स्कूल का आखिरी दिन था। हवा में उत्साह और अनिश्चितता का मिश्रण था। लोग, अब बूढ़ा हो चुका योद्धा, अपने तीनों बच्चों—क्रम, इंद्र, और काल—के सामने खड़ा था। उसकी आँखों में गर्व था, लेकिन चिंता भी। उसने गहरी साँस ली और बोला, "तुम्हारा स्कूल खत्म हो गया। कल सुबह मेरी सेना तुम्हें लेने आएगी। तुम ऊपरी धरती देखोगे—वो कितनी सुंदर है, और कितनी खतरनाक। वहीं से तुम्हारी असली ट्रेनिंग शुरू होगी।"
उसने एक पल रुका, फिर गंभीर स्वर में कहा, "एक बात याद रखना। पूरे स्कूल में सिर्फ़ छह पाथ यूज़र बने हैं। तुम तीनों—क्रम, इंद्र, काल—और तीन अन्य: मून, रोज़, और मीना। बाकी कोई भी पाथ जाग्रत नहीं कर सका।"
क्रम ने भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा, "मून, रोज़, और मीना? मैंने तो इनके नाम पहले कभी नहीं सुने।"
इंद्र ने अपनी हँसमुख मुस्कान के साथ कहा, "शायद वो घर पर पढ़ते होंगे। या कोई खास बैच में?"
काल ने ठंडे लहजे में कटाक्ष किया, "नाम सुने या न सुने, फर्क नहीं पड़ता। चलो, घर चलते हैं। मुझे भूख लगी है।"
बात यहीं खत्म हुई। तीनों घर लौट गए, लेकिन उनके मन में सवाल उमड़ रहे थे। मून, रोज़, और मीना कौन थे? और ऊपरी धरती की ट्रेनिंग में क्या इंतज़ार कर रहा था?
अगला दिन: एक नई शुरुआत
सुबह के धुंधलके में एक भारी-भरकम आर्मी ट्रक स्कूल के सामने रुका। उसकी धातुई सतह पर धूल जमी थी, जैसे उसने धरती की गहराइयों से लंबा सफर तय किया हो। ट्रक से कुछ सैनिक उतरे—काले कवच में लिपटे, चेहरों पर कोई भाव नहीं। उन्होंने क्रम, इंद्र, और काल को इशारा किया। तीनों ने एक-दूसरे को देखा, फिर बिना सवाल किए ट्रक में चढ़ गए।
अंदर पहले से तीन अन्य बच्चे बैठे थे—मून, रोज़, और मीना। मून एक दुबली-पतली लड़की थी, जिसकी आँखें चाँद की तरह चमकती थीं। रोज़ का चेहरा शांत था, लेकिन उसकी मुस्कान में रहस्य छिपा था। मीना तेज़-तर्रार लगती थी, उसकी उंगलियाँ बेचैन थीं, जैसे वो हर पल कुछ करने को तैयार हो। कोई बात नहीं कर रहा था। हवा में तनाव था।
ट्रक करीब तीन घंटे तक चला, धरती की गहरी सुरंगों से गुजरता हुआ। अचानक, वो एक विशाल, सुनसान डॉक पर रुका। चारों तरफ धातु की दीवारें थीं, और हवा में रसायनों की गंध थी। तभी, एक आदमी सफेद लबादे में प्रकट हुआ, जैसे कोई वैज्ञानिक। उसके हाथ में कई गैस के कैन थे। उसने तेज़ी से कैन खोले, और एक धुंधली गैस हवा में फैल गई।
"ये क्या—" इंद्र चीखा, लेकिन उसकी आवाज़ अधूरी रह गई। गैस ने सबको निगल लिया। एक-एक करके, छहों बच्चे बेहोश होकर गिर पड़े।
वैज्ञानिक ने अपना सफेद मास्क उतारा। उसका चेहरा ठंडा और निर्मम था। उसने अपने साथियों—कुछ विशालकाय, मशीन जैसे सैनिकों—को बुलाया। "उन्हें उठाओ," उसने आदेश दिया। सैनिकों ने छहों बच्चों को उठाकर एक अंधेरी गलियारे में ले गए।
काला रसायन
जब क्रम, इंद्र, और काल की आँखें खुलीं, वे एक ठंडी, धातुई लैब में थे। उनके शरीर एक काले, चिपचिपे रसायन से ढके थे, जो उनकी त्वचा में समा रहा था। हवा में बिजली की गंध थी, और दीवारों पर अजीब से प्रतीक चमक रहे थे। सामने खड़ा था वही वैज्ञानिक—डॉ. आर. लेबो। उसकी आँखें बर्फ की तरह ठंडी थीं।
"मुझे पता है तुम होश में आ गए हो," लेबो ने ठंडे लहजे में कहा। "चुपचाप रहो। तुम्हारा अगला एक्सपेरिमेंट शुरू होने वाला है।"
क्रम ने गुस्से से अपनी मुट्ठी कसी, लेकिन काला रसायन उसे जकड़े हुए था। इंद्र ने अपने दिमाग में धातु बुलाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। काल की आँखें लाल हो उठीं, लेकिन उसका डोमिया भी काम नहीं कर रहा था।
लैब में एक और वैज्ञानिक थी—लीता। उसकी आवाज़ में बेचैनी थी। "पिछले बीस साल से मैं धरती पर एलियंस को बुलाने की कोशिश कर रही हूँ। ये कीड़े—" उसने गुस्से से एक ट्यूब को मेज पर पटका। "ये घटिया परजीवी मेरे प्लान को बर्बाद कर रहे हैं।"
लेबो ने उसकी बात काटी, "फिर से वही अलग फ्रीक्वेंसी वाला इनविटेशन? लीता, तुम्हारा जुनून हमें बर्बाद कर देगा।"
दोनों बहस करते हुए लैब से बाहर चले गए, लेकिन उनके शब्द हवा में गूँज रहे थे। क्रम ने धीरे से इंद्र की ओर देखा। "ये लोग... क्या चाहते हैं?"
इंद्र ने फुसफुसाया, "हमें गिनी पिग बनाना चाहते हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूँगा।"
काल ने दाँत पीसते हुए कहा, "मैं इनकी आत्मा उखाड़ दूँगा।"
एक नया खतरा
लैब के बाहर, मून, रोज़, और मीना भी उसी काले रसायन में जकड़े थे। मून की आँखें अभी भी चमक रही थीं, जैसे वो कुछ देख रही हो जो बाकी नहीं देख सकते। रोज़ ने धीरे से कहा, "हमें अपने पाथ का इस्तेमाल करना होगा। ये रसायन हमें रोक रहा है, लेकिन हमारा पाथ इससे मज़बूत है।"
मीना ने गुस्से में कहा, "मैंने सुना, वो एलियंस को बुलाना चाहते हैं। अगर वो आए, तो धरती का अंत हो जाएगा।"
क्रम ने गहरी साँस ली। उसकी उंगलियों से काली आग की चिंगारियाँ फूटीं, और रसायन पिघलने लगा। "हमारे पास वक्त कम है। हमें एकजुट होना होगा।"
इंद्र ने हँसते हुए कहा, "तो चलो, धातु का जादू दिखाते हैं।" उसने अपनी ताकत जुटाई, और लैब की दीवार से एक तलवार उभर आई।
काल की आँखें लाल हो उठीं। "मैं इनके वैज्ञानिकों की आत्मा चुरा लूँगा।"
लेकिन तभी लैब का दरवाज़ा खुला। डॉ. लेबो वापस आया, और उसके साथ था वही मास्क मैन—काला नकाब, ठंडी आँखें। उसने छहों बच्चों को देखा और मुस्कुराया। "तुम्हारा पाथ हमारी सेना का हिस्सा बनेगा। या फिर... तुम इन कीड़ों का शिकार बनोगे।"
हवा में सन्नाटा छा गया। क्या ये छह बच्चे अपनी ताकत का इस्तेमाल करके बच पाएँगे? या फिर लेबो और मास्क मैन का ये खतरनाक खेल धरती को हमेशा के लिए बदल देगा
***बेहतर पढ़ाई का आनंद लेने के लिए नॉवेलटून को डाउनलोड करें!***
Comments