“उसके पता ठिकाना व्हाट्सएप पर सेंड करने के बाद रत्ना कहती है “मुझे पता है कि उन दोनों सफेद पेपरो में क्या लिखा और क्या छपा है।”
रत्ना की यह बात सुनकर राज की उत्सुकता बढ़ जाती है कि ऐसा क्या लिखा और छपा है उन सफेद पेपरो में जो पुलिस इंस्पेक्टर मिलन भी कह रहा है कि उन पेपरो का मेरे जीवन से संबंध है, इसलिए राज मूर्ति रत्ना से कहता है “जल्दी बताओ उन दो सफेद पेपरो में क्या लिखा और क्या छपा है।”
उसके यह पूछते ही कोई तेज तेज दरवाजा पीटने लगता है, दरवाजा पीटने की तेज तेज आवाज़ें आते ही राज का डर और दहशत बढ़ जाती है, क्योंकि उसे ऐसा महसूस होता है कि माया चुड़ैल और जिंद घर में दोबारा घुसने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बाहर से जब यह आवाज आती है कि “मैं पुलिस हवलदार हूं, राज साहब अगर आप घर के अंदर है, तो दरवाजा खोल दे मैं आपको लेने आया हूं।”
यह सुनकर राज को शांति महसूस होती है किंतु राज अच्छी तरह पता लगाने के लिए थोड़ा सा दरवाजा खोल कर देखता है तो दरवाजे के पास वर्दी में पुलिस वाले को देखकर खुश हो जाता है, रत्ना से विदा लिए बिना घर से बाहर निकल कर पुलिस वाले के पीछे पीछे चलने लगता है, लेकिन राज का दिल रत्ना को अकेला छोड़ने की गवाही नहीं दे रहा था, वह बार-बार सोच रहा था कि मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि रत्ना मेरी है और मैं रत्ना का हूं, मैं उसके बिना जीवित नहीं रह सकता हूं, इसलिए वह आखरी बार पीछे मुड़कर रत्ना को देखता है, रत्ना दरवाजे की चौखट पर खड़े होकर एक टक राज को ही निहार रही थी।
और जब रत्ना के घर से निकलने के बाद राज को बहुत दूर तक पुलिस जीप दिखाई नहीं देती है तो वह पुलिस वाले से पूछता है? “पुलिस जीप आपने कहां खड़ी कि है जब पुलिस हवलदार उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं देता है, तो राज समझ जाता है मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, मुझे इस पुलिसकर्मी कि पुरी जंचा पड़ताल करनी चाहिए थी, बिना कुछ सोचे समझे इसके पीछे आकर मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई है।
तभी रत्ना उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती है “चिंता मत करो मैं आपके पीछे पीछे चल रही हूं।” फिर राज के कान के पास आकर धीरे से कहती है “यह कोई पुलिसकर्मी नहीं बल्कि वहीं माया मां का ज़िद है।”
“तो अब में क्या करूं।” राज पूछता है? “बस मेरे पीछे दवे पांव आते रहो।”
रत्ना कहती
कुछ कदम रत्ना के साथ चल कर राज पीछे मुड़कर देखता है तो वह पुलिस कि वर्दी में जिद कम से कम दस फुट लंबा होकर कच्चे रोड़ पर खड़ा हो कर चुपचाप रत्ना राज को देख रहा था। तब राज उस ज़िद को देखकर रत्ना से पुछता है? “यह जिद हमारा पीछा क्यों नहीं कर रहा।”
“इसके दो कारण हैं, पहला हम टीकरी गांव से माता मनसा देवी के मंदिर सिगौला गांव जा रहे, दूसरा कारण ज़िद जिस सूखे कुएं के अन्दर मटके में कैद था, उस सूखे कुएं का भी यही रास्ता है।” रत्ना बताती है
“इस जिद को मटके से बाहर किसने निकाला था!” राज पूछता है
“यह बहुत लंबी कहानी है, बस इतना जान लो इसमें भी माया मां का ही हाथ था।” रत्ना बताती है
“आप उस माया चुड़ैल को माया मां नहीं बोला करो।” राज कहता है
यह बात सुनकर रत्ना राज का हाथ पकड़ कर जमीन पर पटक देती है। जमीन पर जोरदार पटक लगने से राज का मोबाइल उसके हाथ से छूटकर सीधा टीकरी गांव की जोहड़ (तालाब) में जाकर गिर जाता है, राज जल्दी से जैसे ही जमीन से उठकर अमावस्या के अंधेरे में अपना मोबाइल ढूंढने जोहड़ (तालाब) की तरफ जाता है, तो रत्ना पीछे से राज की लेदर की ब्लैक जैकेट का कॉलर पड़कर राज को अपनी तरफ खींच कर सीने से लगा कर प्यार से राज से कहती है “अब आपके जिस्म जान पर मेरा हक है, अपकी मौत भी अब मुझसे इजाजत लेकर आएगी, ध्यान से देखो आगे गहरी जोहड़ दलदल है।”
“थैंक यू लेकिन आपके तेज धक्का देने से मेरा मोबाइल जोहड़ (तालाब) में डूब गया है और आपको मेरी किस बात पर इतना गुस्सा आ गया था।” राज पूछता है
“माया को मुझे आज के बाद कभी चुड़ैल कहने के लिए नहीं कहना।” रत्ना कहती है
राज अपने मन में सोचता है मैं भी कितना मूर्ख हूं, मुझे समझना चाहिए माया रत्ना की रचयिता है।
फिर एक बार राज दुबारा पीछे मुड़कर देखता है कि कहीं माया चुड़ैल और जिंद हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन इस बार उसे पुलिस की वर्दी पहने जिंद कि जगह पुलिस जिप्सी दिखाई देती है, जो उसे पुलिस इंस्पेक्टर मिलन के कहने से लेने आई थी, पुलिस जिप्सी देखकर राज पुलिस की जिप्सी की तरफ रत्ना का हाथ पकड़ कर भागने लगता है, लेकिन इस बार उसे पुलिस की वर्दी वाली जिंदगी जगह पुलिस जिप्सी दिखाई देती हैं और रत्ना का हाथ पकड़ कर रत्ना को अपनी तरफ खींचने से राज को ऐसा महसूस होता है कि वह एक रेल के डिब्बे को खींचने की कोशिश कर रहा है, इसलिए वह तुरंत पीछे मुड़कर देखता है तो रत्ना अपनी लाल-लाल आंखें निकाल कर राज की तरफ देखकर कहती है “क्या पेंटर बाबू आप पागल हो गए हो वह जिंद आपको पुलिस जिप्सी तक पहुंचने देगा।”
“सही कह रही हो आप मोबाइल भी जोहड़ में डूब गया है, जो मैं पुलिस इंस्पेक्टर मिलन को फोन करके बता देता कि मैं इस समय कहां हूं, अब तो आपके बताए हुए रास्ते पर ही चलना पड़ेगा।” राज बोलता है
और आज अपनी अनोखी प्रेमिका के साथ माता मनसा देवी के मंदिर सिंगोला गांव की तरफ चल देता है, दिल्ली के टीकरी गांव की सीमा खत्म होते ही रत्ना राज से कहती है “ जिंद तो सुखे कुएं का रास्ता पड़ते ही पीछे छूट गया था, अब टीकरी गांव की सीमा पार करने के बाद माया मां से भी पीछा छूट गया है, क्योंकि माया मां टीकरी गांव की सीमा के बाहर मेरे शरीर में बिना प्रवेश किए घूम फिर नहीं सकती है और माता मनसा देवी के गांव सिंघोला में तो माता मनसा माई के प्रकोप से भस्म ही हो जाएगी, क्योंकि सिंघोला गांव के निवासियों ने माता मनसा माई की रात दिन पूजा करके माया मां के अपने गांव सिंघोला में घुसने पर प्रतिबंध लगवा दिया है।”
“लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आई टीकरी गांव में माया चुड़ैल ने मेरी जान लेने की कोशिश क्यों नहीं की।” राज पूछता है?
“माया मां बस कुंवारे युवक युवतियों और नवजात शिशुओं को ही अपना शिकार बन सकती है, शादीशुदा युवक युवतियों को नहीं, क्योंकि माया मां बिन ब्याही दुल्हन है, वह सुहागानों और सुहागानों के सुहाग को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचाएगी तो तुरंत भस्म हो जाएगी, टीकरी गांव की सारी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत माया से अपने-अपने सुहाग की रक्षा करने के लिए रखती है।” रत्ना बताती है
“लेकिन मैं भी तो कुंवारा हूं।” राज कहता है
“मेरे घर आने से पहले तक आप कुंवारे थे, लेकिन अब मैं आपकी पत्नी हूं।” रत्ना बताती है
दोनों माता मनसा माई के मंदिर की तरफ बातें करते हुए पैदल पैदल चल रहे थे, रत्ना की यह बात सुनकर राज रोड के बीचों-बीच रूक कर रत्ना से कहता है “मैंने कब आपसे शादी की है।”
“जब आप बेहोशी में थे, अपने पिछले जन्म के सपने में डूबे हुए थे, तब मैंने आपको अपनी गोदी में उठाकर जलती हुई अग्नि के पास आपके महादेव पार्वती के लॉकेट को रखकर आपके साथ सात फेरे लिए थे और आपके हाथ का अंगूठा अपने दांत से कटकर उस लहू से अपनी मांग में सिंदूर भरा था।” रत्ना बताती है
“मैं जब ही सोच रहा था कि मेरे हाथ के अंगूठे में यह जख्म कैसे हो गया है। फिर रोड पर खड़े-खड़े राज सोचता है मैंने किस लड़की से प्रेम कर लिया है, दूसरे को मेरे शरीर से हाथ भी नहीं लगने दे रही है और खुद मुझे अपने दांतों से कटकर मेरा खून निकल रही है और उसी समय एक तेज रफ्तार से आता हुआ ट्रक राज की तरफ बहुत तेजी से बढ़ता है, रत्ना राज को बचाते बचाते खुद ट्रक के सामने आ जाती है, दुर्घटना इतनी भयानक होती है कि रत्ना चार टुकड़ों में टूट जाती है।
ट्रक के ड्राइवर के तेज ब्रेक मारने के बावजूद ट्रक बहुत दूर जाकर रुकता है और ट्रक ड्राईवर ट्रक से उतरकर दौड़ते हुए देखने आता है कि मेरे ट्रक से कोई कुचल कर मर तो नहीं गया है।
राज को गुमसुम खड़ा देखकर राज के दोनों कंधे पड़कर ट्रक वाला हिलाकर कहता है “आपको कुछ नहीं हुआ है साहब आप बच गए हो बस आपके पुतले के चार टुकड़े हो गए हैं, वैसे आप इस अमावस्या की बरसात की सुनसान रात को अंधेरे में रात के ढाई बजे इस रोड के बीचो-बीच खड़े होकर क्या कर रहे थे, कहीं छोड़ना है तो मैं छोड़ देता हूं आपको।” रत्ना को चार टुकड़ों में टूटा हुआ देखकर वेसुध राज ट्रक ड्राईवर की एक भी बात का जवाब नहीं देता है, तो ट्रक ड्राईवर राज के हाथ में कुछ रुपए थाम कर वहां से चला जाता है।
और कुछ देर बाद ही रत्ना की आत्मा राज के पास आकर कहती है “एक बार मेरी आंखों में देखो तो राज आपको वही सफेद पन्ने दिखाई देगे जिनको आप ने अपने वफादार नौकर को श्मशान घाट से लेने भेजा था और पुलिस इंस्पेक्टर मिलन जिन सफेद पन्नों के बारे में आपको बता रहा था।” पहले पन्ने में राज को चाकू से मारते हुए माया चुड़ैल का चित्र छपा हुआ था और दूसरे सफेद रंग के पन्ने में रत्ना के हाथ की लिखी हुई चिट्ठी थी जिसमें लिखा था चित्रकार राज अपने ही मुझे बनाया है और आप ही मुझे मिटा सकते हो और दोबारा बना भी सकते हो मेरी मां माया आपकी हत्या करना चाहती है।
रत्ना की आंखों में दोनों सफेद रंग के पन्ने देखकर राज को सब कुछ समझ आ जाता है कि रत्ना ने अपने शरीर से माया के बाहर निकालने के बाद पहली चिट्ठी मुझे सावधान होने के लिए दिखाना चाहती थी और दूसरी चिट्ठी इसलिए लिखी थी कि मेरे बिना रत्ना का कोई अस्तित्व नहीं है।
इसलिए राज सब कुछ समझ कर तुरंत बारिश के पानी से भरे गड्ढे से पानी लेकर कुछ चिकनी मिट्टी वहीं गीली करके रत्ना की मूर्ति को जोड़ देता है। रत्ना की मूर्ति जुड़ते ही रत्ना की आत्मा मूर्ति में प्रवेश कर जाती है, मतलब यह की रत्ना दोबारा जीवित हो जाती है।
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