Global Katha Hindi

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Part 1 Strange incident in the village.

कहानी काल्पनिक होगी इसलिए इसे गंभीरता से न लें। यह कहानी एक काल्पनिक गाँव की है जिसका नाम कल्पना नगर है जहाँ हर कोई सोचता है कि पढ़ाई खेल से ज़्यादा ज़रूरी है। लेकिन गाँव में कुछ चीज़ें कैसे होती हैं। गाँव में क्या चल रहा था? क्या भविष्य में गाँव वालों की सोच बदलेगी या नहीं?

कहानी की शुरुआत में एक छोटे से गाँव में एक अजीब घटना घटित हुई। गाँव के बाहर एक युवक की हत्या कर दी गई और गाँव के लोग उसके शव पर हँस रहे थे। लेकिन कई सवाल मन में उठते हैं - वह कौन था? लोग उस पर क्यों हँस रहे हैं? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए, हमें कुछ साल पहले जाना होगा। भारत को आज़ाद हुए बीस साल ही हुए थे। कल्पना नगर नामक गाँव में शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता था। गाँव की सरपंच, इयूषी देवी, पोस्ट ग्रेजुएट थीं। गाँव की आबादी लगभग 7000 परिवारों की थी, जिसमें 1500 युवा, 3800 महिलाएँ, 3200 पुरुष और 2000 बच्चे थे। एक दिन, इयूषी देवी ने एक अजीब बयान पढ़ा कि - "खेलोगे-कूदोगे तो महान बनोगे और पढ़ोगे-लिखोगे तो मूर्ख बनोगे।" गाँव के लोग हैरान थे और इसके पीछे की सच्चाई जानना चाहते थे। सरपंच ने एक प्रस्ताव रखा - 2 साल तक के सभी बच्चों का नाम एक पर्ची पर लिखा जाएगा और 4 दिन बाद महापर्व पर पर्ची निकाली जाएगी। जिसका नाम निकलेगा, उसे 15 साल के लिए पढ़ाई छोड़नी होगी, लेकिन गाँव के लोग उसे 20 साल तक हर महीने 5000 रुपये देंगे। गाँव में 2 साल तक के 100 बच्चे थे, लेकिन पुरे गाँव में 1902 बच्चे जनता पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे, पर 98 बच्चे घर पर पढ़ते थे क्योकि उनके माता पिता नही चाहते थे कि वे अभी स्कूल पढ़ने जागे , लेकिन दो बच्चे, सीरा और जनक, जल्दी स्कूल भेजे गए थे क्योंकि उनके माता-पिता चाहते थे कि वे पढ़-लिखकर कुछ बड़ा करें। सीरा सरपंच की बेटी थी, इसलिए उसे हर दिन स्कूल जाना पड़ता था, जबकि जनक के माता पिता सरपंच कि कामों में मदद करते थे, इसलिए वह कभी-कभी स्कूल नहीं जाता था। सारे 2 साल तक के बच्चो के नाम एक पर्ची पर लिखे गए।महापर्व का दिन अब गाँव कि मुखिया यानि सरपंच ने पुरे गाँव के सामने एक पर्ची निकाली।पर्ची पर नाम लिखा था जनक का। जनक के माता पिता ने तुरंत पंचायत कि बात मानली। पर 4 साल बाद जनक के माता पिता एक दुर्घटना में मर गए थे । तब जनक पुरे 6 साल का हो चुका था। पर अभी वो पुरे 9 साल तक पढ़ाई नही कर सकता था। धीरे धीरे पुरे गाँव के लोग और बुध्दिमान बनते जा रहे थे।लेकिन जनक अपने आप को अंधकार में ही देखे जा रहा था। क्योंकि वे पढ़ाई लिखाई से कुछ खास करना चाहता था ,पर वो नही कर सकता।

गाँव में क्या चल रहा था? क्या भविष्य में गाँव वालों की सोच बदलेगी या नहीं? इस गाँव में अभी बहुत कुछ होने वाला है।

Part 2 will be coming soon.

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