अगले दिन, यानी सोमवार को माया सुबह जल्दी उठकर तैयार होती है। आफ्टर ऑल आज से ही उसकी क्लासेज स्टार्ट होनी थीं नए कॉलेज में।
माया और अनिका दोनों कॉलेज के लिए तैयार हो रही थीं। वसुधा और आरुष स्कूल के लिए। दुष्यंत की खरीदी हुई ज़मीन अप्रूव हो गई थी तो वो साइट पर काम शुरू करने जाने वाले थे।
माया और फैमिली एक साथ ब्रेकफास्ट करके साथ में ही निकलते हैं। घर की देखभाल के लिए काका आ चुके थे और क्योंकि वो काफी समय से घर के वफादार थे तो उन्हें ही सबकी गैरमौजूदगी में रोज घर को संभालना था। ये काम वो अपनी जवानी से ही निस्वार्थ भाव से कर रहे थे।
अनिका जल्दी आगे चली जाती है। माया पीछे रुक जाती है। वो दीप्ती के आने का ही इंतज़ार कर रही थी। दीप्ती आती है और दोनों साथ में ही कॉलेज के लिए निकलते हैं।
ईस्टर्न ग्रूव हाई डलहौजी का काफी मशहूर कॉलेज था। वो वैली में बना था पर उसका इंफ्रास्ट्रक्चर और ब्यूटी देखने के काबिल थे। हालही में नए डीन, डॉ. प्रमोद वर्मा अप्वाइंट हुए थे। उनके नेतृत्व में कॉलेज ने काफी तर्रकी की। कॉलेज की रैंक भी बढ़ गई थी। कॉलेज में आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स के काफी बच्चे थे। इंग्लिश क्लासेज सबके लिए कंपलसरी थीं और स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज में भी कॉलेज और उसका स्टाफ काफी ध्यान देता था। ओवरऑल एक वेलबेलेंसेड कैरिकुलम था ईस्टर्न ग्रूव हाई का।
कॉलेज, माया के लोकेलिटी से करीब आधा कि.मी. दूर था। जो की साइकिल से आराम से पहुंचा जा सकता था। माया फर्स्ट टाइम अपने कॉलेज को देख कर मंत्रमुग्ध थी। कॉलेज काफी एकड़ में फैला था और उस में हर प्रकार की सुविधाएं थी। साथ में स्पोर्ट्स के लिए अलग अलग कोर्ट्स थे। कॉलेज के सामने ही एक बड़ा खाली ग्राउंड था जिसमे नर्म घांस थी। स्टूडेंट्स अक्सर वहां आते थे जब वो बंक मारते थे या उनका फ्री पीरियड होता था।
कॉलेज का मुख्य आकर्षण थे उसकी लाइब्रेरी और कैफेटेरिया। कॉलेज में अपनी हॉबीज परस्यू करने के लिए काफी सारे क्लब्स थे जो आए दिन कल्चरल प्रोग्राम्स, फेस्ट और इंटरकॉलेज कंपटीशन ऑर्गेनाइज करते ही रहते थे।
कॉलेज को देख कर दो मिनट माया एक दम स्तब्ध सी खड़ी रह गई। दीप्ती उसे हिला कर बोलती है।
दीप्ती- ओ बहन तू ठीक है ना? क्या हो गया तुझे?
माया- अरे यार, ये अपना ही कॉलेज है? सच बता। एक बार मुझे पिंच कर।
दीप्ती माया को एक चिकोटी काटती है और माया जोर से चिल्लाती है।
माया- अरे यार सपना नहीं है, ये तो हकीकत है।
दीप्ती- अब यहीं खड़े-खड़े खयाली पुलाओ ही पकाती रहेगी की चलेगी भी? चल जल्दी लेट हो जायेंगे क्लास के लिए तेरे फर्स्ट डे पर ही।
दीप्ती उसे खींच कर अंदर ले जाती है। अंदर जाकर सबसे पहले वो रिसेप्शनिस्ट से मिलते हैं। रिसेप्शनिस्ट उन्हे 'राजा रवि वर्मा' ब्लॉक की ओर डायरेक्ट करती है। वहां जाकर वो सबसे पहले नोटिस बोर्ड चेक करती हैं। उन्हे उनका टाइम टेबल मिल जाता है।
टाइम टेबल देखकर उनको पता चलता हैं कि उनकी पहली क्लास इंग्लिश की है। वो आर. आर. वी. ब्लॉक में लेक्चर हॉल ३०१ में घुसती हैं। वो देखती हैं की पहले से ही काफी सारे स्टूडेंट्स वहां आकर बैठे होते हैं। लेक्चर हॉल में करीबन ५० लोगों के बैठने की जगह थी। माया पांचवी रो की तीसरी सीट खाली देखती है तो उसके पास जाकर खड़ी हो जाती है दीप्ती के साथ।
वहां पहले से ही एक दुबली-पतली लड़की बैठी थी। वो देखने में सुंदर थी पर उसके बारे में एक अजीब बात थी। वो बाकी लोगों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही पेल थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था की उसके अंदर खून का एक कतरा भी नहीं था। उसने एक मैरून कलर की ड्रेस पहनी थी जो उसके स्किन कलर के बिलकुल विपरीत थी। उसके घुंगराले बाल उसकी ब्यूटी को और बढ़ा रहें थें पर कोई अंजान इंसान उसको एक नजर देखकर जरूर डर जाएगा।
माया- क्या यहां बैठ सकते हैं?
लड़की- हां ठीक है। परफ्यूम अच्छा है तुम्हारा। माइसेल्फ दित्या प्रजापति। क्लास की सबसे छोटी स्टूडेंट, सब यही कहते हैं।
माया- थैंक्स फ़ॉर दी कॉम्प्लीमेंट। मैं माया सिंह और ये मेरी पड़ोसन दीप्ती शर्मा। ओय हेलो कर। नाइस टू मीट यू वैसे।
दीप्ती- हेलो ब्यूटीफुल!
दित्या- चलो जल्दी बैठ जाओ बातें बाद में कर लेना। तुम वैसे भी एक हफ्ता लेट हो। मैं तो दीप्ति से मिल चुकी हूं। सक्सेना सर आते ही होंगे। वो अपने सब्जेक्ट को लेकर काफी पर्टिकुलर हैं।
माया- ओह अच्छा, वैसे सुनो यहां सब फाइन आर्ट्स के ही स्टूडेंट्स हैं क्या?
दित्या- नो ब्रो, ये सब अलग-अलग कोर्सेज में हैं पर सब को फाइन आर्ट्स पसंद है। कुछ लोगों का मेन सब्जेक्ट, कुछ की हॉबी और बाकी उसके क्लब के मेंबर्स हैं। इस क्लास के बाद सब इसी विंग में अपनी-अपनी क्लासेज के लिए चले जायेंगे, उनके टाइम टेबल के अकॉर्डिंग। एस यू कैन सी, हर सुबह ९ से १० इंग्लिश का ही पीरियड होता है।
माया- ओह अच्छा। मेरा और इसका तो मेन सब्जेक्ट फाइन आर्ट्स ही है। तुम किसकी स्टूडेंट हो?
दित्या- मैं भी। फाइन आर्ट्स इस लव।
अचानक से क्लास का सारा शोर भरा माहौल शांत हो जाता है और सक्सेना सर क्लासरूम में आ जाते हैं। सक्सेना सर एक ५० साल के बुजुर्ग थे और बिलकुल एक इंग्लिश मैन की तरह कपड़े पहनते थे। उनके सिर पर एक टोपी और हाथ में छड़ी रहती थी। दूसरे हाथ में इंग्लिश की एक बुक। वो आते ही सबसे पहले सारे न्यूकमर्स को उनका इंट्रोडक्शन देने को कहते हैं। उनका मानना था कि ये एक अच्छा तरीका था नए लोगों को जानने का और अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स इंप्रूव करने का।
सक्सेना सर की क्लास और इंग्लिश टीचर्स की तरह सिर्फ लैंग्वेज पर ही ध्यान ही देती थी। पर वो ओवरऑल पर्सनेलिटी को कैसे डेवलप करें उसपर भी ध्यान देती थी। उनकी क्लास का एक घंटा कब खत्म हुआ पता ही नहीं चला। क्लास के बाद माया को पता चला उसके अलावा फाइन आर्ट्स के ८ और स्टूडेंट्स थे।
दो को तो वो पहले से ही जानती थी। पहली दीप्ती, दूसरी दित्या जिससे वो आज ही मिली थी। बाकी के लोग थे-:१. नकुल राय२. श्रद्धा बंसल३. विशाल बंसल४. तुषार मेहता५. तरुण मित्तल६. उत्कर्ष वर्माऔर इन सब के अलावा ४ और स्टूडेंट्स थे जो आज क्लास नहीं आए थे।
इंग्लिश की क्लास के बाद अब फाइन आर्ट्स की क्लास थी। अपने नए क्लासमेट्स से मिलकर माया काफ़ी खुश थी। वो सब उसे अपने दिल्ली वाले दोस्तो की याद दिलाते थे।फाइन आर्ट्स की टीचर मित्तल मैम थी। वो एक ४६ साल की एक महिला थी और कॉलेज में करीब २९ साल से पढ़ा रहीं थीं। मित्तल मैम गोरी थीं और हल्की मोटी भी। वो हमेशा ट्रेडिशनल कपड़े ही पहनती थीं। दिखने में भले ही स्ट्रिक्ट और नेरोमिंडेड लगती थीं पर वो सब टीचर्स में से सबसे प्रोग्रेसिव थीं। वो दोनों, थ्योरी और प्रैक्टिकल क्लासेज लेती थीं फाइन आर्ट्स की।
उनकी कोई स्पेशल क्लास नहीं थी। फाइन आर्ट्स को लेकर बस एक छोटा सा रूम था जहां उनकी आर्ट सप्लाइज और उनकी कुछ पेंटिंग्स रखीं थीं। उनका मानना था कि आर्ट की इंस्पिरेशन तो कहीं से भी आ सकती है। फाइन आर्ट्स का प्रैक्टिकल उस दिन कॉलेज के ओपन ग्राउंड में हुआ जहां मित्तल मैम ने सबको अपने इमोशन को कैनवास पर कैसे उतारना है ये सिखाया। थ्योरी लेक्चर भी सबको एक सर्किल में बिठाकर पेड़ के नीचे दिया और फिर सबसे हंसी-मजाक करके सबसे विदा ली।
फाइन आर्ट्स के पीरियड के बाद अब लंच ब्रेक था। तो माया और उसके सारे दोस्त कैफेटेरिया चले गए। वहां आम दिन के मुकाबले उस दिन ज्यादा शांति थी। ये देखकर दित्या थोड़ा घबरा जाती है और सबसे कहती है।
दित्या- यार, वो दोनों कभी भी आते ही होंगे, सब निकलो यहां से।
श्रद्धा- दित्या तू किसके बारे में बात कर रही है?
उत्कर्ष- यार डोंट टेल मि, की तू उन दोनों की बात कर रही है।
नकुल- अबे क्या लगा रखा है वो दोनों आ रहे हैं ? कौन आ रहा है कोई बताएगा भी?
दित्या- यार मेरे भाई। वही दोनों बदमाश कॉलेज के। चलो यहां से।
ये सुनकर तरुण वहां से भाग जाता है। बाकी लोग भी वहां से जाने वाले ही होते हैं कि अचानक से पता नहीं कही से दो लंबे, लीन लड़के वहां आ जाते हैं। उनको देखकर साफ पता चल रहा था की वो दोनों दित्या के ही भाई थे। दोनों काफी गुडलुकिंग थे और बैड बॉयज वाली ही फील दे रहे थे। उनको देख कर पता चलता था कि दे वर अपटू नो गुड। दोनों ही भाई करीबन एक ही हाइट के थे अराउंड ५ फूट १० इंच। दोनों के बाल एक दम स्ट्रेट और हल्की मस्कुलर बॉडी थी। एक की आंखों का रंग नीला था और दूसरे की आंखों का रंग भूरा। दोनों ने एक दूसरे को कॉम्प्लीमेंट करने वाले ही कपड़े पहने थें। उन्होंने आते ही दित्या का हाथ पकड़ लिया।
दित्या- दर्शित, दक्ष क्या नाटक लगा रखा है ये? छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है।
उसमें से नीली आंखों वाला दर्शित और भूरी आंखों वाला दक्ष था।
दर्शित- अरे अरे, क्या हुआ? अपने नए दोस्तों से नहीं मिलवाएगी हमें?
दक्ष- हां भई। हम भी तो क्लासमेट्स ही हैं। आखिर कॉलेज लाइफ साथ ही बितानी है तो जानना तो जरूरी है सबको।
माया- ए, व्हाट इज दिस बिहेवियर? छोड़ो उसका हाथ। हो कौन तुम दोनों लफंगे? क्या हरकतें हैं ये?
दीप्ती- हां बे, छोड़ो उसका हाथ।
उत्कर्ष (धीरे से)- क्या कर रही है माया? भाई हैं दोनों उसके।
माया- फिर तो ये हरकतें करने की हिम्मत कैसे हुई दोनों नमूनों की?
दित्या- तुम लोग बाहर रहो इस सब से मैं संभाल लूंगी। तुम सब जाओ यहां से।
दक्ष- ना... ना... ना... ऐसे कैसे? इंट्रोडक्शन दिए बिना कोई कहीं नही जायेगा।
दर्शित- जाके दिखाए। कैसे जायेंगें मैं देखता हूं?
ये कह कर फिर दोनों हंसने लगे। दक्ष सारे लड़कों का इंट्रो. लेता है उत्कर्ष को छोड़ कर और दर्शित सारी लड़कियों का। एंड में माया और दित्या बचते हैं बस। दक्ष माया की तरफ उंगली करके उससे कहता है।
दक्ष- हां तो, मिस फूलन देवी अब आपकी बारी है। क्या कह रही थी? "कि भाई हो इसके, ये क्या हरकतें हैं?"
दर्शित- तुम होती कौन हो हमें हमारी बहन से बात करने की तमीज सिखाने वाली?
दित्या- भाई क्या कर रहे हो आप दोनों जाने दो उसे?
माया- नहीं दित्या। आज इनको मैं सबक सिखाती हूं कि लड़कियों से कैसे बात करते हैं और अपनी बहन के साथ ये सब नहीं करना होता।
माया अपने पैरों से अपनी हील निकालती है और एक-एक करके दोनों के मुंह पर मारती है। दित्या वहीं खड़ी ये सब घबराते हुए देख रही होती है क्योंकि उसको भी नहीं पता था की अब आगे क्या ही होगा माया के साथ।
दोनों को एक-एक हील मारने के बाद माया वहां से जाने ही वाली होती है कि तभी दक्ष उसको कस कर पकड़ लेता है। उस समय जो माया देखती है वो सुनने में इंपॉसिबल सा लगेगा और यकीन करने में थोड़ा मुश्किल होगा। माया देखती है कि दोनों भाइयों की आंखें जो पहले नीली और भूरी थीं अब रात के अंधेरे की तरह अब एक दम काली हो चुकी हैं। दोनों काफी गुस्से में भी लग रहे थे और दोनों के कैनाइन टीथ काफी उभर आए थे। माया ये सब देख कर डर गई थी। कुछ बुरा होने ही वाला था की तभी वहां एक तीसरा लड़का आ जाता है जो उम्र में वहां मौजूद सबसे बड़ा था। दित्या उस लड़के को देख कर चैन की सांस लेती है।
दित्या- दंश भाई ! अच्छा है आप आ गए। ये देखो ये दोनों क्या कर रहे हैं।
दंश, दक्ष, दर्शित और दित्या का बड़ा भाई था, उनका कसिन। दिखने में किसी मूवी स्टार से कम नहीं था। मस्कुलर बॉडी, पतला हॉट फिगर, रंग में पेल बाकियों की तरह। स्ट्रेट बाल, लंबा कद, फोल्डेड स्लीव्स और ऑल ब्लैक कपड़े। ऊपर से सोने पे सुहागा ऐसी सिचुएशन में भी उसकी काल्मनेस।
दंश- दक्ष, दर्शित क्या चल रहा है ये सब? कर क्या रहे हो तुम दोनों?
दंश की आवाज सुनकर दोनों भाई शांत हो जाते हैं और डर से कांपने लगते हैं।
दक्ष (हकलाते हुए)- वो... वो... भाई बस कुछ नहीं नए क्लासमेट्स का इंट्रो. ले रहे थे बस और कुछ नहीं।
दर्शित (झूठी हंसी हंसता हुआ)- हे... हे...हां भाई बस इंट्रो. ही ले रहे थे सबका। वैसे भी सारा आइडिया दक्ष का था।
दंश- दोनों बिलकुल चुप हो जाओ। अभी डीन सर ने मुझे बुलाया था और तुम दोनों को लास्ट वार्निंग दे रहा हूं। आगे अगर कोई भी कंप्लेंट आई तुम्हारी तो, आज तो मैने बचा लिया है अगली बार यू विल बी आउट ऑफ द कॉलेज। याद रखना ये कल से रेगुलर क्लास, नो बंकिंग, नो रैगिंग, ओनली पढ़ाई पर ही ध्यान देना है। आई बात समझ में? अब निकलो दोनों यहां से और सॉरी बोलो सबको। दित्या तू ठीक है?
दंश से लेक्चर सुनकर दोनों वहां से चले जाते हैं और उनके जाने के बाद दित्या कहती है।
दित्या- हां भाई मैं तो ठीक हूं। माया ने अच्छा सबक सिखाया दोनों छछुंदरों को। आई होप वो ठीक है।
दंश फाइनली माया की तरफ मुड़ता है। उसे देख कर माया मंत्रमुग्ध हो जाती है। वो दंश को देखकर उससे एक स्ट्रेंज सा कनेक्शन फील करती है। दंश माया को देखकर थोड़ा चौक जाता है पर फिर उसे उठा कर उससे पूछता है।
दंश- हे! ठीक हो तुम? मैं अपने भाइयों की तरफ से माफी मांगता हूं। आई होप एवरीथिंग इस ओके? मैं दंश हूं वैसे। कॉलेज में फाइन आर्ट्स में सेकंड ईयर में।
माया कुछ कहती नहीं है। बस दंश की ग्रे आंखों को एक टक देखती रहती है। ये देखकर दित्या दंश से कहती है।
दित्या- भाई आप जाओ। इसे मैं देखती हूं। मां को बताना घर जाके दोनों की हरकतों के बारे में।
दंश वहां से चला जाता है। दित्या वहां माया को संभालती है और उससे पूछती है।
दित्या- ओय तू ठीक है ना? क्या हो गया था तुझे अभी? भाई को ऐसे क्यों देख रही थी?
इससे पहले की माया कुछ जवाब देती, उतने में दीप्ती वहां आ जाती है।
दीप्ती- क्या कर रहे हो दोनों? अब तो फ्री पीरियड है ना? क्या करना है कोई कुछ बताएगा?
माया- सच में फ्री पीरियड है?
दित्या- हां यार, अब बाकी का दिन फ्री ही है।
माया- चलो बढ़िया है अब मैं चार्ली को ढूंढने जा सकती हूं।
दित्या- ये चार्ली कौन है अब?
दीप्ती- इसका सबसे अच्छा दोस्त, इसका कैमरा। ये अपने कैमरा को प्यार से चार्ली बुलाती है।
दित्या- ब्रो, तू भी ना। पर चार्ली गया कहां? और मिलेगा कैसे?
माया- कल रात मैंने उसे कहीं गिरा दिया था। जहां मैं और दीप्ती फर्स्ट टाइम मिले थे। याद कर ना दीप्ती।
दीप्ती- अरे हां ना। हम तो उस जंगल में मिले थे ना। हो सकता है वहीं कहीं गिरा हो।
माया- अरे हो सकता है क्या? वहीं गिरा होगा ना चार्ली।
दीप्ती- हां ना चलो चलते हैं। दित्या तू भी चल ना।
दित्या- हां लेकिन तुम लोग कौनसे जंगल जाने की बात कर रहे हो?
दीप्ती- अरे यार वही मॉल रोड के पास वाला जंगल।
दित्या ये सुनकर घबरा जाती है और माया और दीप्ती से बहाना बना कर चली जाती है।
दीप्ती- अरे इसे क्या हुआ? ये ऐसे दुम दबाकर कहां भाग गई?
माया- अरे कुछ अर्जेंट काम याद आ गया होगा। चल अब तो उसके बिना ही जाना होगा।
माया और दीप्ती मॉल रोड के पास वाले जंगल में जाते हैं और माया का कैमरा ढूंढने लगते हैं। उन्हे वो कहीं नहीं मिलता। और अंदर जाते हैं तो धीरे-धीरे कोहरा बढ़ने लगता है। एक बड़े से पेड़ के पास दोनों को एक लड़की का साया दिखता है। लड़की करीबन उन्ही की उम्र की थी और हाइट में एवरेज थी। रंग हल्का सांवला, बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें। होठों पर लाल लिपस्टिक और लाल कलर की ही एक साड़ी लपेटी हुई थी। उसका फिगर काफी अच्छा था।दोनों उसे देखकर घबरा जाते हैं पर फिर भी आगे बढ़ते हैं। पास जाकर सुनते हैं तो ऐसा लगता है की वो लड़की अपने आप से बातें कर रही थी।
माया- अबे यार ये कौन है? देख तो जरा?
दीप्ती और माया देखने की कोशिश करते है पर कुछ दिखता नहीं है क्योंकि लड़की का चेहरा उस बड़े से पेड़ की तरफ था।
लड़की (अपने आप से बातें करते हुए)- याद रखना हमेशा की तुम यहां क्यों आई हो? किसी को भी नहीं पता चलना चाहिए की क्या है तुम्हारा राज़। तुम सिर्फ उनकी बर्बादी के लिए यहां हो।
ये सुनकर दीप्ती कुछ सोचती है और जोर से उसे अपनी ओर खींचती है।
माया (अपने आप से)- अरे, अब ये क्या कर रही है?
दीप्ती- तो मैं ठीक ही थी, ये तू ही है ना अनामिका? अपना ये प्ले के रोल का सपना छोड़ दे और ये कौनसी जगह है ऐसे प्रैक्टिस करने के लिए।
अनामिका- यार तू भी ना, अच्छा खासा अपने डाकीनी के रोल के लिए प्रिपेयर कर रही थी। सब किए कराए पर पानी फेर दिया।
माया- कोई बताएगा हो क्या रहा है?
दीप्ती- ओह्फो। अरे यार ये है वो तीसरी जो आज मिसिंग थी क्लास से। ड्रामा क्वीन अनामिका माथुर। इसे ये डायन, भूत, चुड़ैल के रोल करने में बड़ा मजा आता है। हमारे साथ ही एडमिशन हुआ था इसका भी।
माया- ओ अच्छा। मैं माया तुम्हारी ही क्लास में हूं।
अनामिका- नाइस टू मीट यू। अच्छा ये सब बातें तो होती रहेंगी। तुम लोग बताओ यहां क्या कर रहे हो इस टाइम?
माया- यार चार्ली को ढूंढ रहे हैं। कही मिल नही रहा है।
अनामिका- ये चार्ली कौन है?
माया- ये लोग मुझसे दो दिनों में ७६५ बार पूछ चुके हैं। चार्ली मेरे कैमरा का नाम है।
अनामिका ये बात सुनकर विजिबली कन्फ्यूज्ड थी पर वो कुछ कहती नहीं है। वो आगे कुछ पूछना ठीक नहीं समझती। बस अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर एक कैमरा दिखाती है और पूछती है।
अनामिका- क्या यही है चार्ली? यहीं पड़ा हुआ मिला मुझे।
माया चार्ली को देख कर खुश हो जाती है और अनामिका के हाथ से कैमरा लेकर उसे ऑन करने की कोशिश करती है। पर चार्ली ऑन ही नहीं होता।
माया- अरे यार! देख ना ये ऑन ही नहीं हो रहा।
दीप्ती- तुझे अभी क्यों ऑन करना है उसे घर जाकर बैटरी चार्ज करके देखियो।
माया- अरे यार बैटरी फुल है, इसमें कुछ रिकॉर्ड भी हुआ है देख ये लाल एल. ई. डी. भी फ्लिकर कर रही है।
अनामिका- हां, अगर बैटरी फुल है तो ये चल क्यों नही रहा?
माया- भगवान जाने यार। पता नहीं अब ठीक कैसे होगा?
दीप्ती- वो विक्रांत है ना। उसी की शॉप पर दे आ।
माया- एक मिनट... एक मिनट... तू उस विक्रांत को कैसे जानती है?
दीप्ती- कैसे जानती है मतलब? क्लास का सबसे पॉपुलर बंदा है और मैं जानूंगी भी नहीं उसे?
अनामिका- ये वही है ना जिसकी एक विंटेज शॉप है?
दीप्ती- हाँ यार वही है।
माया- तो तेरा मतलब है वो भी क्लास में है? वो नकचड़ा?
ये सुनकर दोनों अनामिका और दीप्ती हँसने लगते हैं।
माया- अरे हँस क्या रहे हो बताओ?
दीप्ती (हँसते हुए)- आ हा हा... तुझे क्या हो गया? तू ये बता। तू कहाँ मिल ली उससे?
माया सारी कहानी उन्हें बताती है और परेशान होती है। दीप्ती और माया विक्रांत की शॉप के लिए निकलते हैं। अनामिका प्रैक्टिस का बहाना बना कर वहीं रुक जाती है।
उनके जाने के बाद अनामिका जोरों से हँसने लगती है। उस वक्त उसे देखकर ऐसा लग रहा था की जो वो चाहती थी वोही हो रहा था। अनामिका ऐसी लग रही थी मानो वो कोई और ही थी। जिसे ढंग से कोई नहीं जानता था। वो जो थी वो किसी को दिखाती नही थी।
उधर माया और दीप्ती विक्रांत की शॉप पर पहुंचते हैं। दीप्ती तेज़ी से अंदर जाने ही वाली होती है की पीछे से माया उसे पकड़ लेती है।
माया- ओ हवाहवाई। ज़रा साइन ढंग से पढ़ियो। पिछली बार की तरह आई डोंट वांट एनी ड्रामा।
दीप्ती- हां बाबा... देख ध्यान से 'ओपन' ही लिखा है। वैसे भी विक्रांत क्लासमेट है वो कुछ नहीं कहेगा।
माया- मुझे तो नहीं लगता, वो बंदर कुछ सुनेगा भी।
माया और दीप्ती शॉप के अंदर आते हैं और हर बार की तरह विक्रांत वहीं खड़ा होता है। वो पहले दीप्ती को ग्रीट करता है और माया को देखकर मुंह बना लेता है।
विक्रांत- ओ हेलो (फिर धीमे से बोलता है) लगता है मेरी ज़िंदगी में डिस्टर्बेंस खत्म नहीं होगी।
माया- कुछ कहा क्या तुमने?
विक्रांत- नहीं तो। सुना क्या तुमने कुछ?
माया- ए ज्यादा ओवरस्माट मत बनो मिस्टर० बंदर। चार्ली को ठीक करो।
विक्रांत- ओ मिस. अजीबोगरीब आपका नौकर नही हूं मैं।
दीप्ती- क्या यार ऐसे बच्चों की तरह लड़ रहे हो? बस करो दोनों। विक्रांत ये ठीक करके दे सकते हो तो बताओ वरना हम चले जाते हैं। और बाय द वे, ये भी आज से क्लासमेट है तुम्हारी।
विक्रांत- क्या?! क्या कह दिया? आलतू-जलालतु आई बाला को टाल तू। अपनी कॉलेज लाइफ इस ढक्कन के साथ बितानी पड़ेगी? हे भगवान इतना ज़ुल्म मुझ गरीब पर।
माया- ओय भीगी बिल्ली। ढक्कन किसे बोला?कैमरा ठीक करना है तो बताओ या आता ही नहीं है कैमरा ठीक करना?
विक्रांत- कहा तो तुम्हें ही था पर अब लगता है की तुम सच में ढक्कन ही हो। ऑब्वियसली, इतनी बड़ी कैमरा की शॉप है तो कैमरा भी ठीक करना आता ही होगा।
माया- तो कब तक ठीक हो जायेगा?
विक्रांत- डिपेंड करता है कि इस कैमरा के भी कही कुछ लोगों की तरह पेंच तो ढीले नही हैं।
माया- बहुत हो गया, यू वेट बंदर। आज ही दो नमूनों को मेरी हील ने सबक सिखाया है लगता है अब तुम्हारी बारी है।
विक्रांत- अरे अरे, तुम तो सीरियस हो गई। बताओ तो क्या हुआ है इसमें?
माया- पता नहीं चार्ली की बैटरी तो फुल है पर ये ऑन नहीं हो रहा। मुझसे कल वो जो मॉल रोड के पास वाला जंगल है ना वहीं पर गिर गया था। इसमें कुछ रिकॉर्ड भी हुआ है। पर ये ऑन ही नहीं हो रहा।
विक्रांत- ओह कोई नहीं कल दोपहर तक देता हूं ठीक करके।
माया अपना कैमरा उसे थमा कर दीप्ति के साथ वहां से चली जाती है। माया की बाते सुनकर विक्रांत घबरा जाता है। अपने आप से पूछता है।
विक्रांत (खुद से ही)- मॉल रोड के पास वाला जंगल? ऐसा क्या रिकॉर्ड हो गया इस डब्बे में?
विक्रांत तुरंत उसे ठीक करना स्टार्ट करता है। चार-पाँच घंटे लगातार उसपर काम करने के बाद भी वो चल ही नहीं रहा था। फ्रस्ट्रेट होकर, गुस्से में विक्रांत उसे ज़मीन पर पटक देता है।चार्ली नीचे गिरने के बाद रिस्टार्ट होता है और फिर चलने लग जाता है। लेकिन उसकी वीडियो फाइल रिकवरी में कम से कम २४ घंटे लगते तो विक्रांत उसे अपने कंप्यूटर के रिकवरी सॉफ्टवेयर से कनेक्ट करके घर चला जाता है।
सुबह आता है तो देखता है कि अभी भी उसकी रिकॉर्डिंग रिकवरी में कुछ टाइम है। कुछ दो घंटे बाद सारी वीडियो रिकॉर्डिंग और ऑलरेडी क्लिक्ड पिक्चर्स रिकवर हो जाती हैं। विक्रांत फोटोज और वीडियो को स्क्रॉल करता हुआ परसो रात की रिकॉर्डिंग तक पहुंचता है और वीडियो स्टार्ट करके देखता है। रिकॉर्डिंग देख कर उसके होश उड़ जाते हैं और वो काफी ज़्यादा घबराने लगता है।
विक्रांत (अपने आप से)- ये कोई नहीं देख सकता। नहीं मैं ये रिकॉर्डिंग डिलीट कर दूंगा इससे पहले की इसे कोई देखे।
विक्रांत ये सोच ही रहा होता है की उतने में माया वहा आजाति है।
माया- ओ, आई सी। नाइस वर्क, विक्रांत। आई गेस, तुम उतने भी बुरे नहीं हो। लाओ चार्ली को वापस करो।
विक्रांत (हिचकिचाते हुए)- अरे... वो... सुनो इसमें थोड़ा काम अभी बचा है। तुम थोड़ी देर बाद आकर इसे ले जाना।
विक्रांत की पूरी बॉडी अचानक से पसीने से तर हो जाती है। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि कुछ ऐसा होने वाला था जो नही होना चाहिए।
माया- अरे। फिर से मजाक कर रहे हो क्या तुम? मुझसे ज़्यादा अच्छे से कोई नहीं जानता चार्ली को। चार्ली लुक्स ऑल गुड लाओ वापस करो।
माया विक्रांत के हाथ से चार्ली को ले लेती है। चार्ली को ठीक देखकर माया खुश हो जाति है और विक्रांत को पैसे देकर वहां से चली जाती है।
माया जा चुकी होती है। विक्रांत काफी घबराता है और डरता है कि अगर किसी ने रिकॉर्डिंग देख ली तो क्या होगा?
विक्रांत (खुद से)- नहीं... नहीं... नहीं... ऐसा नहीं हो सकता। वो रिकॉर्डिंग कोई नहीं देख सकता। उसे डिलीट होना ही होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जायेगी।
ये सब विक्रांत सोच ही रहा होता है कि उतने में वहां पर अरुण आ जाते हैं। विक्रांत उन्हें सारी बातें बताता है जो उसने उस रिकॉर्डिंग में देखा।अरुण गुस्से से दहाड़ सी मारता है।
अरुण- तुझे पता भी है तू क्या कह रहा है? अगर वो वीडियो कैसे भी बाहर आ गई तो कितनी बड़ी मुसीबत आ जायेगी, तुझे पता भी है? अब ये सब तुझे ही ठीक करना है।
विक्रांत- पर कैसे?
अरुण- उसका दोस्त बन और वो वीडियो किसी की भी नजरों में आने से पहले डिलीट कर दे। वरना पूरी फैमिली खतरे में आ जाएगी। किसी भी कीमत पर ये हो जाना चाहिए। पूर्णिमा की रात का राज़ किसिके भी सामने नहीं आना चाहिए। और यदि 'उन्हें' ये बात पता चल गई तो प्रलय को आने से मैं भी नहीं रोक सकता।
आखिर ऐसा क्या रिकॉर्ड हो गया था उस कैमरा में? और कैसा राज़ था पूर्णिमा का जिसके बारे में अरुण बात कर रहे थे? ये सब बाते समय जल्द ही बताने वाला था।
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