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दो दिल, एक हंगामा

episode 1 सुबह का हंगामा

लखनऊ का पुराना मोहल्ला। सुबह की हवा में पराठों की खुशबू, चाय की दुकानों की भाप और सब्ज़ीवालों की आवाज़ें गूँज रही थीं। वहीँ एक कोने में खड़ा बड़ा-सा हवेली जैसा घर—आरव का।

आँगन में दादीजी चौकी पर बैठी थीं। एक हाथ में रामायण, दूसरे हाथ में चश्मा। माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी और आँखों में वही पुराना अनुशासन।

दादीजी (गुस्से में बुदबुदाते हुए):

“आजकल के बच्चे भी न… सुबह 8 बजने वाले हैं और अभी तक कोई ढंग से उठा नहीं। हमारे जमाने में तो सूरज से पहले उठकर खेतों में काम शुरू हो जाता था। अब तो उठते ही मोबाइल चाहिए।”

पास ही चाचाजी अखबार पढ़ते हुए हँस पड़े।

चाचाजी: “माँ, छोड़ो भी। अब जमाना बदल गया है। बच्चे भले देर से उठें, पर अपने-अपने तरीके से खूब आगे बढ़ रहे हैं।”

तभी अचानक ऊपर वाली छत से जोरदार आवाज़ आई—

काव्या (चिल्लाते हुए):

“आरव! तूने फिर मेरी पतंग क्यों काटी? कितनी बार कहा है, अपनी पतंग उड़ा, मेरी पतंग को मत छेड़। देख लेना, इस बार मोहल्ले के सारे बच्चों को तेरे खिलाफ खड़ा कर दूँगी!”

सारे घरवाले हक्के-बक्के छत की ओर देखने लगे।

नीचे के कमरे से खिड़की खोली गई। वहाँ खड़ा था आरव—बिखरे बाल, हाथ में टूथब्रश और चेहरे पर आधी नींद वाली मुस्कान।

आरव (नींद में लेकिन शरारत भरे अंदाज़ में):

“अरे मैडम, आपकी पतंग खुद ही कट गई थी। हवा तेज़ थी। अब इसमें मेरी क्या गलती? वैसे भी, पतंग उड़ाने का शौक सबको होता है, लेकिन उड़ाना सबको नहीं आता।”

काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। उसने बिना सोचे समझे बाल्टी में पानी भरा और छत से सीधा नीचे खड़े आरव पर छपाक से उड़ेल दिया।

आरव (भीगकर चिल्लाते हुए):

“काव्या! तेरी कसम, आज तो तुझे छोड़ूँगा नहीं। बाल्टी के बाल्टी खाली कर दी तूने?”

नीचे खड़े पूरे परिवार की हँसी छूट गई।

मम्मी (सिर पकड़ते हुए): “हे भगवान! रोज़ सुबह का ये तमाशा कब खत्म होगा? एक दिन ये दोनों पूरे मोहल्ले की नाक कटवा देंगे।”

चाचाजी: “अरे भाभी, चिंता मत करो। ये दोनों सुधरेंगे नहीं। और सच कहूँ तो इनकी लड़ाई ही घर की असली सुबह की चाय है।”

बच्चे तालियाँ बजाकर “और पानी डालो! और पानी डालो!” चिल्लाने लगे। पड़ोस की औरतें भी अपनी खिड़कियों से झाँककर मज़ा लेने लगीं।

आरव गुस्से में टूथब्रश फेंककर ऊपर की ओर भागा। लेकिन जैसे ही काव्या ने उसे आते देखा, उसने जीभ निकाली, जोर से हँसी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।

आरव बाहर खड़ा गुस्से में दरवाज़ा पीट रहा था।

आरव: “दरवाज़ा खोल काव्या! वरना इस बार तेरे सारे कर्ली बाल काट दूँगा।”

काव्या (अंदर से): “तो पहले बाल्टी का बदला चुका!”

नीचे दादीजी सबकुछ देखकर रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोलीं:

दादीजी: “लड़ाई करने वाले ही सबसे अच्छे साथी बनते हैं। ये दोनों अभी नहीं जानते, पर वक्त आने पर खुद समझ जाएँगे।”

घरवाले हँसी में डूबे थे, पर आरव और काव्या के दिलों में हलचल अलग ही थी। उनके लिए ये रोज़ का हंगामा अब आदत बन चुका था। आरव को गुस्सा भी आता, पर काव्या की वो शरारती मुस्कान उसे बेचैन कर देती। और काव्या, भले ही उसे चिढ़ाती रहती, लेकिन दिन की शुरुआत उसके बिना अधूरी लगती।

शायद यही नोक-झोंक वाला रिश्ता आगे चलकर उनके दिलों की असली कहानी बनने वाला था।

episode 2 शादी में है ट्विस्ट बाबू

सुबह की हल्की धूप मिश्रा हाउस की खिड़कियों से छन-छनकर भीतर आ रही थी। आँगन में रिश्तेदारों की चहल-पहल, बच्चों की किलकारियाँ और बड़े-बुजुर्गों की हिदायतें मिलकर ऐसा माहौल बना रही थीं मानो पूरा मोहल्ला शादी के रंग में रंग गया हो।

अमृता अपनी सहेलियों के साथ कमरे में बैठी तैयारियों पर नज़र रख रही थी। तभी मौसी अंदर आईं और बोले –

“अरे बिटिया, इतनी सिंपल ड्रेस क्यों पहनी हो? दुल्हन की बहन होकर भी ऐसे सादी-सादी लग रही हो।”

अमृता हँसते हुए बोली –

“मौसी, अगर मैं ही दुल्हन जैसी लगूँगी तो भाभी की शोभा कौन बढ़ाएगा?”

इस जवाब पर पूरा कमरा ठहाकों से गूंज गया।

इधर वरुण अपने दोस्तों संग बारात की प्लानिंग कर रहा था। उसकी माँ बार-बार समझा रही थी –

“वरुण, देखो बेटा, बैंड वाले से कहना कि शुद्ध शहनाई बजाए। पिछली बार शादी में उन्होंने फिल्मी गाने बजा दिए थे, सब बुजुर्ग नाराज़ हो गए थे।”

वरुण ने हँसकर कहा –

“माँ, इस बार मैं DJ से एंट्री लूँगा। बैंड-बाजा आउटडेटेड हो गया है।”

बुआ जी ने तुरंत टोक दिया –

“DJ? अरे हमारे ज़माने में तो दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर राजा बनकर आता था।”

वरुण ने शरारती अंदाज़ में जवाब दिया –

“बुआ जी, आजकल के राजा DJ पर ही नाचते हैं।”

सभी हँसते-हँसते लोटपोट हो गए।

दोपहर में सजावट देखने के दौरान अमृता और वरुण की टकराहट हो गई।

अमृता – “तुम्हारी DJ की जिद से बारातियों के लिए मिठाई कम पड़ जाएगी।”

वरुण – “मिठाई बाद में बाँट देंगे, पहले शादी का डांस हिट होना चाहिए।”

अमृता गुस्से में जाने लगी, तभी वरुण मुस्कुराकर बोला –

“वैसे… लाल रंग में तुम बेहद अच्छी लग रही हो।”

अमृता ने मुस्कान छिपाने की कोशिश की और बोली –

“ये फ्लर्टिंग का समय नहीं है।”

लेकिन दिल की धड़कनें दोनों की तेज़ हो चुकी थीं।

शाम को हल्दी की रस्म शुरू हुई। रिश्तेदारों ने हल्दी ऐसे लगाई जैसे कोई रंगोली बना रहे हों। वरुण के दोस्तों ने तो उसे पूरे “पीले पुतले” में बदल दिया।

अमृता हँसते-हँसते बोली –

“अब लग रहे हो असली दूल्हा, बिल्कुल ‘हल्दी बाबू’।”

वरुण ने मज़ाक में कहा –

“तुम्हें ही तो मेरा यह रूप पसंद आएगा।”

पूरा घर खिलखिलाहट से गूंज रहा था।

इसी बीच, अमृता का फोन बजा। उसने अनजान नंबर देखा और कॉल उठाई। दूसरी तरफ से धीमी, रहस्यमयी आवाज़ आई –

“शादी में सब कुछ वैसे नहीं होगा जैसा तुम सोच रही हो… सावधान रहो।”

अमृता चौंक गई। उसने तुरंत पूछा –

“कौन बोल रहा है? आप कौन हैं?”

लेकिन लाइन कट चुकी थी।

उसका चेहरा पीला पड़ गया। पास खड़ी सहेली ने पूछा –

“क्या हुआ अमृता? इतनी घबराई क्यों लग रही हो?”

अमृता ने बात टाल दी –

“कुछ नहीं… शायद गलत नंबर था।”

पर उसके दिल में डर घर कर चुका था। हंसी-ठिठोली और डांस के बीच अब उसे लग रहा था जैसे कोई परछाईं छुपकर सब देख रही हो।

उधर वरुण, जो अब तक मज़ाक-मस्ती कर रहा था, अचानक अमृता की उदासी नोटिस करने लगा।

वह पास आकर बोला –

“क्या हुआ? तुम इतनी चुप क्यों हो गई?”

अमृता ने हल्की मुस्कान के साथ कहा –

“कुछ नहीं… बस थक गई हूँ।”

लेकिन उसके मन में वही रहस्यमयी आवाज़ गूंज रही थी।

“शादी में सब कुछ वैसे नहीं होगा…”

क्या यह सिर्फ मज़ाक था या किसी बड़ी साज़िश की आहट?

शादी की खुशियों के बीच यह नया सस्पेंस किस तूफ़ान को जन्म देने वाला था?

(एपिसोड 2 समाप्त – जारी रहेगा…)

episode 3 शादी में है ट्विस्ट बाबू

अगली सुबह मिश्रा हाउस में मेहंदी की रस्म की धूम थी। आँगन में टेंट सजा था, रंग-बिरंगे परदे, फूलों की मालाएँ और बीच में ड्रम की थाप पर डांस की तैयारी चल रही थी। औरतें लोकगीत गा रही थीं –

"मेहंदी है रचने वाली..."

अमृता दुल्हन की हथेलियों पर मेहंदी लगवा रही थी। सहेलियाँ उसे चिढ़ाते हुए बोलीं –

“अरे अमृता, तू भी अपना नाम छुपाकर हाथ पर लिखवा ले, वरुण खोजेगा तो पता चलेगा कितना सच्चा प्यार है।”

अमृता ने शर्माते हुए कहा –

“पागल हो क्या! मैं क्यों उसका नाम लिखवाऊँ?”

लेकिन चेहरे की मुस्कान उसकी दिल की बात कह रही थी।

उधर वरुण अपने दोस्तों संग डांस प्रैक्टिस कर रहा था। वह बार-बार शीशे के सामने खड़ा होकर अपनी मूव्स चेक कर रहा था।

दोस्तों ने चुटकी ली –

“भाई, दूल्हे से ज्यादा तो दुल्हन का जीजा डांस करेगा इस शादी में।”

इतना सुनते ही वरुण मज़ाक में बोला –

“अरे भैया, डांस से ही तो बारात में जान आती है। वरना दूल्हा-वरूल्हा सब बोर।”

दोस्त ठहाके मारकर हँस पड़े।

इसी बीच अमृता और वरुण आमने-सामने आ गए।

अमृता ने चुटकी ली –

“लगता है DJ पर एंट्री के लिए तूने कोई स्टेज शो प्लान किया है।”

वरुण ने आंख मारते हुए कहा –

“हाँ, और शो की हीरोइन तुम होगी।”

अमृता के गाल लाल हो गए। वह तुरंत पलटकर बोली –

“पहले अपनी घोड़ी सँभालो फिर मुझे हीरोइन बनाना।”

दोनों की नोकझोंक देख सब रिश्तेदार मुस्कुरा रहे थे।

हँसी-मज़ाक के इस माहौल के बीच अचानक अमृता का ध्यान फिर से उस कॉल पर चला गया। उसकी आँखें एक पल को डरी-सी लगने लगीं। उसने चुपचाप मोबाइल उठाकर कॉल हिस्ट्री चेक की, लेकिन नंबर “अननोन” ही दिख रहा था।

अचानक उसकी सहेली ने पीछे से झकझोर दिया –

“कहाँ खोई हो? चलो, दुल्हन के कमरे में सजावट करनी है।”

अमृता ने मुस्कान ओढ़ ली और साथ चल दी, लेकिन उसके दिल में वही शब्द गूंज रहे थे –

“शादी में सब कुछ वैसे नहीं होगा…”

शाम को संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ। स्टेज पर रिश्तेदारों ने एक से बढ़कर एक डांस पेश किए। बुआ जी और चाची ने पुराने गानों पर ठुमके लगाए तो सब बच्चे ताली बजाने लगे।

वरुण ने अपने दोस्तों संग एक ग्रुप डांस किया और सबको चौंका दिया। अमृता ने भी अपनी सहेलियों के साथ डांस किया। दोनों की नजरें बार-बार मिल रही थीं और उनके बीच छुपा रोमांस साफ झलक रहा था।

इसी बीच, अचानक हॉल की लाइट कुछ पल के लिए चली गई। अंधेरे में अफरा-तफरी मच गई। सब लोग शोर मचाने लगे –

“अरे बिजली क्या हुई?”

“जेनरेटर ऑन करो!”

दो मिनट में लाइट आ गई, लेकिन उसी दौरान अमृता का फोन फिर बज उठा। उसने घबराकर कॉल उठाया। वही रहस्यमयी आवाज़ बोली –

“मैंने कहा था न, ये शादी आसान नहीं होगी… नज़र रखो।”

अमृता का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने तुरंत इधर-उधर देखा, लेकिन सब लोग अपने-अपने में व्यस्त थे।

उसके माथे पर पसीना झलक आया। वरुण ने दूर से उसे देखा और पास आकर धीरे से पूछा –

“तुम ठीक हो? चेहरा इतना सफेद क्यों हो गया है?”

अमृता ने मुस्कुराने की कोशिश की –

“नहीं… बस थोड़ी थक गई हूँ।”

वरुण ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा –

“कुछ तो है जो तुम छुपा रही हो। जब से ये शादी शुरू हुई है, तुम बार-बार परेशान दिख रही हो।”

अमृता कुछ बोलने ही वाली थी कि स्टेज से माइक पर ऐलान हुआ –

“अब होने वाले दूल्हे और दुल्हन की स्पेशल परफॉर्मेंस होगी!”

सारा ध्यान वहीं खिंच गया और अमृता अपनी बात रोक गई। लेकिन उसके मन का डर अब और गहरा हो चुका था।

क्या ये सब सिर्फ इत्तेफाक है या सच में कोई उनकी शादी में रुकावट डालना चाहता है?

और वरुण कब तक इस रहस्य से अंजान रहेगा?

(एपिसोड 3 समाप्त – जारी रहेगा…)

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