Force But Arrange By Him

Force But Arrange By Him

ep1 राठौर ब्रदर्स की शादी

hello reders this my first novel on this aap I hope you like it

एक बोहोत बड़ा पैलेस  एंट्रेस पर R.R लिखा था आज यहां काफी सुंदर तरह से सजावट की गई थी ये पैलेस काफी बड़ा और शानदार था और आज तो जैसे कयामत महंगे विदेशी फूलों की खुशबू पूरे पैलेस में महक रही थी पैलेस की चारो और कड़ी सिक्योर्टी थी जिसपर R R का टैग था इस शादी में काफी बड़े से लेके छोटे बिजनेस मैन एक्टर्स और माफिया वर्ल्ड के लोग मोजूद थे। आज राठौर परिवार के दोनो बेटे रिवान और रेवंश की शादी हो रही थी।

अनिका अनिका कहा हो बाबा कहते हुए एक हैंडसम से आदमी ने उस पैलेस के ऊपरी हिस्से पर बने कमरे एंटर किया। उसने पूरे कमरे में अपनी नजरे घुमाई वहां कोई नहीं था। तभी वाशरूम का डोर खुला और एक खूबसूरत औरत बाहर आई उम्र भले ही ढल चुकी हो लेकिन आज अभी कयामत लग रही थी।

अनिका ने एक गहरी रॉयल ब्लू रंग की सिल्क साड़ी पहनी थी, जिसकी बॉर्डर पर ज़री की महीन कढ़ाई थी। साड़ी इतनी खूबसूरती से पहनी गई थी कि हर प्लीट जैसे उसकी नज़ाकत बयाँ कर रही हो। उसके बाल हल्के से खुले हुए थे, और सिर के एक ओर मोतियों की सजी हुई क्लिप चमक रही थी।

ये क्या है तुम्हे इतना रेडी होने के लिए किसने कहा था उस आदमी ने अनिका को वॉल के अगेंस्ट चिपकाते हुए कहा। उसके आंखो में शरारत थी।

जिसे देखते हुए अनिका ने उस आदमी के गले में अपने दोनो हाथ डाले और कहा ", मिस्टर राजेश राठौर जी क्या आप भूल गए आज हमारे बेटों की शादी है।

वैसे में भुला तो नही मिसेज राठौर जी लेकिन आपको इतनी सुंदर दिखने के कोई हक नही समझी राजेश ने अनिका को और करीब करते हुए कहा।

आहन आज नही राज अनिका ने उसे दूर करते हुए कहा लेकिन राजेश एक इंच भी नहीं हिला वही वो अनिका के और पास आ गया। उसका एक हाथ वॉल पर था और दूसरा हाथ अनिका के कमर पर।

क्या कर रहें हो राज हमे देर हो जायेगी अनिका ने पलके झुकाते हुए कहा वो शरमा रही थी उसके गाल किसी पके टमाटर की तरह लाल हो गए थे।

तुम्हे क्या लगता है राज ने उसकी थोड़ी को ऊपर करते हुए कहा। अब दोनो की आंखे एक दूसरे पर थी एक की आंखों में जहां शरारत थी वही दूसरे की आंख में हया। राज ने अनिका को खुद से सटा लिया वो दोनो बोहोत करीब इतने की हवा को भी उनके बीच आने की इजाजत नहीं थी। राज ने अनिका की आंखों को में देखा जेसे वो किसी चीज की परमिशन मांग रहा हो जिसके बदले में अनिका ने अपनी पलके झपका दी।

अनिका ने जैसे ही अपनी पलकों को झपकाया, राज के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान फैल गई। अगले ही पल, राज ने झुक कर उसके होंठों को चूमा। गहरा और बेहद नरम किस धीरे धीरे रफ होता जा रहा था तकरीबन पांच मिनट बाद राजेश अनिका से दूर हुआ इस वक्त अनिका हाफ रही थी और राजेश उसे देख कर मुस्कुरा रहा था।

"राज..." अनिका ने धीमे से कहा, "अब हमें नीचे जाना चाहिए... बच्चे इंतज़ार कर रहे होंगे।"

"हाँ," राजेश ने उसका हाथ थामा, "लेकिन आज मेरा बिलकुल मन नहीं है तुमसे अलग होने का। जिसे सुनने के बाद

अनिका ने शरारत से उसकी ओर देखा, और कहा, "तो चलिए मिस्टर राठौर, पहले बेटों की शादी करवा लीजिए, फिर रात में हम दोनो... आप समझ रहे हो ना।

राज ने मुस्कराकर उसका हाथ चूमा, "डील फिक्स समझूं?"

"डील फाइनल," अनिका ने आंख मारते हुए कहा।

और फिर दोनों, हाथों में हाथ डाले, कमरे से बाहर निकल गए… जहां पूरा महल रोशनी में नहाया था,

नीचे उतरते ही उनका स्वागत गुलाब और ऑर्किड की पंखुड़ियों की बारिश से हुआ।

देखते ही देखते छोटे से लेकर बड़े businessman राजेश की और अपनी बिजनेस की बात करने के लिए आ रहा था क्योंकि वो जानते थे की अगर राजेश राठौर उसने इंप्रेस हो गए तो उन्हें ऊंचाइयों पर पोहोंच से कोई रोक नही सकता।

सारा माहौल जगमगा रहा था सभी अपनी बातों में मशगूल थे बैकग्राउंड में हल्के से रोमांटिक म्यूजिक बाज रहा था सारे कपल डांस कर रहे थे

लेकिन अचानक वहां के माहोल का टेंप्रेचर ठंडा होने लगा सभी की नजर एंट्रेस पर गई जहां दोनो दूल्हे आ रहे थे सभी उन्हें देखने के लिए बड़े बेताब थे लेकिन अफसोस वो उनका चेहरा नही देख सकते थे उनके चेहरे पर सेहरा जो लगा था।

उनके सेहरे देख कर अनिका थोड़ा कन्फ्यूज हो गई ", राज क्या आपने कहा था इन्हे ये पहने के लिए ।

राज ने भी रेवान रिवांश को हैरानी से देखते हुए कहा " नही अनिका मेने इन्हे नही कहा।

तो फिर ये सेहरे क्यू पहने रखे है इन्होंने अनिका ने राज की और देखते हुए कहा।

शायद ये इसी तरह से शादी करना चाहते हो  छोड़ो भी इतना कोई घबराने वाली बात नहीं है. राज ने अनिका से कहा।

लेकिन अनिका की आंखों में हल्की बेचैनी थी।

दोनों मंडप सज चुके थे...

शादी की रस्में शुरू होने वाली थीं...

जैसे ही दोनों दूल्हे मंडप की ओर बढ़े, पंडितों ने मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए। पूरा माहौल सुगंधित धूप, फूलों की खुशबू और मंत्रों की गूंज से पवित्र हो उठा।

दूल्हों ने अपने-अपने मंडप में बैठने से पहले एक-दूसरे की ओर देखा — बिना शब्दों के कुछ बहुत बड़ा तय हो रहा था। सेहरे की ओट में उनकी आंखों में एक अलग ही गंभीरता थी, जैसे कोई राज़ छुपा हो।

राजेश और अनिका दोनों अपने-अपने बेटों की ओर देख रहे थे, लेकिन मन में कहीं हल्का सा शक था।

तभी पंडित ने कहा,

“कन्याओं को बुलाइए।”

पंडित की आवाज़ के साथ ही सबकी नज़र महल के बड़े दरवाज़े की ओर गई, जहां से दोनों दुल्हनें अंदर आने वाली थीं।

धीमे-धीमे दो दुल्हनें अंदर आईं — चेहरा घूंघट से ढका हुआ, भारी कढ़ाई वाले लहंगे

दोनों लड़कियों ने बिल्कुल एक जैसे लहंगे पहने थे — रॉयल रेड और गोल्डन का मेल, ज़रदोज़ी वर्क से सजा हुआ, भारी दुपट्टा सिर पर मोतियों की किनारी के साथ। उनकी चाल, यहां तक कि उनकी ज्वेलरी तक एक जैसी थी।

ये क्या राज अब इन्होंने क्यू घूंघट कर रखा है।

ये हमारे घर का रिवाज है बहन जी कहते हुए एक बुड्ढी सी  औरत अनिका के पास आई ", ये है सुमित्रा जी

दोनो ब्राइड्स अव्या और रीधा की केयर टेकर बचपन से इन्होंने ही इन्हे पाला है इनके माता पिता नही है । (क्यूं नही जानेंगे आगे)

दोनो दुल्हने मंडप में आ गई

अव्वया लेफ्ट वाले मंडम में बैठी जहां रेवान था और रिद्ध राइट वाले रेनांश के साइड

पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।

अब दोनो जोड़े फेरों के लिए खड़े हो जाइए पंडित जी ने मंत्र पढ़ ते हुए कहा।

दोनो जोड़े फेरों के लिए खड़े होते हैं लेकिन आव्य अपनी जगह से हिल ही नही रहती

तभी रेवन ने उसे अपना हाथ दिया जिसे देखने के बाद आव्या ने धीरे से अपना हात रेवण के हाथों में रखा।

पंडित जी ने मंत्रों का जाप जारी रखा, और दूल्हे और दुल्हन के बीच फेरों की रस्में शुरू हो गईं। लेकिन जैसे ही पहले फेरे के लिए कदम बढ़े, आव्या बोहोत धीरे धीरे चाल रही थी वो अचानक से रुक गई जिसे देख सभी

हैरानी से उसकी और देखने लगे आव्या को रुकता देख रेवान ने उसके पास आते हुए कान में कुछ कहा जिसे सुनने के बाद आव्या आगे बड़ी पर वो लड़खड़ा रही थी

पंडित जी: "अब सिन्दूर की रस्म है वधु और वर नीचे बैठ जाइए।

बारी बारी रेवानश और revan ने सिंदूर और मंगलसूत्र पहनाया।

अब शादी संपन्न हुई आज से आप पति पत्नी हुए अपने बड़ों का आशीर्वाद ली जिए।

गन फायरिंग से पूरा माहौल गूंज उठा सारे बॉडीगार्ड आसमान में फायरिंग करने लगे।

अब फाइनली में सास बन गई अनिका ने खुशी से उछल ते हुए राज से कहा।

हा बाबा आराम से राज ने कहा ।

अब बिदाई की बारी ", सुमित्रा ने कहा।

और दोनो ब्राइड्स की और आई उसने रिद्धा को गले से लगाया और कहा ", रिद्दा मुझे पता है तुम सब संभाल लोगी अपनी छोटी बहन का ख्याल रखना ये कहते हुए उन्होंने रीधा का माता चूम लिया।

बिदाई की रस्म शुरू हो चुकी थी। पूरे महल में ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ साथ कुछ आंखें नम भी थीं।

रीद्धा की आँखों में आँसू थे, लेकिन उनमें एक ठहराव था, जैसे उसने खुद से कोई वादा कर लिया हो। जबकि अव्या का चेहरा अब भी घूंघट में छुपा हुआ था, लेकिन उसकी उंगलियां काँप रही थीं। कुछ तो था जो उसे बेचैन कर रहा था।

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