समय अचानक थम सा गया था। उस भयानक रात में, आकाश फट पड़ा जैसे कोई विशालकाय दरवाज़ा खुल गया हो। किसी अदृश्य शक्ति ने उसे पकड़कर चीर दिया। उस दरार से निकले अजीबो-गरीब कीड़े—काले, चिकने, और इतने बारीक कि साधारण आँखों से दिखना नामुमकिन था। ये परजीवी हर जीव पर कब्ज़ा कर लेते थे—चाहे वो उड़ान भरने वाला पक्षी हो या धरती पर रेंगने वाला सरीसृप। ये कीड़े मेज़बान को नरभक्षी बना देते थे, उन्हें असाधारण ताक़तें प्रदान करते हुए—ऐसी ताक़त जो हड्डियाँ चीर दे, मांस फाड़ दे।
उसी भयावह रात में, मानवता का 99.9% हिस्सा नष्ट हो गया। भाई ने भाई को खा लिया, माँ ने अपने नवजात को। बचे-खुचे कुछ बच्चे और इंसान धरती की गहराइयों में छिप गए—अँधेरी गुफाओं और भूमिगत सुरंगों में, जहाँ सूरज की किरणें कभी न पहुँच सकें।
बचाव का एकमात्र रास्ता था 'द पाथ'—एक प्राचीन, रहस्यमयी विधि। इसमें इंसान की अंतर्निहित शक्तियों को जगाया जाता था, रक्त में सोई हुई ताक़त को बहाया जाता था। लेकिन ये आसान न था; ये एक जुआ था, जहाँ हार का मतलब था मौत।
भूमिगत लैब 4-3 में, जहाँ हवा भी विषैली लगती थी, एक वैज्ञानिक प्रयोग चल रहा था। पाँच नन्हे-नन्हे नवजात बच्चे—मासूम, बेबस—उनके शरीरों पर तारों की जाल बिछी हुई थी। डॉक्टर आर. लेबो, लैब का सरताज, अपनी मशीनों के आगे झुका हुआ था।
अचानक, लैब का भारी-भरकम दरवाज़ा चरमराया। अंदर एक काला साया घुसा—चेहरे पर काला नकाब, आँखों में ठंडी चमक। उसकी आवाज़ भारी थी, जैसे कब्र से निकली हो।
"काम पूरा हो गया, डॉक्टर लेबो?"
डॉ. आर. लेबो ने सिर झुकाया, पसीने से तरबतर। "नहीं, माई लॉर्ड... वो पाँचों बच्चे एक्सपेरिमेंट में... खत्म हो गए। उनकी बॉडीज़ सह न सकीं।"
मास्क मैन की मुट्ठियाँ कस गईं। हवा में तनाव फैल गया, जैसे बिजली का तार चिसक रहा हो। "जल्दी करो। हमें 'द पाथ' को बढ़ाना है। ये बच्चे हमारी आखिरी उम्मीद हैं। अगर फेल हुए, तो ऊपर की दुनिया हमें निगल जाएगी।"
डॉ. लेबो ने काँपते स्वर में कहा, "समझ गया, माई लॉर्ड। लेकिन... आप मुझे नए बच्चे ला देंगे न?"
मास्क मैन ने एक पल रुका, फिर ठंडे लहजे में बोला, "ठीक है। कितने चाहिए?"
"दस। कम से कम दस। ताकि चांस बढ़ जाए।"
"कल सुबह तक भेज दूँगा। फेल मत होना।" यह कहकर मास्क मैन घूमा और अंधेरी गलियारे में गायब हो गया, जैसे भूत।
वे पाँच बच्चे सचमुच मर चुके थे। उनके छोटे-छोटे शरीर फटे हुए थे, तारों के निशान अभी भी चमक रहे थे। लैब के कचरा क्षेत्र में उन्हें फेंक दिया गया—एक गंदी, बदबूदार खाई, जहाँ लाशें सड़ने के लिए छोड़ी जाती थीं। चूहों और परजीवियों का अड्डा, जहाँ हवा भी साँस न ले सके।
लेकिन अचानक... चमत्कार हुआ। उनमें से तीन बच्चे—जिनकी साँसें थम चुकी थीं—काँप उठे। उनकी छोटी छातियाँ फूलीं, आँखें खुलीं। मौत ने उन्हें छोड़ दिया था, या शायद 'द पाथ' की कोई छिपी शक्ति? वे रोने लगे—कमज़ोर, लेकिन ज़िंदा।
तभी, कचरा क्षेत्र की सीमा पर एक साया टिका। एक बूढ़ा शराबी, टूटे-फूटे कपड़ों में लिपटा। उसकी आँखें असामान्य रूप से चमक रही थीं—नशे की लाली में, या कुछ और? वो लेवल 9 का योद्धा था—'द पाथ' की सबसे ऊँची सीढ़ी, जहाँ इंसान जानवर से भी तेज़ हो जाता है। लेकिन दर्द ने उसे तोड़ दिया था। नाम था उसका लोग। कोई बेटा न था; उसी ग़म में वो शराब की बोतलें चूसता फिरता। ऊपर की दुनिया में भटकता, जहाँ परजीवी अभी भी शिकार करते थे।
नशे में धुत्त, वो भटकते-भटकते यहाँ पहुँच गया—एक ऐसी जगह जहाँ आम इंसान का पहुँचना मौत को न्योता देता। लेकिन लोग को फर्क न पड़ा। जैसे ही उसने देखा—तीन नन्हे बच्चे, कचरे में पड़े, ठंड से काँपते—उसका दिल फट पड़ा। गुस्सा उमड़ा, दया का सैलाब आ गया।
"ये... ये क्या कर दिया तुम लोगों ने?" वो चीखा, आवाज़ गूँजी खाई में। बिना सोचे, उसने अपने ही हाथ से अपनी पुरानी कमीज फाड़ दी। नाखूनों से खरोंचते हुए, खून बहने लगा—गर्म, लाल। दर्द? वो हँसा, जैसे पुराना दोस्त हो। "मेरे बच्चे... तुम्हें गर्मी चाहिए।"
उसने उन तीनों को अपनी गोद में उठाया। लहूलुहान हाथों से उन्हें छुआ, अपना खून उनकी ठंडी त्वचा पर मला—जैसे कोई प्राचीन अनुष्ठान। शराब की महक, खून की गंध, और बच्चों की कमज़ोर सिसकियाँ—सब मिश्रित हो गया। उसने अपनी फटी चादर से उन्हें लपेटा, सीने से चिपकाया। दिल की धड़कनें मिलीं—उसकी तेज़, उनकी धीमी।
"चलो, मेरे लाल। नया सफर शुरू करते हैं। ऊपर की दुनिया में नहीं... नीचे, जहाँ सूरज डरता है। मैं तुम्हें 'द पाथ' सिखाऊँगा। वो ताक़त, जो मुझे तोड़ गई, वो तुम्हें जोड़ेगी।"
वो चला, कचरा क्षेत्र से बाहर—अँधेरी सुरंगों की ओर। पीछे, परजीवियों की फुसफुसाहटें गूँज रही थीं। लेकिन लोग को फर्क न पड़ा। उसके कंधों पर नया बोझ था—तीन ज़िंदगियाँ, जो शायद मानवता की आखिरी चिंगारी हों। किस्मत का पहिया घूम रहा था; क्या ये बच्चे 'द पाथ' के योद्धा बनेंगे, या फिर एक और दर्द की कहानी? समय बताएगा... लेकिन वो रात, वो शुरुआत थी। एक ऐसी शुरुआत, जो दुनिया को हिला देगी।
उस रात, जब तीनों बच्चों को कचरे के ढेर से बचाया गया था, उनकी आँखें बदल गई थीं। पहले से ही चमकती उन आँखों में अब गहरा, रक्त-लाल रंग उभर आया था, जैसे कोई प्राचीन जादू जाग उठा हो। बूढ़ा लोग, जिसने उन्हें अपनी गोद में उठाया था, तुरंत अपनी झोंपड़ी की ओर भागा। उसकी पत्नी, माया, दरवाज़े पर खड़ी थी। जब उसने बच्चों को देखा, उसका चेहरा पहले तो आश्चर्य से भरा, फिर खुशी से खिल उठा। "लोग, ये... ये कहाँ से आए?" उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
"कचरे के ढेर से," लोग ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में दर्द और दृढ़ता थी। "लेकिन ये हमारे हैं अब।" माया ने बच्चों को सीने से लगाया, और उस रात, एक टूटा हुआ परिवार फिर से पूरा हो गया।
पंद्रह साल बाद
समय बीत गया। वे तीनों बच्चे अब जवान हो चुके थे। लोग और माया ने उनके नाम रखे: क्रम, इंद्र, और काल।
क्रम: शांत, कोमल स्वभाव का। उसकी आँखों में हमेशा एक गहरी सोच तैरती थी, जैसे वो दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा हो।
इंद्र: चतुर, हँसमुख, और हर पल मस्ती में डूबा हुआ। उसकी बातों से कोई भी हँस पड़ता था।
काल: गुस्सैल, आक्रामक, और रहस्यमयी। उसकी आँखों में एक ऐसी आग थी जो सब कुछ भस्म कर सकती थी।
तीनों अब यूवीए हाई नामक भूमिगत स्कूल में पढ़ते थे, जहाँ बचे हुए इंसानों को "द पाथ" की कला सिखाई जाती थी। ये स्कूल धरती की गहराइयों में बना था, जहाँ परजीवियों की छाया भी नहीं पहुँच सकती थी।
एक दिन, स्कूल जाते वक्त, एक सहपाठी ने उत्साह से कहा, "सुनो, आज सभी बच्चों का पाथ एक्टिवेशन है! अगर हमारा पाथ अटैक सफल रहा, तो हम ऊपरी धरती पर मिशन के लिए जा सकेंगे। सोचो, सूरज को देखने का मौका!"
काल ने ठंडे, आत्मविश्वास भरे अंदाज़ में कहा, "मेरा पाथ अटैक टाइप तैयार है। जो आएगा, राख हो जाएगा।"
हर बच्चे का पाथ एक ग्रेड से मापा जाता था: A, B, C, D।
A: सबसे शक्तिशाली, जो दुनिया को हिला सकता था।
D: सबसे कमज़ोर, सामान्य शक्तियों वाला।
लोग, जो अब इन बच्चों का पिता था, एक लेवल 9 योद्धा था, लेकिन उसका पाथ ग्रेड C था—औसत। फिर भी, उसने अपनी ज़िंदगी इन बच्चों को समर्पित कर दी थी।
पाथ एक्टिवेशन
अचानक, स्कूल के मैदान में लगे माइक्रोफोन से एक गहरी आवाज़ गूँजी:
"सभी बच्चे तुरंत मैदान में एकत्र हों। थोड़ी देर में आपका पाथ जाग्रत किया जाएगा।"
बच्चे उत्साह और घबराहट के मिश्रण के साथ मैदान में इकट्ठा हुए। शिक्षक, एक लंबा, गंभीर चेहरा वाला आदमी, बोला, "लाइन में खड़े हो जाओ। एक-एक करके तुम लैब में जाओगे, जहाँ तुम्हारा पाथ जाग्रत होगा।"
कुछ ही देर में, क्रम, इंद्र, और काल की बारी आई। उन्हें एक ठंडी, धातुई लैब में ले जाया गया, जहाँ दीवारें चमकती थीं और हवा में बिजली की गंध थी। मशीनें गूँज रही थीं, और बीच में एक विशाल, चमकता हुआ गोला था—पाथ एक्टिवेटर।
जैसे ही मशीन चालू हुई, एक तेज़, अंधा कर देने वाली रोशनी फैली। तीनों बच्चों की धड़कनें तेज़ हुईं, जैसे उनके सीने में आंधी चल रही हो। हवा में बिजली चटक रही थी, और उनके शरीर काँप रहे थे। दस मिनट बाद, मशीन शांत हुई।
शिक्षक ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "बधाई हो, तुम तीनों ने अपना पाथ हासिल कर लिया है। और... ये पाथ कुछ खास हैं।"
क्रम: इनफर्नो किंग
पाथ ऑफ इनफर्नो किंग
क्रम अब आग का स्वामी था। उसकी उंगलियों से काली आग निकलती थी—ऐसी आग जो पत्थर को पिघला दे, हवा को भस्म कर दे। उसका शरीर गर्मी और विनाशकारी ज्वालाएँ पैदा कर सकता था। उसकी आँखों में लाल चमक थी, जैसे कोई प्राचीन ड्रैगन जाग उठा हो। लेकिन क्रम का दिल शांत था—वो अपनी ताकत को सिर्फ़ ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल करना चाहता था।
इंद्र: मेटल मास्टर
पाथ ऑफ मेटल
इंद्र धातु का जादूगर था। वह हवा से तलवारें, भाले, और ढाल बना सकता था। उसकी उंगलियाँ हिलतीं, और ज़मीन से धातु उभर आती—चाहे साधारण लोहा हो या दुर्लभ मिथ्रिल। उसकी ताकत हर पल बढ़ रही थी, और उसका हँसमुख स्वभाव उसकी लड़ाई को और भी खतरनाक बनाता था। "क्यों डरना?" वो हँसते हुए कहता, "जब मेरे पास पूरी धातु की सेना है!"
काल: डेथ लॉर्ड
पाथ ऑफ डेथ
काल का पाथ सबसे भयानक था। वह डोमिया बना सकता था—अपनी आत्मा का एक हिस्सा किसी और के शरीर में डालकर उसे कठपुतली बना देता था। वह दुश्मनों की आत्मा की ऊर्जा चुरा सकता था, उन्हें कमज़ोर करके अपनी ताकत बढ़ाता था। उसकी आँखों में मृत्यु की ठंडक थी, और उसकी मुस्कान में एक क्रूरता। "जो मुझसे टकराएगा, वो सिर्फ़ लाश बनेगा," उसने एक बार ठंडे लहजे में कहा।
एक नई ताकत
तीनों पाथ अलग थे, लेकिन एक-दूसरे के पूरक।
क्रम का इनफर्नो: आग का तूफान, जो सब कुछ जला दे।
इंद्र का मेटल: रक्षा और हमले का अटूट हथियार।
काल का डेथ: आत्मा और मृत्यु का स्वामी, जो दुश्मन को भीतर से तोड़ दे।
ये तीनों अपनी उम्र के बच्चों से कई गुना ज़्यादा ताकतवर थे। लेकिन उनके सामने एक सवाल था—क्या वे अपनी ताकत का इस्तेमाल ऊपरी धरती को वापस जीतने के लिए करेंगे, या उनके पाथ उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर देंगे? लोग, जो अब भी उनकी हर कदम पर नज़र रखता था, जानता था कि ये बच्चे सिर्फ़ योद्धा नहीं—ये मानवता की आखिरी उम्मीद थे।
उस रात, लोग ने तीनों को अपने पास बुलाया। उसकी पुरानी आँखों में चमक थी। "तुम्हारा पाथ तुम्हारी ताकत है, लेकिन ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी भी है। ऊपरी दुनिया में परजीवी इंतज़ार कर रहे हैं। और वो मास्क मैन... वो अभी भी कहीं है। तुम तैयार हो?"
तीनों ने एक-दूसरे को देखा। क्रम ने सिर हिलाया, इंद्र ने मुस्कुराया, और काल ने अपनी मुट्ठी कसी।
"हम तैयार हैं," काल ने कहा, उसकी आवाज़ में आग थी।
एक नया युद्ध शुरू होने वाला था। और इस बार, द पाथ सिर्फ़ रास्ता नहीं था—ये उनकी नियति थी।
स्कूल का आखिरी दिन था। हवा में उत्साह और अनिश्चितता का मिश्रण था। लोग, अब बूढ़ा हो चुका योद्धा, अपने तीनों बच्चों—क्रम, इंद्र, और काल—के सामने खड़ा था। उसकी आँखों में गर्व था, लेकिन चिंता भी। उसने गहरी साँस ली और बोला, "तुम्हारा स्कूल खत्म हो गया। कल सुबह मेरी सेना तुम्हें लेने आएगी। तुम ऊपरी धरती देखोगे—वो कितनी सुंदर है, और कितनी खतरनाक। वहीं से तुम्हारी असली ट्रेनिंग शुरू होगी।"
उसने एक पल रुका, फिर गंभीर स्वर में कहा, "एक बात याद रखना। पूरे स्कूल में सिर्फ़ छह पाथ यूज़र बने हैं। तुम तीनों—क्रम, इंद्र, काल—और तीन अन्य: मून, रोज़, और मीना। बाकी कोई भी पाथ जाग्रत नहीं कर सका।"
क्रम ने भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा, "मून, रोज़, और मीना? मैंने तो इनके नाम पहले कभी नहीं सुने।"
इंद्र ने अपनी हँसमुख मुस्कान के साथ कहा, "शायद वो घर पर पढ़ते होंगे। या कोई खास बैच में?"
काल ने ठंडे लहजे में कटाक्ष किया, "नाम सुने या न सुने, फर्क नहीं पड़ता। चलो, घर चलते हैं। मुझे भूख लगी है।"
बात यहीं खत्म हुई। तीनों घर लौट गए, लेकिन उनके मन में सवाल उमड़ रहे थे। मून, रोज़, और मीना कौन थे? और ऊपरी धरती की ट्रेनिंग में क्या इंतज़ार कर रहा था?
अगला दिन: एक नई शुरुआत
सुबह के धुंधलके में एक भारी-भरकम आर्मी ट्रक स्कूल के सामने रुका। उसकी धातुई सतह पर धूल जमी थी, जैसे उसने धरती की गहराइयों से लंबा सफर तय किया हो। ट्रक से कुछ सैनिक उतरे—काले कवच में लिपटे, चेहरों पर कोई भाव नहीं। उन्होंने क्रम, इंद्र, और काल को इशारा किया। तीनों ने एक-दूसरे को देखा, फिर बिना सवाल किए ट्रक में चढ़ गए।
अंदर पहले से तीन अन्य बच्चे बैठे थे—मून, रोज़, और मीना। मून एक दुबली-पतली लड़की थी, जिसकी आँखें चाँद की तरह चमकती थीं। रोज़ का चेहरा शांत था, लेकिन उसकी मुस्कान में रहस्य छिपा था। मीना तेज़-तर्रार लगती थी, उसकी उंगलियाँ बेचैन थीं, जैसे वो हर पल कुछ करने को तैयार हो। कोई बात नहीं कर रहा था। हवा में तनाव था।
ट्रक करीब तीन घंटे तक चला, धरती की गहरी सुरंगों से गुजरता हुआ। अचानक, वो एक विशाल, सुनसान डॉक पर रुका। चारों तरफ धातु की दीवारें थीं, और हवा में रसायनों की गंध थी। तभी, एक आदमी सफेद लबादे में प्रकट हुआ, जैसे कोई वैज्ञानिक। उसके हाथ में कई गैस के कैन थे। उसने तेज़ी से कैन खोले, और एक धुंधली गैस हवा में फैल गई।
"ये क्या—" इंद्र चीखा, लेकिन उसकी आवाज़ अधूरी रह गई। गैस ने सबको निगल लिया। एक-एक करके, छहों बच्चे बेहोश होकर गिर पड़े।
वैज्ञानिक ने अपना सफेद मास्क उतारा। उसका चेहरा ठंडा और निर्मम था। उसने अपने साथियों—कुछ विशालकाय, मशीन जैसे सैनिकों—को बुलाया। "उन्हें उठाओ," उसने आदेश दिया। सैनिकों ने छहों बच्चों को उठाकर एक अंधेरी गलियारे में ले गए।
काला रसायन
जब क्रम, इंद्र, और काल की आँखें खुलीं, वे एक ठंडी, धातुई लैब में थे। उनके शरीर एक काले, चिपचिपे रसायन से ढके थे, जो उनकी त्वचा में समा रहा था। हवा में बिजली की गंध थी, और दीवारों पर अजीब से प्रतीक चमक रहे थे। सामने खड़ा था वही वैज्ञानिक—डॉ. आर. लेबो। उसकी आँखें बर्फ की तरह ठंडी थीं।
"मुझे पता है तुम होश में आ गए हो," लेबो ने ठंडे लहजे में कहा। "चुपचाप रहो। तुम्हारा अगला एक्सपेरिमेंट शुरू होने वाला है।"
क्रम ने गुस्से से अपनी मुट्ठी कसी, लेकिन काला रसायन उसे जकड़े हुए था। इंद्र ने अपने दिमाग में धातु बुलाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। काल की आँखें लाल हो उठीं, लेकिन उसका डोमिया भी काम नहीं कर रहा था।
लैब में एक और वैज्ञानिक थी—लीता। उसकी आवाज़ में बेचैनी थी। "पिछले बीस साल से मैं धरती पर एलियंस को बुलाने की कोशिश कर रही हूँ। ये कीड़े—" उसने गुस्से से एक ट्यूब को मेज पर पटका। "ये घटिया परजीवी मेरे प्लान को बर्बाद कर रहे हैं।"
लेबो ने उसकी बात काटी, "फिर से वही अलग फ्रीक्वेंसी वाला इनविटेशन? लीता, तुम्हारा जुनून हमें बर्बाद कर देगा।"
दोनों बहस करते हुए लैब से बाहर चले गए, लेकिन उनके शब्द हवा में गूँज रहे थे। क्रम ने धीरे से इंद्र की ओर देखा। "ये लोग... क्या चाहते हैं?"
इंद्र ने फुसफुसाया, "हमें गिनी पिग बनाना चाहते हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूँगा।"
काल ने दाँत पीसते हुए कहा, "मैं इनकी आत्मा उखाड़ दूँगा।"
एक नया खतरा
लैब के बाहर, मून, रोज़, और मीना भी उसी काले रसायन में जकड़े थे। मून की आँखें अभी भी चमक रही थीं, जैसे वो कुछ देख रही हो जो बाकी नहीं देख सकते। रोज़ ने धीरे से कहा, "हमें अपने पाथ का इस्तेमाल करना होगा। ये रसायन हमें रोक रहा है, लेकिन हमारा पाथ इससे मज़बूत है।"
मीना ने गुस्से में कहा, "मैंने सुना, वो एलियंस को बुलाना चाहते हैं। अगर वो आए, तो धरती का अंत हो जाएगा।"
क्रम ने गहरी साँस ली। उसकी उंगलियों से काली आग की चिंगारियाँ फूटीं, और रसायन पिघलने लगा। "हमारे पास वक्त कम है। हमें एकजुट होना होगा।"
इंद्र ने हँसते हुए कहा, "तो चलो, धातु का जादू दिखाते हैं।" उसने अपनी ताकत जुटाई, और लैब की दीवार से एक तलवार उभर आई।
काल की आँखें लाल हो उठीं। "मैं इनके वैज्ञानिकों की आत्मा चुरा लूँगा।"
लेकिन तभी लैब का दरवाज़ा खुला। डॉ. लेबो वापस आया, और उसके साथ था वही मास्क मैन—काला नकाब, ठंडी आँखें। उसने छहों बच्चों को देखा और मुस्कुराया। "तुम्हारा पाथ हमारी सेना का हिस्सा बनेगा। या फिर... तुम इन कीड़ों का शिकार बनोगे।"
हवा में सन्नाटा छा गया। क्या ये छह बच्चे अपनी ताकत का इस्तेमाल करके बच पाएँगे? या फिर लेबो और मास्क मैन का ये खतरनाक खेल धरती को हमेशा के लिए बदल देगा
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