वह होती तो यह कार्य वह खुद नहीं कर पाती और न तुझे करने देती इसलिए मैंने तेरी मां को यमलोक पहुंचा दिया था, लेकिन फिर भी तूने मेरे पास आने में इतने वर्ष लगा दिए और याद रखना मैं तुझे तब तक रानी चुड़ैल उसके भाई सोनू कि आत्मा को मुक्ति नहीं दिलवाने दूंगी, जब तक तू मुझे पिशाचिनी योनि से मुक्ति नहीं दिलवा देता है, क्योंकि उनको मुक्ति मिलते ही मैं भी तेरे वंश कि गुलामी से मुक्त हो जाऊंगी फिर मैं पिशाचिनी योनि से मुक्ति के लिए किसकी चौखट के आगे अपना माथा टेकने जाऊंगी।” पिशाचिनी बोलती है
“मैं अपनी मां कि हत्यारन कि पिशाचिनी योनि से मुक्ति मिलने में बिल्कुल भी सहायता नहीं करूंगा।” डॉक्टर महेश बोला
“तुझे क्या पता मैंने अपनी सासु मां कि जान ही नहीं ली है, बल्कि उन्हें नया जीवन भी दिया था, क्योंकि कर्ण पिशाचिनी सिद्धि करने कि वजह से और तीन लोगों कि हत्या करवाने दो आत्माओं को मुक्ति न मिलने के पाप कि वजह से खुद गांव वालों के हाथों डायन के शक कि वज़ह से बेमौत जान गवाने, तुम्हारी शादी तुम्हरे बच्चे न देख पाने कि अधूरी इच्छा कि वज़ह से स्त्री पिशाचिनी योनि में प्रवेश करने वाली थी। मैंने एकादशी व्रत रखवा कर और न जाने क्या-क्या प्रयत्न करके उसे तुम्हारे जुगनू कि मां के जन्म में उसकी इसलिए मदद कि थी कि जब मुझे उसके बेटे यानी कि तुम्हारी जरूरत होगी पिशाचिनी योनि से इंसान योनि में प्रवेश करने के लिए तो वह पूरी सहायता करेगी परन्तु वह मुझे अपने परिवार से दूर करने के लिए बड़े बड़े तांत्रिकों से सम्पर्क करने लगी थी इस लिए मुझे उस बांध को मजबूरी में अपने रास्ते से हाटान पड़ा।”
अपनी मां के बारे में अजीब भायनक बातें सुनकर डॉ महेश का दिल तेज तेज धड़कने लगता है और उसकी आंखों से इसलिए आंसु टपकने लगते हैं, क्योंकि उसे इस बात का अफसोस होता है कि मैं ना पीछले जन्म में अपनी मां को सही रास्ते पर ला पाया था और ना इस जन्म में।
डॉ महेश कि आंखों के आंसू देख कर पिशाचिनी कहती हैं “जब मैं इंसान थी, तो मेरी भी आंखों से थोड़ी सी तकलीफ़ होने पर आंसु आ जाते थे।”
फिर डॉक्टर महेश अपने को संभाल कर पूछता है? “तुमने मेरी मां को सासु मां क्यों कहा था और तुझे पिशाचिनी योनि से मुक्ति क्यों चाहिए।” डॉ महेश पिशाचिनी देविका से इसलिए बात कर पा रहा और सुन पा रहा था, क्योंकि उसने अपने जीवन में फिल्म मैगज़ीन या आमने-सामने कभी इतनी खूबसूरत लड़की नहीं देखी थी, लेकिन उसे यह भी पता था कि इस पिशचिनी कि खुबसूरती मायावी जादूई है।
“ताकि मैं तुझ से विवाह करके जन्म जन्मांतर तक अपना प्रेम तुझे दे सकूं यानि कि जब भी तू इस दुनिया में जन्म ले तो मेरा ही पति बने।” पिशाचिनी बोली
“मुझमें ऐसा क्या है, जो तू मेरी दीवानी हो गई है।” डा महेश पूछता है?
“तेरे साथ मेरा पीछले जन्म का सम्बंध है और तेरा लहू पीकर मुझे वो आनंद स्वाद आएगा जो तेरे पीछले जन्म में मुझे तेरा लहू पीकर आया था, तेरी मां ने काली मुर्गी कि बली के साथ तेरे अंगुठे में नुकिला कांटा चुभा कर मुझे तेरा लहू पिलाया था, जब मैंने पिशचिनी सिद्धि करते वक्त उससे अपने परिवार के किसी सदस्य कि बली मांगी थी, तेरा लहू पीते ही न जाने कैसे में तेरी दीवानी हो गई थी, वरना मैं तेरा कलेजा खाएं बिना कहा मानने वाली थी और मैं जब तक तेरा लहू पीकर तेरी जान नहीं लूंगी तेरा पुनर्जन्म नहीं होगा और फिर पिशाचिनी योनि से इंसान योनि में पहुंचने के बाद जन्म जन्मांतर तक तेरा साथ कैसे पाउंगी और तुने किसी तांत्रिक से या किसी पुस्तक में सुना या पढ़ा होगा कि कर्ण पिशाचिनी सिद्धि के बाद कान के पास एक अलौकिक आवाज आती है, वह आवाज उस इंसान को जिसने पिशाचिनी सिद्धि कि है उसका भूतकाल वर्तमान काल भविष्य काल बता सकती है और कुछ भी उसके लिए कर सकती है जब तक वह उसकी पूरी सेवा करता है और उसके कहे पर चलता है इसलिए तू अब तक तो समझ गया होगा कि मैं स्वयं पिशाचिनी हूं, इस। वजह से मुझे अपने तीनों काल पता है।” पिशाचिनी बोली
डॉक्टर महेश को पता था कि पिशाचिनी से बच कर भागना ना मुमकिन है। इस से बचने का एक ही तरीका है, बस सुबह होने तक इसे बातों में उलझाकर रखना क्योंकि सूर्योदय होते ही शैतानी शक्तियों कि शक्ति कम हो जाती है, लेकिन उस रात डा महेश को एक एक पल एक एक घंटे से भी ज्यादा लग रहा था, इसलिए दुबारा पिशाचिनी को अपनी बातों में उलझाने के लिए डा महेश कहता है “लेकिन मैं शायद पिशचिनी सिद्धि के बाद ही तेरे से विवाह कर पाऊंगा, और मैं पिशाचिनी सिद्धि कैसे करुंगा मुझे तो पिशाचिनी सिद्धि करना आता ही नहीं है।”
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