दित्या तू कंटीन्यू कर।

दित्या- पता नहीं यार, ज्यादा तो मुझे भी नहीं पता। इतना पता है की एक हमारे ही उम्र की लड़की इन सब चीजों का सच जानने का ठान लेती है। खोजते हुए उसे एक पिशाच से और फिर एक वृक से प्यार हो जाता है। पर एंड में एक डाकिनि आकर दोनों को मार देती है। वो लड़की दोनों की यादों में ही अपनी पूरी जिंदगी ऐसे ही निकल देती है।

विशाल- अबे ये क्या ही एंडिंग थी। इससे खराब एंडिंग नहीं सुनी मैंने। आगे भी तो होना चाहिए था कुछ।

दक्ष- हां यार सच में।

दर्शित- हां, आई एग्री।

माया- तो मतलब डलहौजी की इंपोर्टेंट जगहों की पेंटिंग बनानी है। ये तो काफी आसान होगा। जा तरुण जाके अपनी मम्मी से साइट्स की लिस्ट ले आ फिर अपनी-अपनी साइट्स सिलेक्ट करके पेंटिंग करना स्टार्ट करते है।

माया ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि तरुण मित्तल मैम का ही बेटा था।

ये सब डिसाइड करके माया फोटोग्राफी क्लब में एप्लीकेशन और एग्जिबिशन के लिए अपना नाम देने चली गई थी। उसका पीछा करते हुए विक्रांत भी आ जाता है। माया ये नोटिस कर लेती है की विक्रांत उसका पीछा कर रहा था। माया आगे जाकर छिप जाती है। विक्रांत ये देखकर उसे ढूंढने लगता है। माया वही सदियों पुरानी ट्रिक आजमाती है और पीछे से आकर विक्रांत को डरा देती है।

विक्रांत- अरे यार क्या कर रही हो? ये ऐसे पीछे से आकर यूं भूतों की तरह डराना जरूरी था?

माया- ओय बंदर मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? और क्लास में मुझे घूंर क्यों रहे थे?

विक्रांत दो मिनट कुछ सोचकर जवाब देता है।

विक्रांत- मैं कहां घूंर रहा था। तुम्हारा पीछा भी नहीं कर रहा था। फोटोग्राफी क्लब ही जा रहा था एग्जिबिशन के लिए अपना नाम देना था।

माया- झूठ मत बोलो। मैं सब जानती हूं। क्या खिचड़ी पक रही है तुम्हारे दिमाग में?

विक्रांत (हिचकिचाते हुए)- वो... वो...

माया- ये वो... वो... क्या लगा रखा है?

विक्रांत- वो मैंने, तुम्हारे शॉप से जाने के बाद आज, मां की बात के बारे में ध्यान से सोचा। तो मुझे ये एहसास हुआ कि मेरी गलती थी। उस दिन मुझे तुम्हारे साथ वैसा बर्ताव नहीं करना चाहिए था। तो, आई एम सॉरी।

माया (मन में सोचते हुए)- आज सूरज कहीं पश्चिम से तो नहीं उग गया? इसे हो क्या गया अचानक से?

विक्रांत- बताओ? क्या मुझे तुम अपना दोस्त बनाओगी।

माया- ओ हैलो, ऐसी ही किसी भी ऐरे-गैरे को मैं अपना दोस्त नहीं बनाती। अगर फ्रेंड बनना है तो मेरा ट्रस्ट जीतना होगा तुम्हे।

माया ये कहकर फोटोग्राफी क्लब में ज्वाइन करने के लिए एप्लीकेशन और अपना नाम एग्जिबिशन के लिए दे आती है।

विक्रांत (मन में)- यार ये कौनसे खेत की मूली है? अब तो मैंने सॉरी भी बोल दिया। इन लड़कियों का न कुछ समझ नहीं आता।

विक्रांत भी अपना नाम एग्जिबिशन के लिए दे आता है। एग्जिबिशन का थीम ‘प्राकृतिक सुंदरता और डलहौजी की संस्कृति' होता है।

दोनों ही क्लासरूम में वापस आ जाते हैं। प्ले के लिए बैकड्रॉप बनाने का काम शुरू करने का टाइम हो चुका था। माया के ग्रुप को चंबा वैली का बैकड्रॉप बनाना था। अनामिका के ग्रुप को काली अंधेरी रोड्स का बैकड्रॉप और नकुल की टीम को डलहौजी के फेमस गोल्फ कोर्स वाला बैकड्रॉप बनाना था।

सब अपना काम शुरू करते हैं। पहली बार माया देखती है की वहां मौजूद सब लोग एक से बढ़कर एक कलाकार थे। माया सभी के काम से काफी इंप्रेस्ड थी। विक्रांत की पेंटिंग स्किल्स को देखकर वो शॉक में थी। वो बस उसे ही देख रही थी पेंटिंग करते हुए।

माया (मन में)– वाह! मुझे नहीं पता था की नक्चड़ा इतनी अच्छी पेंटिंग कर लेता है।

विक्रांत काम में इतना खो जाता है की उसे आस-पास का कुछ पता ही नहीं रहता। अचानक से उसे एक अजीब सी बू आने लगती है। उसको वो जानी पहचानी लगती है। मगर वो उसपर ध्यान नहीं देता और काम कंटिन्यू करता है।

पूरी शाम वो लोग काम करते हैं लेकिन बैकड्रॉप काफी बड़े बनने थे तो उन्हें बनाने में और भी टाइम लगने वाला था। श्रद्धा काम करते करते थक जाती है और वो अपने भाई विशाल से कहती है।

श्रद्धा- ओय विशाल, कितना काम करेगा? सुन ना?

विशाल- क्या हुआ? कितना सारा काम करना है और तुझे अभी गप्पे लड़ाने हैं?

श्रद्धा- यार बोर हो रहा है। चल ना थोड़ी मस्ती करते हैं।

श्रद्धा और विशाल सबके हाथों से पेंट ब्रशेज़ ले लेते हैं और उन्हें पेंटिंग्स के पास से दूर ले जाते हैं।

माया- क्या कर रहे हो तुम दोनों?

विशाल- यार, नाउ डोंट बी ए पार्टी पूपर माया।

श्रद्धा- हां यार कितनी देर से काम कर रहे हैं। चलो थोड़ी मस्ती करते हैं।

दित्या- क्या मस्ती करनी है तुझे?

श्रद्धा- चलो ‘ट्रुथ और डेयर’ खेलते हैं।

उत्कर्ष- हां पर घुमाने के लिए तो कुछ है ही नहीं। खेलेंगे कैसे?

दक्ष (हाथ में एक बीयर की बॉटल लेकर)- अरे तो ये क्या है?

दित्या - भाई, और किसी में आगे रहो न रहो इन सब कामों में आपसे आगे कोई नहीं है।

दक्ष, दित्या को एक स्माइल देता है और फिर सब एक सर्किल में बैठ जाते हैं। अनामिका अभी भी काम कर रही थी। माया उसे आवाज देकर बुला लेती है। अनामिका माया के लेफ्ट में आकर बैठ जाती है।

माया- तो दोस्तों, सबको गेम आता है ना? जिसे नहीं आता वो बता दो अभी। कैसे खेलते है अभी बता देंगे।

अनामिका- नहीं, मुझे नहीं आता।

दीप्ती- क्या यार? अनामिका तू कौनसी सदी की है?

अनामिका (एक दम सीरियस टोन में)- उन्नीसवीं सदी की।

सब ये सुनकर हंसने लग जातें हैं।

श्रद्धा- अरे यार चुप। तो अनामिका गेम का नाम है, ‘ट्रुथ और डेयर’। ये बॉटल है इसे घुमाएंगे और जिस पर भी इसकी ढक्कन वाली साइड आकर रुकेगी, उसे सिलेक्ट करना होगा ट्रुथ या डेयर। अगर ‘ट्रुथ’ लिया तो अपने बारे में एक सच बताना पड़ेगा जो किसी को नहीं पता और अगर ‘डेयर’ लिया तो जो डेयर मिलेगा वो करना पड़ेगा। कोई बैक आउट नहीं कर सकता। चलो शुरू करते हैं।

दक्ष बॉटल घुमाता है और बॉटल अनामिका पर रुकती है। अचानक से सबके देखते ही देखते बॉटल अपने आप पता नहीं कैसे अनामिका के राइट बैठी माया पर मुड़ जाती है।

दर्शित- अरे ये क्या था? ये कैसी बॉटल है? मुझे तो लगा था की अनामिका पर ही रुक गई थी?

उत्कर्ष- अब जो भी है। तो माया ट्रुथ या डेयर?

माया (थोड़ा सोचकर)- डेयर।

नकुल- तो फंस ही गई चिड़िया जाल में क्या डेयर दें इसे?

तुषार- यार जल्दी करो मुझे तो नींद आराही है।

तरुण- हां स्नोर्लेक्स सोजा तू। हर समय बस सोता ही रहता है। गेम में भी ध्यान दे ले थोड़ा।

दर्शित- हां यही सही रहेगा। माया को कम से कम दो घंटे बिताने है मॉल रोड के पास वाले जंगल में। वो भी अकेले।

अनामिका ये सुनकर मन ही मन खुश होती है।

दक्ष- अबे पागल है क्या?

दित्या- दर्शित यार कुछ सोच समझ के तो बोला कर। माया, कोई जरूरत नहीं है ये करने की। कोई और डेयर दो।

दर्शित- रूल्स तो पहले से ही क्लियर थे। नो बैकिंग आउट। अब बाकी माया की मर्जी। उसे ही डिसाइड करना है।

माया- यार, ज्यादा ओवर रिएक्ट मत करो। मुझसे तो पूछो कोई की मुझे करना है या नहीं। वैसे मैं रेडी हूं। वहां पर ऑलरेडी दो बार जा ही चुकी हूं।

विक्रांत- नो माया। वैसे भी अंधेरा हो चुका है। इस समय वहां जाना इस नॉट सेफ। वहां पता नहीं कौनसे जंगली जानवर हों या और कुछ उनसे भी खतरनाक?

दित्या- हां, आई एग्री कंप्लीटली।

माया- यार, कोई नही मैं करूंगी ये डेयर।

माया को सब रोकते हैं पर माया किसी की बात माने बिना जंगल के लिए निकल जाती है। कुछ देर बाद माया उस जंगल में पहुंच जाती है। उसके जाने के बाद वो लोग गेम कंटिन्यू करते हैं।

उधर माया जंगल को आराम से देखती है। जंगल हमेशा की तरह वैसे ही सुनसान था। श्याम का अंधेरा उस वीराने को और भी डरावना बना रहा था। जंगल में हमेशा की तरह रात की चांदनी वहां के पेड़ों के घने पत्तों के बीच से छन कर आ रही थी। इस वजह से जंगल के कुछ हिस्सों में रोशनी हो गई थी। माया बहादुर बन कर जंगल के बीचोंबीच जाती है और वहीं जाकर बैठ जाती है।

माया (अपने आप से)- मैं नहीं डरती। मैं तो एक ब्रेव गर्ल हूं ना। मैं यहां दो घंटे क्या, दो दिन बिता दूं ऐसे ही। वो दर्शित पता नहीं क्या समझता है अपने आप को?

माया को वहां बैठे हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था और वहां बैठे हुए बोर हो गई थी। वो ऊपर देखती है, रात के आसमान में तारें काफी साफ़ दिख रहे थे। वो बोरियत को काटने के लिए तारें गिनना शुरू करदेती है। कुछ देर बाद माया उससे भी बोर हो जाति है।

माया (खुद से ही)- यार ये तारें कितने सुंदर लग रहें हैं। काश की चार्ली यहां होता तो मैं इनकी फोटोज खींच लेती।

माया एक घंटा बिता चुकी थी वहीं बैठे-बैठे। अब टाइम काटना काफी मुश्किल हो रहा था उसके लिए। वो वहीं बैठ कर कुछ सोच ही रही होती है के तभी उसको लगता है की एक पेड़ के पीछे से उसे कोई देख रहा है। वो आवाज लगाती है पर कोई जवाब नहीं देता।

माया उठकर देखती है तो पेड़ के पीछे कोई नहीं खड़ा होता। वो सोचती है की उसे वहम हुआ होगा। माया पीछे मुड़ती है तो चौक जाती है। उसके सामने एक पतला, लंबा, गोरा इंसान खड़ा होता है। माया के देखने के साथ ही वो इंसान वहां से भागने लगता है। माया भी उसके पीछे भागती है, उससे पूछने के लिए की वो था कौन? और वहां क्या कर रहा था? वो इंसान काफी तेज़ भाग रहा था इतनी तेज़ के माया काफी पीछे रह गई थी। माया को लग रहा था की ऐसे इतनी तेज़ कोई इंसान कैसे भाग सकता है? माया भागते हुए थक जाति है तो रुककर हाँफने लग जाति है।

माया डर जाति है और जंगल में रोशनी वाली जगहें ढूंढने लगती है। वो सर्च ही कर रही होती है की वो इंसान उसका पीछा करने लग जाता है। माया एक पेड़ के पीछे छिप जाती है और पेड़ की ओट से उस इंसान को देखने की कोशिश करती है। जब उसे वहां कुछ नहीं दिखता तो वो बाहर आ जाति है। बाहर आते ही वो इंसान माया के सामने आ जाता है। वो उसको बिलकुल अपने सामने देखकर घबरा जाती है और धीरे से पीछे जाने लग जाती है। जिससे वो इंसान कही उसपर हमला न करदे।

माया धीरे-धीरे अपने कदम पीछे बढ़ा रही थी और वो इंसान उसी की तरफ आगे कदम बढ़ा रहा था। उस इंसान ने एक लंबा काला चोगा पहन रखा था तो अंधेरे में उसे पहचाना मुश्किल था। माया कुछ देर बाद रुक जाती है। ऐसा वो इसलिए करती है जिससे वो इंसान रोशनी में आ जाए और ऐसा ही होता भी है। माया को रोशनी में होने के बाद भी उसका चेहरा नहीं दिखता। माया को केवल दो चीजें ही दिखती हैं। पहली उस इंसान की आंखें जो की रात के अंधेरे की तरह बिलकुल काली होती हैं। दूसरा उसके कैनाइन टीथ जो की काफी बड़े थे।

उस इंसान को देखकर ऐसा लग रहा था की वो कोई नॉर्मल इंसान नहीं था और वो वहां माया को नुकसान पहुंचाने आया था। वो इंसान माया पर अटैक करने ही वाला होता है के तभी वहां कहीं से एक भेड़िया गुर्राते हुए आ जाता है। उसे देखकर वो इंसान घबरा जाता है। अचानक से उस इंसान के पास कोहरा आना शुरू होता है। कुछ देर बाद वो कोहरा इतना बढ़ जाता है की माया को वो इंसान दिखना बंद हो जाता है। जब वो कोहरा हटता है तो वो इंसान वहां से जा चुका होता है।

माया कुछ पल के लिए चैन की सांस लेती है पर वो भेड़िया अभी भी वहीं था। वो भेड़िया माया को अपने दांत दिखाकर उसकी तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। उसे अपनी तरफ आता देख माया को लगता है की अब वो पक्का मरने वाली है।

माया अपनी जान बचाकर भागने लगती है। वो भेड़िया भी उसके पीछे भागने लगता है। इधर माया अपनी जान बचाने के लिए भाग रही थी। उधर कॉलेज में सब सबको टेंशन होती है क्योंकि उसे गए हुए ऑलमोस्ट ढाई घंटा हो चुका था पर माया वापस नही आई थी।

दीप्ती- यार कहां रह गई ये? कुछ हो तो नहीं गया उसे?

दित्या- मैं तो पहले ही कह रही थी, उसको वहां नहीं जाना चाहिए।

दक्ष- पहली बार मैं इसकी बात से एग्री करता हूं।

नकुल- यार, अब चलोगे उसको लेने के नही?

दर्शित- कोई कही नहीं जायेगा। मैं, दक्ष और दित्या तो बिलकुल भी नहीं।

उत्कर्ष- क्यों बे? लड़की को वहां अकेला भेज दिया। अब खुद डर लग रहा है तुझे?

तुषार- यार तुम लोग जाओ। मैं और तरुण रुकते है यहां पर अगर माया वापिस आए तो हम बता देंगे तुम लोगो को।

तरुण- हां। ये आइडिया अच्छा है।

विक्रांत- किसी को आना है तो आओ मैं तो जा रहां हूं उस जंगल में।

विशाल, नकुल, उत्कर्ष, दीप्ती और श्रद्धा जाने ही वाले होते हैं विक्रांत के साथ कि श्रद्धा देखती है की अनामिका वहां नहीं थी। श्रद्धा एक बार फिर चारों तरफ नज़र घुमाती है और कहती है।

श्रद्धा- अब ये अनामिका कहां गई? किसी ने उसको कहीं जाते हुए देखा?

सब ना में अपना सिर हिलाते हैं।

नकुल- अबे ये हो क्या रहा है?

विक्रांत- यार, तुम यहीं रुको और अनामिका को ढूंढो। मैं जा रहा हूं माया के पास।

विक्रांत अकेला ही माया के पास चला जाता है और कॉलेज में सब अनामिका को ढूंढने लगते हैं। माया जंगल में ही थी और अपनी जान बचाकर अभी भी भाग रही थी। भागते हुए माया एक खाई के पास आकर रुक जाती है।

वो भेड़िया भी माया का पीछा करते हुए वहां तक आ जाता है और गुर्राते हुए माया के इर्द-गिर्द घूमने लगता है। माया बहुत डर जाति है और भगवान से बस ये प्रार्थना करती है की किसी भी तरह वो भेड़िया वहां से चला जाए। विक्रांत उस जंगल में पहुंच जाता है। वो माया को आवाज लगाता है। एक दम से माया के चीखने की आवाज आती है।

विक्रांत जहां से आवाज आई थी वहां पर पहुंचकर देखता है की एक काला भेड़िया माया के चारों तरफ चक्कर काट रहा था। विक्रांत आकर माया के सामने खड़ा हो जाता है। वो भेड़िया विक्रांत को देखकर गुर्राने लगता है। विक्रांत उस भेड़िए को गुस्से से घूंर कर देखने लगता है।

जब उस भेड़िए की आंखें विक्रांत की आंखों पर टिक जाती है, वो भेड़िया कूँ... कूँ... करके रोते हुए वहां से दुम दबाकर भाग जाता है। माया ये देखकर हैरान हो जाति है पर खुश होती है की विक्रांत सही वक्त पर आ गया। माया उसे ज़ोर से गले लगा लेती है और फिर बेहोश हो जाति है। विक्रांत ये देखकर परेशान हो जाता है। वो माया को साथ लेकर कॉलेज वापस आ जाता है।

वहां अभी भी सब अनामिका को ढूंढ रहे थे। माया को उस हालत में देख कर सब चौंक जातें हैं।

दीप्ती- अरे इसे क्या हो गया?

उत्कर्ष- भाई ये ज़िंदा तो है ना?

दित्या- बोला था मैंने वो जगह सेफ नहीं है।

विक्रांत- सब बकवास बंद करो। कोई पानी देगा मुझे?

तुषार वहां पर रखी अपनी पानी की बॉटल उठाता है और खोलकर पूरी बॉटल माया की मुंह पर उड़ेल देता है। माया पर पानी पड़ते ही माया छटपटा कर उठती है।

माया- आह... हाह... कहां हूं मैं?

फिर विक्रांत को फिर से गले लगा लेती।

माया- थैंक यू मुझे बचाने के लिए विक्रांत।

दीप्ती- अरे ये पक्का माया ही है ना? इसकी तबियत तो ठीक है?

नकुल (अजीब सा मुंह बनाते हुए)- हां यार। इनका तो छत्तीस का आकड़ा था ना ये कब हो गया?

माया- गायज शट अप। माना मैं और विक्रांत दोस्त नहीं थे बट ही सेव्ड माय लाइफ। अब वो मेरा पक्का वाला दोस्त है।

श्रद्धा- पर वहां हुआ क्या तेरे साथ?

माया- पता नहीं यार पहले एक घंटे तो सब ठीक था। फिर पता नहीं कहां से वो अजीब सा इंसान आ गया।

तरुण- अजीब सा इंसान?

माया- हां यार। मैं भागी उसके पीछे तो वो भी भाग गया पर वो पता नहीं कितनी स्पीड से भाग रहा था।

उत्कर्ष- तूने चेहरा देखा उसका?

माया- नहीं यार। अंधेरा बहुत था। एक बार ही रोशनी में आया वो। बस मैं दो ही चीजें देख पाई।

दित्या- कौनसी दो चीजें?

माया- एक उसकी अंधेरे से भी काली आंखें और दूसरे उसके लंबे लंबे कैनाइंस।

दित्या, दक्ष, दर्शित और विक्रांत ये सुनकर थोड़ा हिचक जातें हैं। नकुल मज़ाक में कहता है।

नकुल- हो सकता है वो कहानी वाला पिशाच वापिस आ गया हो।

उत्कर्ष और विशाल ये सुनकर थोड़ा डर जातें हैं। दीप्ती ये देखकर हँसने लगती है। उत्कर्ष दीप्ती को हँसता देख कर मुंह बना लेता है।

विक्रांत- अच्छा चलो यार सब घर, रात काफी हो गई है। माया तुम्हे मैं छोड़ दूंगा अपनी बाइक पर।

श्रद्धा- वो सब तो ठीक है। ये अनामिका अभी तक नहीं मिली।

दीप्ती- अरे यार हो सकता है कि बिना बताए ही घर चली गई हो। तो हम भी चलते हैं।

माया- हां। शायद।

उत्कर्ष- चलो फिर बाय।

सब अपने अपने घर चलें जाते है। दित्या, दक्ष और दर्शित वहीं रुक जाते है बहाना बना कर।

दित्या- मतलब अब हमारी फैमिली के अलावा भी यहां कोई आ गया है।

दक्ष- पर वो है कौन? और उसे ये क्यों नही पता की हमारी फैमिली को और हम जैसे बाकी सब को वहां जाने की मनाई है।

दर्शित- पता नही। भाई, चाचू और मां को बताना पड़ेगा।

ये कहकर वो तीनों भी घर चले जाते है। ये सब बातें वहीं छिप कर अनामिका सुन रही थी।

अनामिका (खुदसे)- आखिर ये नया किरदार कौन है जिसे मैं नही जानती। पता लगाना पड़ेगा।

उधर माया और विक्रांत एक साथ बाइक पर उसके घर जा रहे थे। माया विक्रांत को ही देख रही थी। विक्रांत को भी एहसास होता है की उन दोनों के बीच की टेंशन अब खत्म होगई थी और माया भी उसकी दोस्त बनने के लिए रेडी थी।

माया को उसके घर छोड़ कर और उसे बाए करके विक्रांत भी अपने घर चला जाता है। अंदर आकर माया अपने पैरेंट्स से गले मिलती है और खाना खा कर अपने रूम में चली जाति है।

माया अपने बिस्तर पर आकर आराम से लेट जाति है। थोड़ी देर बाद वो चार्ली के पास उठकर आती है। चार्ली को उठाकर उसकी रिकॉर्डिंग देखने ही वाली होती है की उसकी नज़र अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी और कीचड़ पर जाती है। माया ये देखकर अपनी नाक सिकोड़ लेती है और चार्ली को स्टडी पर रख कर जल्दी से नहाने चली जाति है। फिर आकर फिर से बिस्तर पर लेट जाति है।

माया सोचने लगती है उन सब चीजों के बारे में जो बीतें कुछ दिनों में हुईं थीं। पहले तो उसकी पापा की वो बात, फिर वो विक्रांत की शॉप वाले दिन वाली सारी घटनाएं, फिर वो दित्या और उसके भाइयों के साथ वाला किस्सा, अनामिका के सामने से बॉटल का अपने आप घूमना और फिर आज जंगल में जो भी कुछ हुआ।

माया- यहां कुछ न कुछ तो बहुत अजीब चल रहा है। अब तो मुझे ही सच का पता लगाना पड़ेगा।

माया ये सोचकर सोने ही वाली थी की तभी स्टडी के कोने पर रखा चार्ली अपने आप गिर जाता है और उसपर वोही वीडियो चल जाति है। माया कैमरा गिरने की आवाज सुनकर उठ जाति है। उठकर देखती है तो वोही वीडियो चल रही होती है। माया पूरी वीडियो देख कर काफी डर जाति है और चौंक जाति है।

माया- मतलब वो सच में है और हमारे बीच ही हैं?

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