सुबह की हल्की रोशनी कमरे में फैली थी,
पर आर्या के लिए वो कोई नई शुरुआत नहीं थी —
वो अब भी उसी सन्नाटे में थी जहाँ हर साँस किसी डर से टकराती थी।
रात की बात उसके ज़ेहन में बार-बार घूम रही थी —
रुद्र की आँखों की ठंडक, उसके लहजे का हुक्म,
और उस एक वाक्य की गूंज —
“अब तू रुद्र रावत की बीवी है।”
आर्या ने दर्पण में खुद को देखा।
वो वही चेहरा था, लेकिन आँखों में मासूमियत के साथ अब सवाल भी थे।
वो धीरे-धीरे नीचे आई —
जहाँ हवेली की हवा ही किसी नियम की तरह बँधी लग रही थी।
नीचे हॉल में कई आदमी खड़े थे —
काले सूट, कंधे पर बंदूक, और चेहरे पर सन्नाटा।
जैसे हर व्यक्ति एक रहस्य हो।
रुद्र सोफ़े पर बैठा कुछ फाइलें देख रहा था।
उसने नज़र उठाई — और कुछ पल तक बस आर्या को देखा।
वो सफेद सूट में थी, बाल हल्के खुले,
और उसकी चाल में वह डर झलक रहा था जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही हो।
“नीचे आने की ज़रूरत नहीं थी,”
रुद्र ने ठंडी आवाज़ में कहा।
“यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है।”
आर्या धीरे से बोली,
“अगर मैं यहाँ रह रही हूँ, तो जानने का हक भी तो है…
कि मेरे आसपास कौन लोग हैं, क्या चल रहा है।”
रुद्र ने एक पल उसे देखा, फिर हल्की मुस्कान दी —
“जानने की चाह… ज़हर की तरह होती है, आर्या।
धीरे-धीरे आदमी को अंदर से खत्म कर देती है।”
फिर भी उसने कहा,
“ठीक है, आज तू देख लेगी… वो दुनिया जो तू समझ नहीं पाएगी।”
कुछ देर बाद दोनों एक काली SUV में बैठे।
गाड़ी शहर के भीड़भाड़ वाले रास्तों को छोड़कर एक सुनसान इलाके में जा रही थी।
आर्या की आँखों के सामने सब कुछ धुंधला था —
बाहर की दुनिया जैसे धीरे-धीरे अंधेरे में डूब रही थी।
आख़िरकार गाड़ी एक पुराने फैक्ट्री के सामने रुकी।
अंदर दर्जनों आदमी बंदूकें थामे खड़े थे।
कमरे के बीचोंबीच एक मेज़ पर नक्शा फैला हुआ था,
और उस पर खून के कुछ छींटे सूख चुके थे।
रुद्र अंदर गया,
सारे लोग खड़े हो गए — “बॉस…”
उसने हाथ उठाकर सबको बैठने का इशारा किया।
“आर्यन की मौत का बदला अब वक्त माँग रहा है,”
रुद्र ने कहा, “उसके पीछे जो गैंग था, उसका नाम है तारीक खान सिंडिकेट।”
एक आदमी बोला, “बॉस, वो बॉर्डर के पार है… पहुँच मुश्किल है।”
रुद्र ने सिगरेट जलाई —
धुएँ के बीच उसकी आवाज़ और भारी हो गई,
“जहाँ रुद्र की नज़र पहुँच जाए, वहाँ कोई पार नहीं रहता।”
आर्या दरवाज़े के पास खड़ी सब देख रही थी।
ये वो दुनिया थी जहाँ इंसान नहीं, आदेश चलते थे।
जहाँ मौत भी सिर्फ़ एक काम का हिस्सा थी।
उसे लगा, उसके भाई की मौत के पीछे जो अंधेरा था,
वो अब उसी के आसपास सिमटने लगा है।
बैठक खत्म हुई।
सारे आदमी चले गए।
आर्या धीरे से बोली,
“आपकी ये दुनिया… क्या हमेशा ऐसी ही रही है?”
रुद्र ने बिना देखे जवाब दिया,
“ये दुनिया मुझे नहीं मिली, आर्या… मैंने बनाई है।
और इसमें दया की कोई जगह नहीं।”
“पर आपमें है,”
आर्या की आवाज़ बहुत धीमी थी,
“अगर न होती, तो आप मेरे भाई का वादा नहीं निभाते।”
रुद्र उसकी तरफ मुड़ा —
पहली बार उसकी आँखों में एक पल के लिए वो सख़्ती नहीं थी।
वो कुछ कहना चाहता था,
पर तभी उसका फ़ोन बजा।
उसने कॉल उठाया,
और अगले ही सेकंड उसका चेहरा बदल गया।
“क्या?”
उसकी आवाज़ में ग़ुस्सा और हैरानी थी।
“आर्या को निशाना बनाया गया है,”
कॉलर की घबराई आवाज़ आई।
“किसी ने उसकी तस्वीरें लीक की हैं… और पता चल गया है कि वो रुद्र रावत की बीवी है।”
रुद्र ने फ़ोन फेंका और ग़ुस्से में ज़मीन पर पैर मारा।
“किसने हिम्मत की…”
आर्या डरकर पीछे हटी।
“क्या हुआ?”
रुद्र उसके पास आया —
“अब तुझे सिर्फ़ मेरी दुनिया नहीं देखनी पड़ेगी, आर्या…
अब तू उसका हिस्सा बन चुकी है।”
उसी रात हवेली की सुरक्षा दोगुनी कर दी गई।
हर कोने में गार्ड्स, कैमरे, और चुप्पी।
आर्या अपने कमरे की खिड़की से बाहर देख रही थी —
जहाँ हर दीवार अब किसी कैद का हिस्सा लग रही थी।
तभी दरवाज़ा धीरे से खुला।
रुद्र अंदर आया।
उसके हाथ में वही लॉकेट था जो उसने उसे दिया था।
वो चुपचाप उसके पास आया और बोला,
“डर मत। जब तक मैं ज़िंदा हूँ, तुझे कोई छू भी नहीं सकता।”
आर्या ने पहली बार उसकी आँखों में देखा।
वहाँ अब न डर था, न नफरत — बस एक अजीब-सी ताक़त।
वो कुछ पल तक उसे देखती रही, फिर धीमे से बोली,
“अगर मैं आपकी दुनिया का हिस्सा बन ही चुकी हूँ…
तो मुझे भी अपनी तरह मज़बूत बनाइए, रुद्र।”
रुद्र ने गहरी नज़र से उसकी ओर देखा,
जैसे किसी चिंगारी ने पत्थर को छुआ हो।
“तू नहीं जानती आर्या,”
उसने धीमे से कहा,
“माफ़िया की दुनिया में जो मज़बूत होते हैं… वो फिर मासूम नहीं रहते।”
आर्या ने हल्की मुस्कान दी,
“तो शायद अब वो मासूमियत मुझमें बाकी नहीं रही।”
कमरे में सन्नाटा फैल गया —
पर उस सन्नाटे में पहली बार एक नई कहानी की धड़कन सुनाई दी।
जहाँ डर धीरे-धीरे आकर्षण में बदल रहा था,
और वादा… एक अनकही मोहब्बत में।
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