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एकता में बल है

पोटिया वंश की ज्वाला" - जाटों का पुनर्जागरण

पोटिया वंश की ज्वाला" - जाटों का पुनर्जागरण

भूमिका – राख से उठता स्वाभिमान

साल 1728 का समय था। उत्तर प्रदेश के लाहास्की गांव में एक साधारण किसान (करण सिंह पोटीया जाट )अपने परिवार के साथ रहता था। उनकी पत्नी वीरता देवी, नाम के अनुरूप हिम्मत और सहनशीलता की मूर्ति थीं। उनके तीन पुत्र थे

•बलबीर सिंह पोटीया जाट सबसे बड़ा, बलशाली और तेजतर्रार

•रणवीर सिंह पोटीया जाट युद्धनीति में निपुण रणनीतिक और

•जगवीर सिंह पोटीया जाट सबसे छोटा, परंतु सबसे निडर और भावुक

गांव में शांति थी, परंतु किस्मत को कुछ और मंजूर था। एक रात गांव में भयंकर आग लग गई। करण सिंह का घर जलकर राख हो गया। खेत, अनाज, जानवर - सब कुछ खत्म हो गया।

•निर्णय - नई धरती, नया संघर्ष

दुख की इस घड़ी में करण सिंह पोटिया ने निर्णय लिया।

"अब इस गांव में नहीं रहेंगे... जहां हमारा अतीत जल गया, वहां भविष्य नहीं बनेगा।"

वह अपने परिवार को लेकर राजस्थान के एक छोटे से गांव में जा बसे। वहा की मिट्टी नई थी, पर खून वही पोटिया था - गर्म और सम्मान के लिए उबलता हुआ।

नवजन्म - वीर पुत्रों का प्रण

राजस्थान में बसने के बाद तीनों पुत्रों ने संकल्प लिया।

"अब हम खुद का एक सी (साम्राज्य) बनाएंगे ! जाटों का साम्राज्य अन्याय के खिलाफ एक लौ।"

•बलबीर सिंह ने जाट वीरों को एकजुट करना शुरू किया।

•रणवीर सिंह ने रणनीति बनाई और नए-नए योद्धा तैयार करें

•जगवीर सिंह ने गांव गांव जाकर गांव के किसानों और गरीबों को समझाया कि अब डरने की जरूरत नहीं है मुगलों से।।

फिर तीनों भाइयों ने मिलकर अलग-अलग जगह पर आक्रमण कर दिया जगह अलग-अलग थी पर लक्ष्य एक ही था।

राजस्थान की रेत में खून बहा, पर जाटों की तलवारें हमेशा चमकती रहीं। हर बार विजय उनकी हुई। छोटा सा गांव अब एक स्वतंत्र साम्राज्य बन गया, जहां कोई अन्याय नहीं था।

– फिर मुगलों ने धोखे से जगबीर सिंह को मार दिया

एक दिन जगवीर सिंह पोटिया जाट अकेले एक दुश्मन की शांति वार्ता में गया। लेकिन यह वार्ता एक जाल था।

मुगलों ने उसे धोखे से मार डाला।

जब ये खबर बलबीर और रणवीर को मिली, तो आसमान भी उनकी चीख से काँप उठा। करण सिंह और वीरता देवी का सबसे छोटा बेटा अब नहीं रहा। पूरे साम्राज्य में शांति थी

•बदला - जाटों की ज्वाला

"अब युद्ध नहीं होगा, अब विनाश होगा!" – बलबीर सिंह

दोनों भाइयों ने एक बार फिर जाटों को एकजुट किया। राजपूत, गुर्जर, हर जाति, हर वीर को साथ लिया।

•एक विशाल सेना बनी 'पोटिया सेना'।

और फिर हुआ भीषण युद्ध ।

•हजारों मुगल सैनिक मारे गए।

गढ़, महल, छावनियां सब जला दिए गए।

और अंत में, मुगलों को राजस्थान से खदेड़ दिया गया।

अंत - साम्राज्य की स्थापना और एक चेतावनी

अब राजस्थान में पोटीया वंश का झंडा लहरा रहा था। करण सिंह वृद्ध हो चुके थे, पर उनके बेटे उनके स्वप्न को साकार कर चुके थे।

लोग कहते थे।

"जाटों से दुश्मनी, खुद की कब्र खुद खोदने जैसा है।"

और दीवारों पर लिखा गया।

"जाट कभी अन्याय नहीं करता, पर अन्याय सहता भी नहीं।"

समापन वाक्य

"जहां राख से क्रांति उठती है, वहां जाट पोटीया बनकर उभरते हैं।"

- बलबीर सिंह पोटीया जाट।

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